AIFF Suspension: बीते 15 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ, फीफा (FIFA) ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) को निलंबित कर दिया है. था. फीफा ने थर्ड पार्टी के दखल की वजह से यह निर्णय लिया है. फीफा ने इसका कारण बताते हुए कहा कि इंडिया फुटबॉल फेडरेशन द्वारा नियमों के उल्लंघन की वजह से यह फैसला किया गया. दरअसल, यह पूरा मामला AIFF और इसके अध्यक्ष और एनसीपी के नेता प्रफुल पटेल से जुड़ा हुआ है. आरोप है कि नियमों का उल्लघंन करके अनियमितता बरती गई है.
वहीं, इस मामले का तुरंत संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने AIFF को भंग करके कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (CoA) का गठन किया है. इसमें रिटायर्ड जज अनिल दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई कुरैशी और भारत के पूर्व फुटबॉल कैप्टन भास्कर गांगुली शामिल किए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन को ही जिम्मेदारी दी है कि AIFF के संविधान का संशोधन करके चुनाव करवाए.
भारत खो सकता है मेजबानी के अधिकार!
दरअसल, AIFF पर लगभग पिछले 12 साल से प्रफुल्ल पटेल की अध्यक्षता वाली एक्जीक्यूटिव कमिटी काबिज थी. वहां एक लंबे अरसे से चुनाव नहीं हुए थे. 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने प्रफुल्ल पटेल द्वारा बनाई गई कमिटी को हटाते हुए फेडरेशन का प्रशासन संभालने के लिए 3 सदस्यीय कमिटी नियुक्त (CoA) की थी. प्रफुल्ल पटेल इस पद पर अपने कार्यकाल से ज्यादा समय तक टीके रहे. वहीं अगर AIFF से निलंबन समय पर नहीं हटाया गया तो भारत अक्टूबर में अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी के अधिकार खो देगा.
फीफा कई मानको को देखता है
फीफा जैसा अंतर्राष्ट्रीय खेल फेडरेशन यह देखते हैं कि कोई भी सरकारी निकाय जो नियम के अनुसार चुना हुआ नहीं है, लेकिन फिर भी राष्ट्रीय फेडरेशन की सत्ता पर काबिज है. लेकिन वो किसी तीसरे यानी थर्ड पार्टी के हस्तक्षेप से अपने फैसले ले रहा है. जबकि वर्तमान में कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (CoA) AIFF का कार्यभार संभाल रहा है. फीफा इसे अंतरराष्ट्रीय निकाय के कानून के तौर पर एक अस्थायी मानता है. ऐसे मामलों में अपनी सक्षम भूमिका निभाने की जरूरत होती है. वहीं जब से सीओए ने 13 जुलाई को फीफा को संविधान का मसौदा पेश किया है, तब से फीफा ने भारत को कई बदलावों का सुझाव दिया है.
फीफा ने कहा खिलाड़ियों शामिल करें
फीफा ने कहा, प्रमुख खिलाड़ियों और राज्य संघों को निर्वाचक मंडल में समान प्रतिनिधित्व (50%) (36 वोट प्रत्येक) देने के सीओए के फैसले को रद्द करना था. वहीं स्पोर्टस् संहिता में 'निर्णय' लेने वालों में में खिलाड़ियों के लिए न्यूनतम 25% प्रतिनिधित्व अनिवार्य है. फीफा ने 25 जुलाई को लिखे एक पत्र में कहा, "हालांकि हम इस बात से सहमत हैं कि खिलाड़ियों की आवाज को सुनने की जरूरत है, लेकिन हमारा यह भी मानना है कि एआईएफएफ के मौजूदा सदस्यों के महत्व को कम नहीं आंका जाना चाहिए."
AIFF को सुझाव
फीफा ने AIFF को सुझाव देते हुए आगे कहा है, "हालांकि, हम यह समझते हैं कि खिलाड़ियों की आवाज सुनी जानी चाहिए. भारतीय खेल संहिता की आवश्यकताओं और एआईएफएफ को कार्यकारी समिति में नामित सदस्यों के रूप में 25% से ज्यादा प्रसिद्ध खिलाड़ियों को शामिल करना चाहिए."
हालांकि फीफा ने इस तथ्य को स्वीकार नहीं किया कि 3 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले, सीओए ने कमेटी में समान प्रतिनिधित्व को संशोधित नहीं किया था. फीफा ने विश्व कप के आयोजन के लिए तीन महीने के लिए एक अंतरिम निकाय के चुनाव के कदम को भी मुद्दा बनाया, जबकि संविधान को समानांतर रूप से अंतिम रूप दिया गया है. AIFF को निलंबन की सूचना देते हुए फीफा के पत्र में कहा गया है, "हम समझ गए थे कि सीओए अभी भी उक्त अंतरिम आदेश के तहत एक भूमिका निभाएगा."
सीओए ने कैसी प्रतिक्रिया दी?
AIFF के निलंबन के एक दिन बाद सीओए ने एक बयान जारी करके कहा, "फीफा, सीओए और भारत के केंद्रीय खेल मंत्रालय के बीच बातचीत चल रही थी. आपका यह फैसला आश्चर्यचकित करने वाला और निराशा भरा है." सीओए ने कहा कि फीफा के नियम के अनुसार हम 36 राज्य प्रतिनिधियों वाले एक निर्वाचक मंडल के साथ चुनाव करवाने और एग्जीक्यूटिव कमेटी में नामित सदस्यों के रूप में खिलाड़ियों को प्रतिनिधित्व देने के लिए तैयार हैं.
