बंगाल की खाड़ी से शुरू हुए अम्फान तूफान ने भारत के तटीय इलाकों में तबाही मचानी शुरू कर दी है. करीब 21 साल बाद भारत को इतने बड़े तूफान का सामना करना पड़ रहा है. इस तूफान के बारे में अंदेशा जताया जा रहा है कि ये भारत का अब तक का सबसे विनाशकारी तूफान हो सकता है.


1999 में आया था सुपर साइक्लोन
अम्फान से पहले भारत में सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी सुपर साइक्लोन ने. 25 अक्टूबर, 1999 को अंडमान सागर से उठे इस साइक्लोन की रफ्तार करीब 260 किमी प्रति घंटे की थी. इसकी वजह से सबसे ज्यादा तबाह होने वाला राज्य ओडिशा था, जहां ज़मीन तक धंसने लगी थी. पांच से छह मीटर ऊंची लहरें समंदर से करीब 35 किमी अंदर तक आ गई थीं. इसकी वजह से करीब 16 लाख मकान तबाह हो गए थे. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 9,887 लोग तूफान की वजह से मारे गए थे. हालांकि अनाधिकारिक आंकड़े कहते हैं कि तूफान की वजह से करीब 30 हजार लोगों की जान गई थी.


करीब 1.25 करोड़ लोग सीधे तौर पर इस तूफान से प्रभावित हुए थे. एक अनुमान के मुताबिक इस तूफान की वजह से करीब 3,200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. केंद्र सरकार की ओर से ओडिशा को करीब 2,200 करोड़ रुपये की मदद की गई थी. भारत के अलावा म्यामार और बांग्लादेश में भी इस तूफान का असर पड़ा था. म्यामांर में 10 और बांग्लादेश में दो लोगों की मौत इस तूफान की वजह से हुई थी. इस तूफान से हुए विनाश से निबटने में केंद्र और राज्य की सरकारों को दो साल से भी ज्यादा का वक्त लगा. ओडिशा और भारत की मदद के लिए कई अंतरराष्ट्रीय संगठन आगे आए और फिर ओडिशा को नए सिरे से बनाया-संवारा जा सका.


2019 में आया था तूफान फानी
फानी तूफान ने भी सबसे ज्यादा तबाही ओडिशा में ही मचाई थी. इसकी वजह से 72 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 60 से ज्यादा मौतें अकेले ओडिशा में हुई थीं. ये तूफान भी 1999 के सुपर साइक्लोन की ही तरह खतरनाक था. इस तूफान की रफ्तार 932 किलोमीटर प्रति घंटा की थी. 26 अप्रैल से शुरू हुए इस तूफान ने 4 मई तक भारत में तबाही मचाई थी. इसकी वजह से समंदर के किनारे रहने वाले लाखों लोगों को विस्थापित करना पड़ा था और करोड़ों रुपये का नुकसान ओडिशा को उठाना पड़ा था. तूफान ने बांग्लादेश में भी तबाही मचाई थी.


वर्धा साइक्लोन ने मचाई थी दक्षिण भारत में तबाही
दिसंबर, 2016 में आए वर्धा साइक्लोन ने दक्षिण भारत में तबाही मचाई थी. इसकी रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटा थी. इस तूफान का नाम पाकिस्तान ने रखा था. थाईलैंड में आई बाढ़ की वजह से ये तूफान आया था. भारत में इस तूफान की वजह से 18 लोगों की मौत हुई थी. हजारों एक्टर फसल बर्बाद हो गई थी और लाखों पेड़ तबाह हो गए थे. 10 हजार से ज्यादा बिजली के खंभे गिर गए थे. इस तूफान की वजह से सबसे ज्यादा तबाही चेन्नई और अंडमान निकोबार में हुई थी. चेन्नई में कई दिनों तक एयरपोर्ट बंद रहे थे.


उत्तर प्रदेश तक पहुंच आया था हुदहुद तूफान
अक्टूबर, 2014 में आए हुदुहुद तूफान ने भी भारत में भयंकर तबाही मचाई थी. इस तूफान की शुरुआत 6 अक्टूबर को अंडमान सागर से हुई थी. 185 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार वाले इस तूफान ने आंध्रप्रदेश में विशाखापट्टनम और ओडिशा को तबाह कर दिया था. इस तूफान की वजह से 124 लोगों की मौत हुई थी. इसका असर उत्तर प्रदेश तक भी देखा गया था, जहां 18 लोगों की मौत हुई थी. इस तबाही से निबटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 1000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी हुआ था.


फैलिन की वजह से मरे थे 50 से ज्यादा लोग
साइक्सोन फैलिन ने भी ओडिशा में भयंकर तबाही मचाई थी. अक्टूबर, 2013 में आए इस तूफान की वजह से करीब एक करोड़ से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे. 50 से ज्यादा लोगों की मौत इस तूफान की वजह से हुई थी. करीब 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाले इस तूफान का असर आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और बिहार तक हुआ था. लेकिन सबसे ज्यादा तबाही ओडिशा की ही हुई थी. इसकी वजह से करीब 12 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था. भारत के अलावा इस तूफान से प्रभावित होने वाले देशों में नेपाल भी था.