Explained: कैसे तय होते हैं कोरोना के एक्टिव केस? बीमारी से ठीक हुए लोगों की तुलना में कम होना कोई उपलब्धि नहीं
भारत में कोरोना के ऐक्टिव केस की संख्या की तुलना में ठीक होने वालों का आंकड़ा ज्यादा हो गया है. इसे लोग राहत की खबर बता रहे हैं. लेकिन क्या सच में ये इतनी राहत की खबर है?
भारत में कोरोना संक्रमित लोगों का कुल आंकड़ा 2,97,535 तक पहुंच गया है. इनमें से 1,47,194 लोग इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं. वहीं 8498 लोगों की मौत हो चुकी है. फिलहाल देश में कोरोना के ऐक्टिव केस की कुल संख्या 1,41,842 है, जो ठीक हुए लोगों की तुलना में कम है. लेकिन क्या आपको पता है कि ये ऐक्टिव केस हैं कौन? क्या ऐक्टिव केस का मतलब सिर्फ ये है कि जिनका इलाज चल रहा है या फिर जिन्हें कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से घरों में आइसोलेट किया गया है. अगर आपका जवाब हां में है, तो आप गलत हैं.
ऐक्टिव केस का मतलब है ऐसे लोग, जो पिछले 14 दिन के अंदर कोरोना से संक्रमित हुए हैं. भारत में ऐक्टिव केस की यही परिभाषा है. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि कि WHO भी यही कहता है कि ऐक्टिव केस वो केस हैं, जो पिछले 14 दिनों के अंदर किसी कोरोना संक्रमित शख्स के संपर्क में आए हैं या फिर पिछले 14 दिनों के अंदर उनका कोविड 19 टेस्ट पॉजिटिव आया है. यानि कि फिलहाल देश में जो ऐक्टिव केस की संख्या है 1,41,842 वो पिछले 14 दिनों में संक्रमित हुए लोगों के ही आंकड़े हैं. और अब अगर बात करें बीमारी से ठीक हुए लोगों की, तो ये आंकड़े तब के हैं, जब से ये बीमारी देश में फैली है और लोग इलाज के लिए अस्पतालों में जा रहे हैं. सीधा सा मतलब ये है कि हम और आप जिस आंकड़े को देखकर थोड़ा संतोष जता रहे हैं कि चलो ठीक हुए लोगों की तुलना में ऐक्टिव केस की संख्या कम है, दरअसल वो आंकड़े और ज्यादा डरावने हैं.
लिहाजा इस बात पर खुश होने की ज़रूरत नहीं है कि देश में ऐक्टिव केस की तुलना में ठीक हुए लोगों का आंकड़ा ज्यादा है. ये खुशी या ये संतोष तब जाहिर किया जा सकता है, जब अगले 14 दिनों तक हर दिन के लिहाज से ठीक होने वालों का आंकड़ा ज्यादा हो और नए केस का आंकड़ा कम हो. लेकिन अभी तो हो उल्टा रहा है. अब 11 जून का ही उदाहरण ले लीजिए. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 11 जून को देश में कुल नए केस आए थे 9,996. और 11 जून को अस्पतालों से डिस्चार्ज होने वालों की संख्या थी 5,826. मतलब साफ है कि अब भी संक्रमण का रेट, रिकवरी रेट से ज्यादा है.
अब चूंकि ऐक्टिव केस की परिभाषा ही यही कहती है कि उन केस को ऐक्टिव केस माना जाएगा, जो पिछले 14 दिनों में कोरोना से संक्रमित हुए हैं. तो इस लिहाज से रिकवरी रेट को भी देखना होगा. अब अगर अगले 14 दिनों में रिकवरी रेट, संक्रमण रेट से बेहतर होता है तब तो ये माना जा सकता है कि भारत में कोरोना का असर थोड़ा कम हो रहा है. लेकिन अभी तो ये दूर की कौड़ी लग रही है.
इसके अलावा अस्पताल से डिस्चार्ज होने की गाइडलाइंस भी रिकवरी रेट पर असर डाल रही हैं. कई राज्यों ने ऐसी गाइडलाइंस बनाई हैं कि एसिम्प्टोमेटिक मरीज या बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों को भी अस्पताल से डिस्जार्च कर दिया जा रहा है और उन्हें घर में क्वारंटीन रहने को कहा जा रहा है. लेकिन आंकड़ों में ऐसे एसिम्प्टोमेटिक मरीज रिकवर हुए मरीजों में गिने जा रहे हैं. ऐसे में ये कहना कि कुल संक्रमितों की तुलना में संक्रमण से ठीक हुए लोगों की संख्या ज्यादा हो गई है, थोड़ी जल्दबाजी होगी.