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CloudBurst: पहाड़ों में आखिर क्यों आता है जलसैलाब, कैसे फट जाते हैं बादल और कैसे मचाते हैं तबाही, जानिए वजह

CloudBurst: पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं होती रहती हैं. शुक्रवार की शाम में अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से 12 लोगों की मौत हो गई, कई लोग लापता हैं. आखिर कैसे फट जाते हैं बादल...

CloudBurst: जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) के पास बादल शुक्रवार की शाम बादल फटने (Cloud Burst) से जलसैलाब आया और उसमें कई लोग बह गए. अबतक की जानकारी के मुताबिक बादल फटने की घटना में 15 लोगें की मौत की खबर है, वहीं कई लोग लापता बताए जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक शुक्रवार की शाम 5.30 बजे के करीब बादल फटने की घटना के बाद अमरनाथ गुफा के पास बने टेंटों के बीच पानी तेजी से बहने लगा, जिसे देखकर श्रद्धालुओं में चीख-पुकार मच गई. फिलहाल एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है.

इस हादसे ने केदारनाथ में आए भीषण जलसैलाब की घटना की यादें ताजा कर दीं. तब बादल फटने से हजारों लोग मारे गए थे. पूरा देश उस घटना पर रो पड़ा था. देश में बादल फटने की पहली घटना साल 1970 में हुई थी. 

जानिए क्यों फटते हैं बादल
पहाड़ी इलाकों में बारिश के मौसम के दौरान गर्म हवा के रास्ते में जब कोई बाधा आती है तो नमी को लेकर जा रहे बादल फट जाते हैं और इससे जलसैलाब आ जाता है.  पर्वतीय क्षेत्रों में बरसात के दौरान भौगोलिक परिस्थिति व जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. मानसून के समय में नमी के साथ बादल उत्तर की ओर बढ़ते हैं और हिमालय पर्वत उनका रास्ता रोकता है. ऐसे में जैसे ही कोई गर्म हवा का झोंका बादल से टकराता है तो बादल फट जाते हैं. 

क्या है बादल फटना
बादल फटने की घटना को मेघ विस्फोट भी कहते हैं . जिस तरह से पानी से भरा बैलून फूटता है तो उसके भीतर भरा पानी अचानक से बाहर आता है वैसे ही बादल फटने से उसके भीतर का पानी बाहर आता है और वह तेजी से नीचे की ओर गिरता है. उसका बहाव इतना ज्यादा होता है कि उसकी राह में जो कुछ भी आता है  वह सबको बहाकर ले जाता है. बादल फटने से एक सीमित क्षेत्र में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है और वर्षा लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से होती है.

काले बादल ज्यादा फटते हैं
आपको जानकर हैरानी होगी कि आसमान में जो निचाई वाले यानी गरजने वाले वाले काले और रूई जैसे दिखने वाले बादल ही फटते हैं. हर वर्ष बरसात में तीन हजार किलोमीटर की दूरी तय कर बादल बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उत्तर दिशा में पहुंचते हैं.बादलों की इस तबाही से बचने के लिए अभी तक कोई अलार्म नहीं बना है. जो बादलों के फटने और आनेवाली तबाही की जानकारी दे सके.

इस वजह से बढ़ रहीं बादल फटने की घटनाएं 

1.बादलों के रास्ते में अवरोध पहाड़ और गर्म हवा।
2.हरित पट्टी के लगातार घटना।
3.जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए पेड़ों का कटान।
4.शहरीकरण का बढऩा, जिससे तापमान बढ़ रहा है।
5.ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के लिए जंगलों पर दबाव।
6.बरसात के दौरान गर्म हवा क्षेत्र विशेष में बादल फटने का कारण बनती है।

कैसे रोक सकते हैं नुकसान को

पहाड़ों में लोगों को ढलान वाली कच्‍ची जगह पर मकान बनाने से परहेज करना चाहिए।

ढलान वाली जगह मजबूत होने पर ही निर्माण किया जाना चाहिए।

इसके अलावा नदी नालों से दूरी बनानी चा‍हिए।

बारिश के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए.

फटने वाले बादलों को प्रेग्नेंट क्लाउड भी कहते हैं
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बादल फटने का मतलब है-जब एक जगह पर अचानक एकसाथ भारी बारिश हो जाए बादल फटने से पानी से भरे बादल की बूंदें तेजी से अचानक जमीन पर गिरती है. इसे फ्लैश फ्लड या क्लाउड बर्स्ट भी कहते हैं. अचानक तेजी से फटकर बारिश करने वाले बादलों को प्रेगनेंट क्लाउड भी कहते हैं.

कब-कब बादल फटने से आई बड़ी आपदा
14 अगस्त साल 2017 में पिथौरागढ़ जिले के मांगती नाला के पास बादल फटने से 4 लोगों की मौत हो गई थी और कई लापता हो गए थे.
11 मई साल 2016 में शिमला के पास सुन्नी में बादल फटा, भारी तबाही. 
16-17 जून, साल 2013 में केदारनाथ में बादल फटने से करीब 5 हजार लोग मारे गए थे.
6 अगस्त साल 2010  में लेह में बादल फटा था और भारी तबाही. 

ये भी पढ़ें:

Amarnath Cloudburst: अमरनाथ गुफा के पास फटा बादल, 15 लोगों की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

Amarnath Cloudburst : अमरनाथ यात्रा पर फिलहाल किसी तरह की रोक नहीं

 

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