Monkeypox Is Spreading: मंकीपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO ) ने शनिवार 23 जुलाई को हाई अलर्ट जारी किया था. मंकीपॉक्स के दुनिया में बढ़ते जा रहे मामलों को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने ग्लोबल हेल्थ इंमरजेंसी का एलान किया. भारत (India) में भी इसके मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि जानवरों से इंसानों में फैल रही ये बीमारी फैल तो रही है, लेकिन कोविड-19 (Covid-19) की तरह इसके फैलने में उतनी तेजी नहीं है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इस साल 72 देशों से 20 जुलाई तक 14,533 संभावित और प्रयोगशाला-पुष्टि मंकीपॉक्स (Monkeypox) के मामले सामने आए हैं. मई की शुरुआत में इसके मामलों में तेजी दिखाई दी है. दुनिया के 47 देशों में मई की शुरुआत में ही 3,040 मामले आए थे. भारत में भी चार मामले सामने के बाद इस बीमारी को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है.
भारत में मंकीपॉक्स
रविवार 24 जुलाई को ही भारत की राधधानी दिल्ली में 34 साल के व्यक्ति में मंकीपॉक्स संक्रमण की पुष्टि हुई है. इस मामले के सामने आने के बाद देश में चार मामलों की पुष्टि हो चुकी है. दिल्ली के मामले में संक्रमित व्यक्ति के अंतरराष्ट्रीय यात्रा का कोई इतिहास नहीं पाया गया. इसी के साथ ही भारत में लोकल स्तर पर इंसान से इंसान में मंकीपॉक्स फैलने का यह पहला मामला है. इससे पहले केरल में मिले तीनों मामलों में संक्रमित व्यक्ति खाड़ी देशों से वापस लौटे हैं. यह मामला डब्ल्यूएचओ के मंकीपॉक्स के प्रकोप को वैश्तिक स्तर की चिंता बताते हुए इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल यानि पीएचईआईसी (PHEIC) के एलान करने के एक दिन बाद ही आया है. गौरतलब है कि यह डब्ल्यूएचओ की तरफ से उच्चतम स्तर की चेतावनी है.
क्या मतलब है पीएचईआईसी के एलान का ?
पीएचईआईसी (PHEIC) का मतलब है कि दुनिया में किसी महामारी से निपटने के लिए एक-साथ और एक जुट होकर कोशिश करने की जरूरत है. डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक,"पीएचईआईसी एक असाधारण घटना है, जो बीमारी के अंतरराष्ट्रीय प्रसार के जरिए अन्य राज्यों में इंसान की सेहत पर बढ़ते खतरों पर घोषित किया जाता है. इसमें खासकर संभावित तौर से एक समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की जरूरत होती है." दुनिया भर में बढ़ते मामलों के बीच मंकीपॉक्स की बीमारी उन इलाकों में भी फैल गई हैं जहां पहले कभी मंकीपॉक्स का पता नहीं चला था. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस साल 72 देशों में 20 जुलाई तक मंकीपॉक्स के 14,533 संभावित और प्रयोगशाला-पुष्टि के मामले सामने आए हैं. मई की शुरुआत में इन मामलों की संख्या में तेजी आने लगी थी. इस दौरान 47 देशों में 3,040 मामलों मंकीपॉक्स के सामने आए थे. हालांकि इस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या इतनी चिंताजनक नहीं है. मंकीपॉक्स से नाइजीरिया (Nigeria) में तीन और मध्य अफ्रीकी गणराज्य (Central African Republic) में दो लोगों की मौत हुई हैं. इन इलाकों में मंकीपॉक्स की ये बीमारी इसका प्रकोप होने के पहले से ही फैली थी.
मंकीपॉक्स पहले कहां फैला
मंकीपॉक्स कोविड -19 की तरह कोई नई बीमारी नहीं है, जो 2019 में सामने आई थी. मंकीपॉक्स का पहला संक्रमण 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (Democratic Republic of Congo) में नौ महीने के एक बच्चे में हुआ था. इस बीमारी के अधिकांश संक्रमण शुरू में कांगो बेसिन के ग्रामीण और वर्षा वन (Rainforest) इलाकों में इंसानों और जानवरों के बीच संपर्क से फैले थे. साल 2022 में इसके प्रकोप (Outbreak) से पहले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ रहे थे. अफ्रीका के बाहर पहला प्रकोप साल 2003 में हुआ था. तब संयुक्त राज्य अमेरिका (United States ) में मंकीपॉक्स के 70 से अधिक मामले आए थे.
