दुनिया का कोई भी डॉक्टर या वैज्ञानिक फिलहाल ये ठीक-ठीक दावा नहीं कर सकता है कि कोरोना वायरस का शरीर पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है. जैसे-जैसे इस वायरस का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, इसके नए-नए लक्षण सामने आते जा रहे हैं. शुरुआत में तो कोरोना के लक्षणों में सूखी खांसी, तेज बुखार, शरीर में तेज दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण सामने आए थे. बाद में ये भी पता चला कि कोरोना की वजह से सूंघने की क्षमता पर भी असर पड़ता है. मरीज के सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ता है. और अब ये बात सामने आई है कि कोरोना वायरस दिमाग पर भी असर कर रहा है.


इस बात की पुष्टि की है वुहान के शोधकर्ताओं ने. वुहान ही वो शहर है, जहां पर पहली बार कोरोना का मरीज पाया गया था. इन शोधकर्ताओं की ओर से अमेरिका की मंथली मैग्जीन ज़मा न्यूरोलॉजी में इस रिसर्च को लेकर एक आर्टिकल लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना से पीड़ित मरीज का दिमाग भी असामान्य व्यवहार करता दिख रहा है. इन शोधकर्ताओं ने 16 जनवरी से 19 फरवरी के बीच कोरोना से पीड़ित 214 लोगों पर रिसर्च की है और उसके आधार पर इस नतीजे पर पहुंचे हैं. रिसर्चर्स ने कोरोना की वजह से दिमाग पर पड़ने वाले प्रभाव को भी तीन हिस्सों में बांटा है. पहला हिस्सा वो है, जिसमें मरीज को सिरदर्द करता है और वो आंशिक तौर पर अपने शरीर पर नियंत्रण खो देता है. दूसरा हिस्सा वो है, जिसमें मरीज पूरी तरह से अपने शरीर पर नियंत्रण खो देता है. तीसरा हिस्सा वो है, जिसमें मरीज कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से देखने में परेशानी, खाने का स्वाद न समझ आना, सूंघने में परेशानी और नसों के साथ ही खोपड़ी में दर्द की शिकायत करता है.


कोरोना की वजह से जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें से कुछ की अटॉप्सी रिपोर्ट में भी दिमाग के उत्तकों में दिक्कत होने की बात सामने आई है. रिसर्च में इस बात का दावा किया गया है कि कोरोना की वजह से दिमाग को क्षति पहुंचने में दो से तीन हफ्ते का वक्त लगता है. हालांकि रिसर्चर्स ने ये साफ किया है कि अगर किसी पेशेंट को पहले से न्यूरो की कोई बीमारी हो और अब उसे कोरोना हो गया है, तो उसे खास देखभाल की ज़रूरत है. रही बात दुनिया के दूसरे रिसर्चर्स की, तो जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, इटली और हॉलैंड में भी कोरोना के मरीजों के दिमाग पर वायरस ने असर किया है. और ऐसे मरीजों के साथ खास बात ये है कि इनमें बुखार या कफ जैसे लक्षण नहीं दिख रहे हैं. और ये एक चिंता की बात है.