Explainer: कोरोना काल में चुनावी रैलियों का क्या है विकल्प? पूरी दुनिया में ऐसे समय भी कैसे हो रहा है चुनाव प्रचार?
Election Rallies: लोकतंत्र में चुनाव जरूरी हैं और चुनाव प्रचार के लिए रैलियां.. लेकिन कोरोना काल में रैलियों का विकल्प क्या है? और पूरी दुनिया में कोरोना काल में चुनाव प्रचार कैसे हो रहा है?
![Explainer: कोरोना काल में चुनावी रैलियों का क्या है विकल्प? पूरी दुनिया में ऐसे समय भी कैसे हो रहा है चुनाव प्रचार? Election Rallies Alternate amid Corona Omicron crisis? How Election campaign going on all over the world Explainer: कोरोना काल में चुनावी रैलियों का क्या है विकल्प? पूरी दुनिया में ऐसे समय भी कैसे हो रहा है चुनाव प्रचार?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/12/28/53ed497d0934fe9f85881e3da7c49e05_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Corona Omicron Crisis: देश और दुनिया में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन (Omicron Variant) के केस जिस तेजी से बढ़ रहे हैं. उसी की वजह से पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपना UAE का दौरा रद्द कर दिया है. लेकिन देश में हो रही चुनावी रैलियों पर कोई रोक नहीं दिख रही. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि चुनाव प्रचार (Election Campaign) का सिर्फ एक ही तरीका है. बड़ी-बड़ी रैलियां, बड़ी-बड़ी भीड़.. कोरोना काल (Corona Crisis) में सबकुछ ऑनलाइन हो रहा है. बच्चों की पढ़ाई से लेकर, हमारे आपके ऑफिस का काम तक... तो फिर नेताजी की रैली ऑनलाइन क्यों नहीं हो सकती है. आज हम आपके लिए विदेशों का उदाहरण लेकर आए हैं, जो बताएंगे कि कोरोना काल में चुनाव होते कैसे हैं.
दुनिया में कैसे हुए चुनाव?
कोरोना काल में पूरी दुनिया में चुनाव हुए. अमेरिका से लेकर सिंगापुर तक चुनाव हुए. भारत अकेला देश नहीं है जहां जनवरी 2020 यानि कोरोना की आमद के बाद से चुनाव हुए. दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र अमेरिका हो या सबसे छोटा लोकतंत्र सिंगापुर, कई जगह चुनाव हुए और कोरोना पाबंदियों के बीच प्रचार अभियान भी हुए.
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से क्या सबक?
दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका का उदाहरण सबसे ताजा है. यहां साल 2020 में राष्ट्रपति चुनाव हुए. तब अमेरिका में कोविड की स्थिति भी खराब थी. इन चुनावों में एक तरफ तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारी भीड़ के साथ रैलियां कर रहे थे. वहीं उनके मुकाबले में खड़े जो बाइडेन छोटी-छोटी रैलियां कर रहे थे. फोन पर और सोशल मीडिया पर कैंपेन का सहारा ले रहे थे. नतीजे सामने आए तो कोरोना प्रोटोकॉल्स के तहत प्रचार करने वाली टीम बाइडेन के पक्ष में रहा.
कोविड प्रोटोकॉल्स के तहत चुनाव
दुनिया में ऐसे बहुत से देश हैं जहां कोविड प्रोटोकॉल्स के तहत चुनाव हुए. सिंगापुर, क्रोएशिया, मलेशिया, अमेरिका, रोमानिया, जॉर्डन
इन देशों ने चुनाव प्रचार पर कई तरह के नियंत्रण लगाए. जॉर्डन ने तो नवंबर 2020 में बड़ी रैलियों पर रोक लगा दी थी. जॉर्डन में रैलियों में 20 लोगों की संख्या निर्धारित थी. लेकिन ऐसे भी देश थे, जिन्होंने कोरोना काल में चुनाव करवाए और किसी भी तरह की पाबंदी का पालन नहीं करवाया. ऐसे देशों में कोरोना बहुत तेजी से फैला. चुनावों के बाद कोरोना विस्फोट हुआ.
चुनाव से कहां-कहां कोरोना विस्फोट?
पोलैंड में दूसरे चरण के मतदान में कोरोना प्रोटोकॉल्स को ताक पर रखा गया और इसके बाद देश में कोरोना केसे बढ़ने लगे. मलेशिया में अक्टूबर 2020 में चुनाव हुए जिसके बाद केस बढ़े, तो चुनावी रैलियों को जिम्मेदार माना गया. ब्राजील में भी नवंबर 2020 में चुनाव हुए, तो 20 उम्मीदवारों की कोरोना से मौत हो गई.
यानी ये तो साफ है कि अगर प्रचंड कोरोना काल में चुनाव प्रचार हुआ तो फिर केस बढ़ेंगे. इसलिए पार्टियों को जल्द से बड़ी-बड़ी रैलियां बंद करनी होंगी तो फिर तरीका क्या है? तरीका है वर्चुअल रैली.. जिसके लिए बीजेपी तैयार भी है.
वर्चुअल रैली के लिए बीजेपी तैयार
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने एक बयान में कहा, 'वर्चुअल रैली के लिए BJP तैयार है. हमने बंगाल के चुनाव में भी वर्चुअल रैली की थी. कोविड के दौरान जब दुनिया की सभी राजनीतिक पार्टियां हाइबरनेशन में थी उस समय भी BJP के कार्यकर्ता और पार्टी के सभी लोग वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे थे.
ये भी पढ़ें-
Covid-19: थर्ड वेव का दिखने लगा असर! दिल्ली से मुंबई तक कोरोना केस में बड़ा उछाल, एक दिन में दोगुने केस
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/e4a9eaf90f4980de05631c081223bb0f.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)