हम बीमारी के बारे में क्या जानते हैं?
मंकीपॉक्स एक स्व-सीमित (Self-limiting) वायरल संक्रमण है, जिसके लक्षण 2-4 हफ्ते तक चलते हैं. हालांकि इसमें मृत्यु दर का अनुपात 0 से 11 फीसदी तक है. इसके सबसे आम लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कम ऊर्जा, और लिम्फ नोड्स (Lymph Nodes) जिन्हें लसिका ग्रंथि कहते हैं में सूजन आ जाती है. इसके साथ ही शरीर में चकत्ते उभरते हैं. ये शरीर में 2-3 हफ्ते तक बने रहते हैं. हालांकि ज्यादातर इसमें हल्के लक्षण ही रोगी में नजर आते हैं, लेकिन छोटे बच्चों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में कई तरह की परेशानियों और मौत की वजह भी बन सकते हैं. इन परेशानियों में निमोनिया, सेकेंडरी स्किन इंफेक्शन, सेप्सिस, एन्सेफलाइटिस और कॉर्निया में संक्रमण शामिल है. कॉर्निया का संक्रमण तो अंधापन तक लेकर आ जाता है.
क्या टीके कारगर हैं?
मंकीपॉक्स वायरस चेचक (Smallpox) के समान ऑर्थोपॉक्स (Orthopox) वायरस परिवार से संबंधित है. हालांकि ये वायरस टीके से अब खत्म कर दिया गया है. ऑर्थोपॉक्स वायरस क्रॉस-रिएक्टिव (Cross-Reactive) हैं, जिसका मतलब है कि मौजूदा चेचक के टीके और चिकित्सीय उपचारों का इस्तेमाल ममंकीपॉक्स के इलाज के लिए किया जा सकता है. हालांकि अधिकतर मामलों में मंकीपॉक्स की बीमारी का इलाज लक्षणों को देख के किया जाता है. लेकिन चेचक के लिए बनाया गया एक एंटीवायरल एजेंट जो टेकोविरिमैट (Tecovirimat) के तौर पर जाना जाता है, उसका इस्तेमाल मंकीपॉक्स के इलाज के लिए किया जा सकता है. मंकीपॉक्स के 2,800 अधिक मामलों का सामना कर रहा अमेरिका (US) इसके इलाज के लिए चेचक के दो टीकों का इस्तेमाल कर रहा है. जीनोस (Jynneos ) की दो खुराक वयस्कों को लगाने की परमिशन है, जबकि एसीएएम 2000 (ACAM2000) वैक्सीन में एक अलग जिंदा ऑर्थोपॉक्स वायरस के कमजोर रूप का इस्तेमाल किया जाता है. यह चेचक के वायरस से अधिक खतरे वाले जोन में आने वाले लोगों जैसे लैब वर्कर्स के बचाव के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, "कई स्टडीज के जरिए चेचक की वैक्सीन के असर का अध्ययन मंकीपॉक्स के केसों पर किया गया और पाया गया कि ये मंकीपॉक्स को रोकने में 85 फीसदी कारगर साबित होती है. इस तरह से पहले जिन लोगों को स्मॉलपॉक्स का टीका लगा है, उन लोगों पर मंकीपॉक्स मामूली सा असर कर सकता है." गौरतलब है कि चेचक के खिलाफ बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान 1980 में बंद हो गया था, क्योंकि इस बीमारी पर काबू पा लिया गया था. इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीरी डिजीज ( Institute Of Liver And Biliary Diseases) में वायरोलॉजी की प्रोफेसर डॉ एकता गुप्ता के मुताबिक," हममें से अधिकतर लोग जो अपने उम्र के 40 वें साल में है, उन लोगों को जन्म के समय चेचक का टीका लग चुका है. इस वजह से ऐसे लोगों में मंकीपॉक्स के संक्रमण होने का कम जोखिम हो सकता है. अभी तक आए मामलों से इस बात को बल भी मिलता है. भारत में रिपोर्ट किए गए मंकीपॉक्स के सभी चार मामलों में मरीजों की उम्र 30 साल या उससे कम है."
