Arvind Kejriwal CBI Questioning: दिल्ली शराब घोटाला मामले में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के बाद अब सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सीबीआई ने उन्हें इस मामले में 16 अप्रैल को तलब किया और 9 घंटे की लंबी पूछताछ हुई. बताया गया कि केजरीवाल से करीब 50 से ज्यादा सवाल पूछे गए. जो सभी शराब घोटाले से जुड़े थे. इससे पहले इसी मामले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया गिरफ्तार हो चुके हैं, ऐसे में सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर भी बयानबाजी होने लगी है. खुद उनकी पार्टी के नेताओं ने इसकी आशंका जताई है. अब आम लोगों के लिए सीएम की गिरफ्तारी की बातें सुनना भी काफी अजीब है, क्योंकि इसे लेकर लोगों के बीच कई तरह के भ्रम हैं. इसीलिए आज जानते हैं कि पुलिस या कोई जांच एजेंसी किसी राज्य के सीएम को कैसे गिरफ्तार कर सकती है और इसके लिए क्या कानूनी प्रक्रिया है.
केजरीवाल से हुई 9 घंटे तक पूछताछ
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सीबीआई ने एक नोटिस भेजकर 16 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा था. सीबीआई ने कहा था कि उनसे दिल्ली शराब घोटाला मामले को लेकर पूछताछ की जाएगी. जिसके बाद केजरीवाल सवालों के जवाब देने सीबीआई दफ्तर पहुंचे. एक तरफ जहां सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है, वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी के तमाम बड़े नेता प्रदर्शन कर रहे थे. जिसके बाद पुलिस ने सभी को हिरासत में ले लिया. केजरीवाल ने खुद बताया कि उन्हें करीब 56 सवालों के जवाब दिए. इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वो आम आदमी पार्टी को खत्म करने की कोशिश कर रही है. इसके बाद सीबीआई की तरफ से दोबारा बुलाए जाने के कोई संकेत तो नहीं दिए गए, लेकिन AAP नेताओं ने गिरफ्तारी को लेकर आशंका जतानी शुरू कर दी. इसे लेकर पार्टी दफ्तर में एक इमरजेंसी बैठक भी बुलाई गई.
लीगल एक्सपर्ट ने बताया क्या है कानूनी प्रक्रिया
मुख्यमंत्री किसी भी राज्य का मुखिया होता है, ऐसे में उसकी गिरफ्तारी भी काफी बड़ी हो जाती है. अब सवाल ये है कि किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस या जांच एजेंसी को क्या करना होता है? सीएम को अरेस्ट करने की कानूनी प्रक्रिया आम नागरिकों से कितनी अलग है? इसे लेकर हमने लीगल एक्सपर्ट और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विराग गुप्ता से बात की.
उन्होंने बताया, "सीआरपीएसी में जो गिरफ्तारी को लेकर प्रावधान हैं, उनमें तीन मामलों में गिरफ्तारी हो सकती है- पहला जब सबूतों से साथ छेड़छाड़ हो सकती हो, दूसरा अगर कोई भाग सकता है और तीसरा जब कस्टोडियल इंटेरोगेशन जरूरी हो. क्रिमिनल मामलों में मंत्री या मुख्यमंत्री के लिए कोई खास विशेषाधिकार नहीं हैं. कई मंत्रियों की पहले भी गिरफ्तारी हुई है. इसमें अगर कोई विधानसभा का सदस्य है, मंत्री है या फिर मुख्यमंत्री है और विधानसभा सेशन चल रहा है तो स्पीकर या विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करना जरूरी है. जहां तक किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की बात है तो इसमें अदालत यह भी देख सकती है कि मामला कितना पुराना है, अगर पुराने मामले में अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई तो आगे गिरफ्तारी का क्या औचित्य है."
लीगल एक्सपर्ट ने सीएम की इम्यूनिटी को लेकर कहा, किसी भी मुख्यमंत्री या मंत्री के पास विशेष इम्यूनिटी नहीं होती है. आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से विशेष सुरक्षा राज्यपाल और राष्ट्रपति को मिलती है. सदन के अंदर किसी भी सदस्य की गिरफ्तारी करना मुमकिन नहीं है, लेकिन सदन के बाहर अगर क्रिमिनल मामले में किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करना है तो उन मामलों में स्पीकर या विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करना जरूरी है.
सदन में होती है इम्यूनिटी
मुख्यमंत्री या फिर किसी भी विधानसभा सदस्य को सदन में दिए गए भाषण में इम्यूनिटी मिलती है. यानी सदन में अगर कोई सदस्य बयान देता है तो उस पर बाहर कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है. इसीलिए कई नेता सदन से ही तमाम बड़ी हस्तियों का नाम लेकर कटाक्ष करते हैं और उन पर आरोप लगाते हैं. हाल ही में राहुल गांधी के मामले से इसे समझ सकते हैं, राहुल गांधी ने एक जनसभा के दौरान मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था, जिसके चलते उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई. हालांकि अगर यही बयान राहुल सदन के भीतर देते तो इम्यूनिटी के चलते वो बच सकते थे.
क्या है दिल्ली शराब घोटाला?
दिल्ली सरकार पर आरोप है कि उसने कथित तौर पर करोड़ों रुपये का शराब घोटाला किया है. 2021 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार नई एक्साइज पॉलिसी लेकर आई थी, जिसमें कई तरह के बड़े बदलाव किए गए. प्राइवेट हाथों में शराब के कारोबार की कमान सौंप दी गई और दावा किया गया कि इससे शराब माफिया खत्म हो जाएगा. इसके अलावा ये भी कहा गया कि दिल्ली सरकार के रेवेन्यू में काफी इजाफा होगा. हालांकि नतीजे दिल्ली सरकार के दावों से अलग आए, सरकार को राजस्व में इससे बड़ा नुकसान हुआ और प्राइवेट ठेके चलाने वालों ने अपनी मर्जी से शराब बेचनी शुरू कर दी. शराब पर दिल्ली में लुभावने ऑफर दिए जाने लगे. आरोप लगा कि लाइसेंस बांटने में दिल्ली सरकार ने करोड़ों रुपये लिए. बाद में मुख्य सचिव की तरफ से एलजी को इसकी शिकायत दी गई और एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. सीबीआई ने मामला दर्ज कर गिरफ्तारियां करना शुरू किया, पहले डिप्टी सीएम और अब सीएम केजरीवाल तक तक जांच की आंच पहुंच गई.
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