China Communist Party: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) का लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की मीटिंग रविवार (16 अक्टूबर) को शुरू हो चुकी है. ये बैठक अगले सात दिन तक चलेगी. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव ही राष्ट्रपति के पद पर आसीन होता है. 1 अक्टूबर 1949 से चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का ही शासन है. यह सरकार, पुलिस और सेना को कंट्रोल करती है.
लगभग 90 मिलियन (9 करोड़) सदस्यों के साथ यह पोलित ब्यूरो एक पिरामिड की तरह संगठित है. मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसके शीर्ष नेता हैं. वहीं, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (National People's Congress) का काम केवल पार्टी नेतृत्व द्वारा लिए गए फैसलों पर मुहर लगाना है.
चीन में सफल होने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता आवश्यक है, चाहे वह राजनीति, व्यवसाय या मनोरंजन किसी भी क्षेत्र से जुड़े हों. यही कारण है कि चीन की लगभग सात फीसदी आबादी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य है. इसमें अलीबाबा के जैक मा (Jack Ma) या हुआवेई के रेन झेंगफेई जैसे अरबपति और यहां तक कि एक्ट्रेस फैन बिंगबिंग जैसी हस्तियां भी शामिल हैं.
शी जिनपिंग बनाएंगे नया रिकॉर्ड
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी असंतोष को बर्दाश्त नहीं करती है. स्थानीय स्तर से शुरू होकर शीर्ष नेतृत्व तक सदस्यों का चुनाव किया जाता है. नेशनल पार्टी कांग्रेस एक केंद्रीय समिति का चुनाव करती है जो पोलित ब्यूरो का चुनाव करती है. ये चुनाव आमतौर पर पहले से तय और स्वीकृत होते हैं और वास्तविक शक्तियां पोलित ब्यूरो के पास होती हैं. राष्ट्रपति शी जिनपिंग पार्टी के शीर्ष नेता और राष्ट्रपति हैं. 2018 की शुरुआत में पार्टी ने पारंपरिक दो-अवधि की राष्ट्रपति की सीमा को समाप्त कर दिया, जिससे शी जिनपिंग को अनिश्चितकाल तक राष्ट्रपति के पद पर बने रहने की अनुमति मिल गई. राष्ट्रपति के तौर पर शी जिनपिंग के रिकॉर्ड तीसरे कार्यकाल को मंजूरी दी जाएगी.
सबसे पावरफुल पोलित ब्यूरो
चीन के शक्ति पिरामिड के शिखर पर पोलित ब्यूरो है जो सुनिश्चित करता है कि पार्टी लाइन को बरकरार रखा जाए और तीन अन्य महत्वपूर्ण निकायों को कंट्रोल किया जाए.
- राज्य परिषद
- केंद्रीय सैन्य आयोग
- नेशनल पीपुल्स कांग्रेस या संसद
स्टेट काउंसिल सरकार है जिसका नेतृत्व चीन के प्रीमियर यानी प्रधानमंत्री करता है. मौजूदा समय में ली केकियांग चीन के प्रधानमंत्री हैं, जो राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बाद दूसरा सबसे बड़ा पद है. इसकी भूमिका देश भर में पार्टी की नीतियों जैसे राष्ट्रीय आर्थिक योजना और राज्य के बजट का प्रबंधन को लागू करना है. सेना और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच की कड़ी द्वितीय विश्व युद्ध और उसके बाद के गृह युद्ध से जुड़ी है. यह चीन के सशस्त्र बलों का नेतृत्व करती है.
माओ ने बनाई पार्टी की मजबूत पकड़
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ ने जब 1949 में देश की सत्ता संभाली उस समय चीन एक गरीब देश था. माओ ने चीन में बड़े पैमाने पर ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था का औद्योगीकरण करने की कोशिश की, जिसके परिणाम विनाशकारी साबित हुए. लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
यही नहीं माओ ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को निपटाने के लिए देश के युवाओं को हिंसा की आग में झोंक दिया. माओ ने कम्युनिस्ट चीन के निर्माण के लिए अपने विरोधियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. यह सिलसिला लगातार चलता रहा. इसका अंत 1976 में माओ की मौत के साथ हुआ.
इसके बाद के वर्षों में चीन धीरे-धीरे दुनिया के लिए खुल गया. सांस्कृतिक क्रांति के दौरान एक पार्टी नेता देंग शियाओपिंग के उदय ने प्रमुख आर्थिक सुधार किए और चीन का विकास किया. जैसे-जैसे व्यापार बढ़ता गया और पश्चिम के साथ तनाव कम होता गया. राजनीतिक सुधार की उम्मीद जगी - लेकिन पार्टी नियंत्रण बनाए रखने में कामयाब रही.
माओ के मुकाबले शी जिनपिंग ज्यादा निरंकुश
शी जिनपिंग साल 2012 में चीन के राष्ट्रपति बने. वह माओ के बाद से किसी भी नेता की तुलना में निश्चित रूप से ज्यादा निरंकुश हो गए हैं. शी जिनपिंग के शासनकाल में ऑनलाइन सेंसरशिप बढ़ रही है, कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी, प्रतिद्वंद्वियों का सफाया जैसी तमाम घटनाएं हैं जो उनके निरंकुश होने की ओर इशारा करते हैं. हालांकि, शी जिनपिंग हमेशा से ही अपने ऊपर लगे इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं. कई देशों ने चीन पर अपने ज्यादातर मुस्लिम उइगर जातीय अल्पसंख्यक के दमन के माध्यम से नरसंहार करने का भी आरोप लगाया है.
चीन के मीडिया और इंटरनेट - जिसमें वीबो जैसे स्थानीय सोशल मीडिया शामिल हैं - को सख्ती से कंट्रोल किया जाता है. मीडिया के इस लगभग पूरी तरह से कंट्रोल ने पार्टी और शी को जनमत को प्रभावित करने और नियंत्रण लागू करने में मदद की है.
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