अब मामले बढ़ क्यों रहे हैं ?
जानवरों से मनुष्यों में यह संक्रमण (Infection) रक्त, शारीरिक तरल पदार्थ या संक्रमित जानवरों के घावों के सीधे संपर्क के जरिए फैलता है. इंसान से- इंसान में यह या तो बड़े स्तर पर श्वसन स्राव (Large Respiratory Secretion) के जरिए हो सकता है या फिर संक्रमित व्यक्ति या उसकी दूषित वस्तुओं या घावों के संपर्क में आने से फैलता है. डॉ एकता गुप्ता के मुताबिक,"हालांकि, इन्फ्लूएंजा या कोविड -19 के विपरीत, सांस की बूंदों के जरिए से मंकीपॉक्स के फैलने के लिए लंबे वक्त तक आमने-सामने संपर्क की जरूरत होती है. यह आमतौर पर केवल परिवारों और स्वास्थ्य कर्मियों के मामले में होता है." उनका कहना है कि मंकीपॉक्स कोविड -19 की तरह फैलने (Transmissible) वाला नहीं है, इसलिए इससे कोविड महामारी की तरह प्रकोप होने की संभावना नहीं है. हालांकि हाल में इसके बढ़ने की एक वजह ये हो सकती है कि चेचक का टीका उतना अधिक बचाव नहीं कर पा रहा है. यह चेचक के टीके से हर्ड इम्युनिटी में आई गिरावट की वजह से हो सकता है. हर्ड इम्युनिटी का मतलब एक समुदाय या समूह के एक बड़े हिस्सा का किसी बीमारी से प्रतिरक्षित होना होता है. डॉ गुप्ता ने इस बात की जांच करने की जरूरत पर बल दिया है कि क्या कोविड महामारी ने प्रतिरक्षा प्रणाली को इस तरह से प्रभावित किया है, जिससे कि लोग अन्य संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए हैं. कुछ वर्षों में ट्रांसमिशन चेन मतलब लगातार व्यक्ति-से-व्यक्ति में संक्रमणों की संख्या छह से बढ़कर नौ हो गई है. डब्ल्यूएचओ के मंकीपॉक्स प्रमुख विशेषज्ञ डॉ रोसमंड लुईस (Rosamund Lewis) ने यह देखने के लिए शोध करने की अपील की है कि क्या मंकीपॉक्स वायरस में कोई बदलाव आया है ? इस वजह से इसके केस बढ़ रहे हैं या फिर चेचक के खिलाफ प्रतिरक्षित लोगों की संख्या कम होने की वजह से मंकीपॉक्स के केस अधिक आ रहे हैं.
क्या मंकीपॉक्स यौन संपर्कों से फैलता है?
हालांकि डब्ल्यूएचओ का कहना है कि यह साफ नहीं है कि मंकीपॉक्स संक्रमण यौन संबंधों के जरिए फैलता है. मंकीपॉक्स के प्रकोप के जो मौजूदा मामले सामने आए हैं, वह सभी समलैंगिक (Gay) या उभयलिंगी (Bisexual)पुरुषों के हैं. ऐसे में इस पर जांच की जा रही है कि ये यौन संबंधों के जरिए फैल सकता है या नहीं. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ( New England Journal of Medicine) में प्रकाशित लंदन के 528 व्यक्तियों के हालिया विश्लेषण से पता चलता है कि संक्रमित लोगों में से 98 फीसदी समलैंगिक या उभयलिंगी पुरुष थे और 95 फीसदी मामलों में संचरण यौन संबंधों के जरिए हुआ था. जिन 32 में से 29 व्यक्तियों वीर्य का विश्लेषण किया गया था, उनमें मंकीपॉक्स का डीएनए पाया गया था. डॉ. एकता गुप्ता कहती हैं कि यह साफ नहीं है कि यह यौन संबंधों से फैलता है, लेकिन यौन संबंध बनाने के दौरान त्वचा का एक-दूसरे से संपर्क में आना इसकी वजह बन सकता है. इस संक्रमण की चपेट में आने वाले अधिकांश मरीज जननांग (Genital) में घाव की शिकायत करते हैं.
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