Petrol Diesel Price: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 6 महीने के निचले स्तर पर आ गए हैं इसके बावजूद पेट्रोल-डीजल के ऊंचे दामों से आम लोगों को कोई राहत नहीं मिल रही है. जबकि तीन महीने में कच्चा तेल 30 फीसदी से ज्यादा सस्ता हुआ है. वहीं 2 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 93 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए, लेकिन आम आदमी अपनी गाड़ियों में महंगा पेट्रोल-डीजल डलवाने पर मजबूर है. सरकारी तेल कंपनियों ने कच्चे तेल के दामों में कमी के बावजूद पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं किया है. आखिर कच्चा तेल सस्ता होने के बाद भी देश में महंगा पेट्रोल-डीजल क्यों खरीदना पड़ रहा है? आइए जानते हैं... 


भारत में क्या हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
दरअसल देश में महीने भर से पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है. लेकिन इस दौरान लगातार कच्चा तेल निर्यात करने वाले देशों से ब्रेंट क्रूड के सस्ता हुआ है. ऐसे में देश में गाड़ियों का ईंधन कब सस्ता होगा ये सवाल जनता पूछ रही है. आज देश की राजधानी नई दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये और डीजल का भाव 89.62 रुपये पर है. वहीं आर्थिक राजधानी मुबंई में पेट्रोल की कीमत 106.65 रुपये और डीजल का भाव 94.28 रुपये है.  


कब और कैसे घटेंगे देश में फ्यूल के दाम
वैश्विक स्तर पर अगर क्रूड ऑयल के दाम कुछ और दिन तक निचले स्तर पर बने रहते हैं तभी भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें नीचे आएंगी. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक घरेलू स्तर पर खुदरा कीमतें 15 दिन के 'रोलिंग' ऐवरेज के बेस पर तय की जाती हैं. ऐसे में ग्लोबल स्तर पर कीमतों में लगातार गिरावट के बाद ही देश में दाम घटेंगे.




क्या कहते हैं एक्सपर्ट
पेट्रोल-डीजल एसोसिएशन के प्रवक्ता निश्चल सिंधानिया ने एबीपी न्यूज़ से विस्तार से बातचीत करते हुए कहा, "पिछले कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंची थी, लेकिन अब 93 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है. आम लोग सरकार से ये उम्मीद लगाए बैठे हैं कि पेट्रोल और डीजल के दाम कम होंगे." 


पेट्रोल-डीजल के दाम घटने के कम आसार 
निश्चल सिंधानिया ने ईंधन के दाम कब कम होंगे के सवाल पर कहा, "पेट्रोल-डीजल के दाम घटने के कम आसार हैं. इसके पीछे की वजह बताते हुए सिंधानिया ने बताया, जब क्रूड ऑयल के दाम 123 डॉलर प्रति बैरल पहुंचा था तो तब सरकार ने एक्साइज ड्यूटी कम करके मार्केट में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ने दिए थे. पिछले क्वार्टर में तीनों ऑयल कंपनियों, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने दाम नहीं बढ़ने की वजह से 18,000 करोड़ से ज्यादा का घाटा उठाया था." 


ग्राहकों को नहीं मिलेगी राहत
उन्होंने कहा, यह मुमकिन नहीं है कि अब कच्चे तेल के दाम 93 डॉलर प्रति बैरल होने के बावजूद ऑयल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं घटाएंगी. ऑयल कंपनियां पहले हुए अपने पुराने नुकसान की भरपाइ करेंगी. निश्चल सिंधानिया ने लोगों को राहत मिलने के सवाल पर कहा, जहां तक ग्राहकों और डीलरों का सवाल है निसंदेह रेट कम होने से सबको फायदा होगा, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है.  




21 मई को कम हुए थे रेट
केंद्र सरकार ने आखिरी बार 21 मई को पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करते हुए दाम घटाए थे. इस फैसले के बाद देश में पेट्रोल के दाम 9.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल 7 रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ था. इसके बाद से ही बाजार में पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर बने हुए हैं.


इन देशों की संयुक्त कोशिश
हाल में अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया सहित भारत जैसे प्रमुख तेल की खपत वाले देशों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों को कम करने की संयुक्त कोशिशें की थीं. इसका कुछ खास असर नहीं देखने को मिला. इन देशों ने अपने स्ट्रेटेजिक रिजर्व से कच्चे तेल को रिलीज करने का ऐलान किया था, लेकिन इन घोषणाओं का भी अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा.


बता दें कि पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पेट्रोल की कीमत बढ़ने का एक मुख्य कारण केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा टैक्सों की ज्यादा वसूली करना है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में भले ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हों लेकिन उसका असर घरेलू बाजार में इसलिए नहीं होता है क्योंकि पेट्रोल-डीजल खरीदने वाले आम उपभोक्ता पहुंचते-पहुंचते सरकार कई तरह के टैक्स लगा देती है, जिससे दाम कम नहीं होते.