Explained: केरल में मंकीपॉक्स के दूसरे मामले की पुष्टि, क्या भारत में इसके फैलने का खतरा है?
Monkeypox Outbreak Risk In India: मंकीपॉक्स में मृत्यु दर (Fatality Rate)कम हैं और ये इंसान में खुद तक ही सीमित रहने वाला रोग है. चेचक का टीका (Smallpox Vaccine) इसे रोकने में काफी हद तक कारगर है.
Monkeypox Outbreak Risk In India: देश में मंकीपॉक्स (Monkeypox) संक्रमण के दूसरे मामले का पता चलने के बाद से ही लोगों के दिमाग में इस बीमारी को लेकर भी आशंकाएं घर करने लगी हैं. देश में इस बीमारी का पहला मामला 14 जुलाई को सामने आया था. इसके तीन दिन बाद ही केरल (Kerala) में इसके दूसरे मामले के सामने आने के बाद से ही लोगों में इस बीमारी को लेकर डर फैलने लगा है. हालांकि मंकीपॉक्स कम मृत्यु दर (Fatality Rate) के साथ एक आत्म सीमित (Self-Limiting) रहने वाली बीमारी है. मतलब इसका संक्रमण खुद से ही अपने स्तर पर ठीक हो जाने वाला होता है. इसे आसानी से चिकित्सकीय तौर पर रोका जा सकता है यानि इलाज के जरिए इस पर रोक लगाई जा सकती है. मंकीपॉक्स बीमारी के साथ एक अच्छी बात है कि बहुत हद तक चेचक का टीका (Smallpox Vaccine) इस बीमारी से बचाव में कारगर साबित होता है.
देश में मंकीपॉक्स के मामले
भारत (India) में मंकीपॉक्स का पहला मामला 14 जुलाई को सामने आया था. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से लौटे एक 35 साल के शख्स में मंकीपॉक्स होने की पुष्टि हुई थी. इसके बाद एक उच्च-स्तरीय बहु-अनुशासनात्मक केंद्रीय टीम केरल (Kerala) भेजी गई थी. इस टीम को सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों (Public Health Measures) को लागू करने करने के लिए राज्य के अधिकारियों की मदद करने के लिए भेजा गया था. इसके बाद 14 जिलों में अलर्ट जारी करने के साथ ही राज्य के चारों हवाई अड्डों पर हेल्प डेस्क (Help Desks) बना दी गईं हैं. इसके बाद 13 जुलाई को दुबई (Dubai) से केरल राज्य के कन्नूर (Kannur) पहुंचे 31 साल के एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स संक्रमण का दूसरा मामला सोमवार 18 जुलाई को आया. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ( Health Minister Veena George ) ने बताया कि कन्नूर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती मरीज की हालत स्थिर है.
कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को हैं अधिक जोखिम
द न्यू यॉर्क टाइम्स (The New York Times) ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग (National Institute On Aging) के वैज्ञानिक निदेशक डॉ लुइगी फेरुची (Luigi Ferrucci) के हवाले से लिखा, "लब्बोलुआब यह है कि यहां तक कि जिन लोगों को कई दशक पहले टीका लगाया गया था, उनके शरीर बहुत उच्च स्तर के एंटीबॉडी बनाए रखता है. भले ही यह टीका उन्हें 50 साल पहले लगाया गया हो, फिर भी वही सुरक्षा होनी चाहिए." हालांकि उन्होंने यह भी कहा, "कुछ मानव समूह संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और इनमें ये गंभीर स्तर तक पहुंच सकता है. खासकर यह फेफड़ों और आंखों को संक्रमित करता है." आईसीएमआर (ICMR-) पुणे (Pune) की सीनियर वैज्ञानिक डॉ प्रज्ञा यादव (Pragya Yadav) के मुताबिक, इस अधिक जोखिम वाले ( High Risk) समूह में बच्चे, गर्भवती महिलाएं और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता जैसे मधुमेह (Diabetes) वाले मरीज आते हैं. इन लोगों में दूसरों की तुलना में मंकीपॉक्स के अधिक गंभीर परिणाम देखने को मिल सकतें हैं.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
यह एक इंसान से दूसरे इंसान में एक-दूसरे की सांस ड्रॉप्लेट्स (Respiratory Droplets) के जरिए फैलता है. हालांकि यह तभी संभव है, जब कोई दूसरा इंसान संक्रमित मरीज के साथ बहुत लंबे वक्त तक नजदीकी संपर्क में रहा हो. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry ) का कहना है कि मंकीपॉक्स का वायरस मरीज के शरीर के तरल पदार्थ या घाव के सीधे संपर्क में आने से फैलता है. मरीज के इस्तेमाल किए गए कपड़ों के जरिए भी ये फैलता है. हालांकि,मंकीपॉक्स खास तौर पर एक जूनोसिस (Zoonosis) है, मतलब ऐसी बीमारी जो संक्रमित जानवरों से इंसानों में फैलती है. अफ्रीका (Africa) में इस बीमारी के फैलने की यही वजह रही, लेकिन भारत में मंकीपॉक्स के इस तरह फैलने की संभावना बेहद कम है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि जानवरों से इंसान में मंकीपॉक्स संक्रमण केवल संक्रमित जानवरों के काटने, खरोंचने या जंगली जानवरों का मांस खाने से ही फैल सकता है. इनमें चूहे, गिलहरियां,बंदर जैसे जानवर शामिल हैं.
