Drone Explainer: आज 'ड्रोन' (Drone) एक ऐसा शब्द है जो शायद किसी के लिए नया न हो. कोई इवेंट हो, शादी समारोह (Marriage Event) हो, कहीं कर्फ्यू (Curfew) लगा हो और पुलिस को किसी विशेष इलाके की निगरानी करनी हो, किसान को खेतों में निगरानी रखनी हो या फिर दवाओं का छिड़काव करना हो और तो और आज कल तो तस्कर भी हथियारों की तस्करी, ड्रग्स की तस्करी में ड्रोन्स का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. ड्रोन को देखकर हर किसी के मन में ये विचार आता होगा आखिर ये कैसे बनता होगा?, किस टेक्नोलॉजी पर काम करता होगा? इसको बनाने में किन इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल किया जाता होगा? यह कितनी दूरी तक रिमोट के जरिए कंट्रोल किया जा सकता होगा? आज हम आपको ड्रोन से जुड़े उन सभी सवालों के जवाब देंगे जो अब तक आपके मन कौंध रहे थे.


ड्रोन एक उड़ने वाली मशीन (Flying Robot) होती है  होता है जिसे हम रिमोट कंट्रोल (Remote Controle) से नियंत्रित करते हैं. ड्रोन का आविष्कार हमने अपने उन कठिन कामों को बहुत ही आसान बनाने के लिए किया है, जिसे करने में हमारी जान जाने का खतरा होता है. इसकी मदद से हम उन सभी कामों को आसानी से कर लेते हैं जिनको करने में एक इंसान को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ सकती है. आज के युग में ड्रोन के आविष्कार को हम उतना ही क्रांतिकारी कह सकते हैं जितना कि नव पाषाण काल में मानव के पहिए के आविष्कार को कहा गया था.


जानिए क्या है ड्रोन टेक्नोलॉजी
अगर हम तकनीकि भाषा में कहें तो ड्रोन को एक मानव रहित एयरक्रॉफ्ट कह सकते हैं. इन ड्रोनों को हम औपचारिक तौर पर बिना चालक का विमान भी कह सकते हैं (Unmanned Aerial Vehicles) या हम इसे मानव रहित विमान प्रणाली (Unmanned Aircraft Systems) भी कह सकते हैं. ड्रोन ऐसे फ्लाइंग रोबोट्स होते हैं जिन्हें हम रिमोट कंट्रोल के जरिए नियंत्रित करते हैं. इसमें जीपीएस और सेंसर लगे होते हैं. रिमोट कंट्रोल के अलावा ड्रोन सॉफ्टवेयर की मदद से स्वचालित भी होते हैं. जो अपना टारगेट निर्धारित करके सीमित समय में आपके पास आ जाते हैं. स्वचालित ड्रोन में लगे सेंसर और जीपीएस का एंबेडेड सिस्टम लगा होता है जिसके माध्यम से हवा में तेज गति से उड़ान भरते हैं.  


सैन्य कार्यों में होता है ड्रोन का बेहतरीन इस्तेमाल
जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि ड्रोन एक मानव रहित रिमोट से कंट्रोल किया जाने वाला या स्वचालित रोबोट होता है. ऐसे में इसका इस्तेमाल उन जगहों पर ज्यादा किया जाता है जहां आपकी जान की जोखिम का खतरा हो. सैन्य गतिविधियों के दौरान हमें ड्रोन का सबसे सटीक और बेहतरीन इस्तेमाल देखने को मिलता है. क्योंकि ड्रोन मानव रहित विमान है इस वजह से युद्ध में पायलट भेजे जाने का खतरा उठाए बिना ही हम इससे लगातार उड़ान भरकर दुश्मनों के बंकरों तक पहुंच सकते हैं और हमला भी कर सकते हैं. यह तब तक उड़ान भर सकता है जब तक इसमें ऊर्जा खत्म नहीं हो जाती है और इसमें मैकेनिकल समस्याएं भी नहीं आती हैं. 


जानिए कैस काम करता है ड्रोन? 
जब हम ज्वॉयस्टिक और जीपीएस सिस्टम की मदद से ड्रोन को उड़ाते हैं तो ठीक वैसा ही महसूस होता है जैसे कि हम वीडियो गेम खेलने के दौरान महसूस करते हैं. ड्रोन उड़ाने के इस आसान यूजर इंटरफेज के पीछे एक accelerometer, एक gyroscope और दूसरी complex technologies का उपयोग किया जाता है, ताकि ड्रोन को उड़ाने के तरीके को जितना हो सके उसे उतना ही आसान बनाया जा सके.


ड्रोन को हम स्मार्टफोन और टेबलेट के माध्यम से वायरलेस कनेक्टिविटी से भी कंट्रोल करते हैं. कुछ एप्स की मदद से हम ड्रोन के उड़ने के पाथ को भी सेट कर सकते हैं, जिसके बाद ये प्री-प्लान्ड तरीके से खुद से उड़ता है. इसके लिए GPS का होना बहुत जरूरी होता है. वायरलेस कनेक्टिविटी इसका सबसे खास फीचर है. इसके अलावा रियल टाइम बैट्री चार्ज ट्रैकिंग भी महत्वपूर्ण फीचर है. ड्रोन का वजन कम रखने के लिए हल्की बैट्रियों का इस्तेमाल किया जाता है. 


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