एक दूसरे पत्र में, सीओए ने फीफा को आश्वासन देते हुए कहा, अंतरिम एग्जीक्यूटिव कमेटी स्वतंत्र रूप से काम करेगी और पूर्व की इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के दबाव में नहीं रहेगी. हालांकि, फीफा के निलंबन की घोषणा के बाद में 36 खिलाड़ियों सहित कुल 69 सदस्य थे. समझा जाता है कि फीफा की सिफारिशों के अनुरूप संविधान के मसौदे में बदलाव के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी की जरूरत होगी.
खेल मंत्रालय की क्या भूमिका?
इस पूरे मामले की पृष्ठभूमि में रहने के बाद, केंद्र सरकार ने 17 अगस्त को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह फीफा के साथ बातचीत कर रही है. सरकार ने कोर्ट से कहा, "सरकार ने इस मुद्दे को उठाया है. हमने फीफा के साथ दो बैठकें कीं. बात कुछ आगे बढ़ी है, हमने फेडरेशन से थोड़ा और समय मांगा है." वहीं अगली सुनवाई सोमवार को होनी है.
क्या होंगे निलंबन के परिणाम?
फीफा के निलंबन से सबसे बड़ा खतरा भारत में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप के आयोजन को लेकर है. वहीं गोकुलम केरल एफसी को उज्बेकिस्तान में चल रही एएफसी महिला क्लब चैंपियनशिप में खेलने की अनुमति नहीं देना पहला बड़ा झटका है. वहीं एटीके मोहन बागान की एएफसी कप जो 7 सितंबर को होना है उसमें भागीदारी को लेकर भी संदेह में है, इसलिए अगले महीने वियतनाम और सिंगापुर के खिलाफ भारत की निर्धारित अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडली मैच भी प्रस्तावित हैं. वहीं निलंबन से फीफा और एशियाई फुटबॉल कंफेडेरशन से विकास निधि मिलना बंद हो जाएगा. जबकि भारतीय क्लब विदेशी खिलाड़ियों को मैचों के लिए साइन नहीं कर पाएंगे. इसके साथ ही भारतीय फुटबॉल के अधिकारी अंतरराष्ट्रीय असाइनमेंट के लिए पात्र नहीं होंगे.
क्या कोर्ट का हस्तक्षेप मिसाल कायम करेगा?
बता दें कि अकेले 2022 में टेबल टेनिस, हॉकी और जूडो एसोसिएशन को खेल नियमों की अंदेखी के कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सीओए के अंडर रखा गया है. AIFF के निलंबन के एक दिन बाद, दिल्ली हाई कोर्ट ने एआईएफएफ मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को भी सीओए के अंडर ले आया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया है, जब केंद्र सरकार ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति विकास को "तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप" के रूप में देख सकती है. केस की अगली सुनवाई सोमवार को होनी है.
एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल पर आरोप
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मामले के याचिकाकर्ता वकील राहुल मेहरा ने आरोप लगाया कि भारत के लिए यह असहज स्थिति AIFF अध्यक्ष पद से हटाए गए एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने पैदा की है. उन्होंने फीफा में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर AIFF की सदस्यता निलंबित करवाई. एक आवेदनकर्ता के लिए पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट बोर्ड (BCCI) में सुधार के लिए आदेश दिए थे, तब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने उसमें इसी तरह रुकावट डालने की कोशिश की थी. यहां भी ऐसा कुछ किया जा रहा है.
प्रफुल्ल पटेल ने की अनियमितता?
AIFF की कमान 12 सालों से एनसीपी नेता, सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल पटेल के पास है. 2020 में प्रफुल पटेल का कार्यकाल पूरा हो चुका है. लेकिन इसके बावजूद अध्यक्ष पद को लेकर कोई नियुक्ति नहीं की गई और न ही कोई चुनाव करवाया गया. अध्यक्ष का टर्म चार साल के लिए होता है. पटेल फीफा के पूर्व सदस्य भी रह चुके हैं.
नहीं होना चाहिए राजनीतिक दखल
AIFF भारत में स्पोट्स का संचालन निकाय है. इसके निलंबन से अक्टूबर 2022 में भारत में अंडर-17 महिला फुटबॉल विश्व कप पर खतरा मंडराने लगा है. फीफा ने साफ कहा है कि AIFF में थर्ड पार्टी (CoA) का दखल है, इसको देखते हुए निलंबन का फैसला लिया गया है. बता दें कि भारत कोई पहला देश नहीं है जिसे निलंबित किया गया है. इससे पहले कुवैत, नाइजीरिया, बेनिन और इराक को भी नियमों के उल्लघन के कारण निलंबित किया जा चुका है. वहीं फीफा के नियमों के मुताबिक फेडरेशन संचालन बॉडी में ऑटोनॉमस का होना जरूरी है. इसका मतलब है कि AIFF या फिर किसी भी देश के खेल संस्था में राजनीतिक दखल नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही कोई कानूनी दखल भी नहीं होना चाहिए.