मंकीपॉक्स के लक्षण
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मंकीपॉक्स वायरस एक ऑर्थोपॉक्सवायरस (Orthopoxvirus) है, जो चेचक (Smallpox) के वायरस वेरियोला (Variola) के वंश का है. मंकीपॉक्स में भी चेचक के जैसे लक्षण दिखते हैं, हालांकि वे कम गंभीर होते हैं. ये लक्षण दो से चार सप्ताह के बीच रहते हैं. पहले 5 दिन के दौरान मरीज इन लक्षणों में से एक का अनुभव कर सकते हैं. इन लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकावट, ठंड लगना, पसीना आना, गले में खराश और खांसी हैं. मरीजों के शरीर में चकत्ते निकलते है और आमतौर पर यह बुखार शुरू होने के 1-3 दिनों के अंदर ही निकल आते हैं. यह शरीर में लगभग 2-4 हफ्ते तक रहते हैं. मंत्रालय का कहना है, "घावों को अक्सर उपचार चरण तक दर्दनाक बताया जाता है, जब उनमें खुजली शुरू हो जाती हैं."मंत्रालय के अनुसार, त्वचा पर चकत्ते धड़ की तुलना में अंगों और चेहरे पर अधिक साफ दिखते हैं. खासकर जननांग के हिस्से में इनके होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसे लेकर डॉक्टर एसटीडी (STD) होने के भ्रम में पड़ जाते हैं इस वजह से इसका इलाज आसान नहीं होता.सामान्य आबादी में मंकीपॉक्स के मामले में मृत्यु अनुपात ऐतिहासिक रूप से 0 से 11 फीसदी तक रहा है, लेकिन छोटे बच्चों के मामले में यह अधिक रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है, "हाल के दिनों में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 फीसदी रहा है."
मंकीपॉक्स का इलाज क्या है?
मंकीपॉक्स का अभी तक कोई प्रमाणित इलाज नहीं है. डब्ल्यूएचओ (WHO) लक्षणों के आधार पर सहायक उपचारों की सिफारिश करता है. संक्रमित लोगों को तुरंत आइसोलेट (Isolate) करने की सलाह दी गई है. मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइन्स जारी की हैं. इसके मुताबिक त्वचा पर चकत्ते को साधारण एंटीसेप्टिक से साफ किया जाना चाहिए. बड़े घावों को हल्की ड्रेसिंग के साथ कवर किया जाना चाहिए. मुंह के छालों का इलाज गर्म -नमकीन गरारे से करना चाहिए. डॉक्टरों का कहना है कि मंकीपॉक्स एक बहुत आसानी से समझ में आने वाली बीमारी है. इसमें पहले से ही प्रचलन में लाए जा रहे क्लीनिकल उपचार (Clinical Remedie) इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं. नानावती अस्पताल (Nanavati Hospital) के आंतरिक चिकित्सा और संक्रामक रोगों की वरिष्ठ सलाहकार डॉ हेमलता अरोड़ा (Hemlata Arora) ने बताया, "हम लोगों से कहते हैं कि वो बिल्कुल घबराए नहीं,लेकिन सबसे अहम बात हैं कि लोग मंकीपॉक्स को अन्य सामान्य वायरल संक्रमण (Common Viral infection) की तरह न लें." मंकीपॉक्स के लिए कोई खास टीका फिलहाल उपलब्ध नहीं है.
क्या मंकीपॉक्स से दुनिया भर में पब्लिक हेल्थ खतरे में है ?
अगर हम ये कहें कि मंकीपॉक्स से दुनिया भर को कोरोना महामारी जैसा खतरा है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. देखा जाए तो मंकीपॉक्स (Monkeypox) एक खुद में ही रहने वाली बीमारी है. इसका मतलब है यह बीमारी खुद ही अपना इलाज ढूंढ लेती है. इसके साथ ही यह मरीज की सेहत पर लंबे वक्त तक कोई हानिकारक प्रभाव नहीं छोड़ती. अच्छी प्रतिरोधक क्षमता (Immune Systems) वाले बच्चों और वयस्क में संक्रमित होने के बाद भी उन पर यह अधिक असर नहीं दिखा पाती है. चेचक का टीका मंकीपॉक्स के खिलाफ बेहतरीन काम करता है और इससे लंबे समय तक बचाव करता है.
दुनिया में कितना फैला है मंकीपॉक्स
मई की शुरुआत से ही मंकीपॉक्स दुनिया (World) भर में तेजी से फैल रहा है. इस बीमारी को लेकर एक फैक्ट आश्चर्य में डालने वाला है कि खासकर समलैंगिक (Gay) और उभयलिंगी (Bisexual) पुरुष इस बीमारी का शिकार अधिक बन रहे हैं. इनमें इस बीमारी के लक्षण अक्सर जननांग ( Genital ) और गुदा (Anal ) पर चकत्तों जैसे दिखाई पड़ रहे हैं. इनकी वजह से डॉक्टर्स को भी इसके दाद (Herpes) या सिफलिस (Syphilis) होने का भ्रम हो रहा है. डब्ल्यूएचओ (WHO) ने बताया है कि मौजूदा वक्त में इसका प्रकोप कई देशों में है. यह बीमारी उन देशों में भी पैर पसार रही है जहां यह बीमारी आमतौर पर पहले नहीं पाई गई है. ऐसे देशों में यूरोप ( Europe), अमेरिका ( America), अफ्रीका (, Africa), पश्चिमी प्रशांत (Western Pacific) और पूर्वी भूमध्यसागरीय (Eastern Mediterranean) जैसे देश शामिल हैं. यहां तक कि अफ्रीका के उन हिस्सों में जहां मंकीपॉक्स के मामले पहले सामने आ चुके हैं, वहां भी इसका प्रकोप साल 2022 में पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है. नाइजीरिया (Nigeria), डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (Democratic Republic Of Congo), सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक(Central African Republic) में मंकीपॉक्स के संक्रमण प्रकोप बेहद अधिक है. हालांकि इस बीमारी में मृत्यु दर कम है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर लगभग तीन से छह फीसदी ही है.
अभी सबसे अधिक मामले स्पेन में
रायटर ( Reuters) की सोमवार 18 जुलाई की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर अब तक मंकीपॉक्स के 11,500 मामलों की पुष्टि हुई है. इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) में 1,469 और यूके (UK) में 1,856 मामले हैं. सबसे अधिक मामले लगभग 2,500 स्पेन में सामने आए हैं. एक दूसरी रिपोर्ट में, रॉयटर्स ने बताया कि यूरोपीय आयोग (European Commission) ने डेनमार्क (Denmark ) मुख्यालय बायोटेक फर्म बवेरियन नॉर्डिक (Bavarian Nordic.) की बनाई मंकीपॉक्स वैक्सीन (Monkeypox Vaccine) की लगभग 54,000 अतिरिक्त खुराक हासिल की है. यह अतिरिक्त खुराक आयोग ने 110,000 खुराक के लिए पहले आपूर्ति सौदे के बाद हासिल की है. यूरोपीय संघ ( EU) की स्वास्थ्य कमिश्नर स्टेला क्यारीकाइड्स (Stella Kyriakides) ने यूरोप में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा, "मैं यूरोपीय संघ में मंकीपॉक्स के मामलों की बढ़ती संख्या से चिंतित हूं. इस वक्त ईयू ( EU)में अब संक्रमण के 7,000 से अधिक मामले हैं, जो बीते हफ्ते की तुलना में लगभग 50 फीसदी अधिक है."
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