Gujarat International Finance Tec-City (GIFT City): चमचमाती बिल्डिगें, साफ-सुधरी सड़कें, शानदार कॉरपोरेट ऑफिस, शानदार घर, लग्जरी होटल, बड़ी-बड़ी बिजनेस डील्स, हाई सैलरी पाने वाले लोग और दुनिया भर का टैलेंट... भारत में एक ऐसी ही स्मार्ट सिटी बनकर लगभग तैयार हो चुकी है. इस सिटी का नाम है 'गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट)'. इसी गिफ्ट सिटी जिसका सपना पीएम मोदी ने साल 2008 में देखा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून 2015 को भले ही स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत की जिसके तहत देश में 100 नए 'स्मार्ट सिटी' बनाए जाने हैं. लेकिन स्मार्ट सिटी का सपना प्रधानमंत्री मोदी ने 2008 में ही देख लिया था. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी सिटी की परिकल्पना की थी, जो शंघाई, सिंगापुर, न्यूयॉर्क और लंदन के बराबर खड़ा हो सके. स्मार्ट सिटी बनाने के पीछे का मकसद स्थानीय क्षेत्रों के विकास को साकार कर, तकनीक का इस्तेमाल करते हुए भारत के आर्थिक विकास को बढावा देना है, जिससे कि लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके. वहीं पीएम मोदी की देश में 100 नए 'स्मार्ट सिटी' बनाने की महत्वाकांक्षी योजना है.
पीएम के सपने ने लिया आकार
अब 14 साल के बाद प्रधानमंत्री मोदी के सपने ने आकार ले लिया है. जो सपना पीएम ने देखा था वो अब भारत की तरक्की में शामिल होने के लिए जमीन पर उतर चुका है. दरअसल, गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट) पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है. पीएम मोदी ने 29 जुलाई 2022 को यहां देश के पहले और दुनिया के तीसरे इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (IIBX) का उद्घाटन किया. इस एक्सचेंज सेंटर का निर्माण 'गिफ्ट सिटी' के बीचों-बीच किया गया है. गिफ्ट कैसे बना, इसमें क्या-क्या सुविधाएं मौजूद हैं. आने वाले समय में यह किस तरह से भारत में विदेशी कंपनियों को आकर्षित करेगा हम वो सब इस स्टोरी में जानेंगे.
उद्घाटन करते हुए क्या बोले थे पीएम
गांधीनगर में भारत के पहले 'आईटी सेवा केंद्र' गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट) के बारे में पीएम मोदी ने कहा था कि इसके शुरुआत के साथ, भारत वैश्विक वित्तीय केंद्रों की लीग में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर जैसे देशों में शामिल हो गया है. वहीं अंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत सोने का एक बड़ा बाजार है, सोने के प्रति भारतीयों का प्रेम महिलाओं की बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है. बुलियन एक्सचेंज सोना-चांदी के आयात का मुख्य केंद्र बनेगा, इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से सोना, चांदी खरीदा जा सकेगा.
मौजूदा गिफ्ट सिटी में सुविधाएं
गिफ्ट सिटी में चार्टर्ड स्पीड लिमिटेड कंपनी ने यात्रियों की सहायता के लिए चार इलेक्ट्रिक बसों और 20 ई-बाइक का एक बेड़ा लॉन्च किया है. इससे यहां काम करने वाले लोग आसानी से आना-जाना कर सकेंगे. वहीं कंपनी की आने वाले 12 से 18 महीनों में इस बेड़े को 50 इलेक्ट्रिक बसों तक करने की योजना है. बता दें कि गिफ्ट सिटी की शुरूआत 2008 में हुई थी, उस समय पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी छाई हुई थी. आर्थिक मंदी छाने से गिफ्ट सिटी के काम को कुछ समय के लिए रोक दिया गया था.
गिफ्ट सिटी क्या है?
2008 में, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार घोषणा की कि राज्य सरकार गांधीनगर में एक 'नैनो शहर' और गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट) का निर्माण करेगी. एसोचैम द्वारा आयोजित 'इन्वेस्ट गुजरात' शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, मोदी ने कहा था कि अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच की जमीन को ऑफिस स्पेस, आवासीय अपार्टमेंट, स्कूल, अस्पताल, होटल, रिटेल और अन्य मनोरंजन की सुविधाओं के साथ केंद्रीय व्यापार डीस्ट्रिक्ट (सीबीडी) के रूप में विकसित किया जाएगा.
कैसे जमीन पर आई गिफ्ट सिटी
शुरूआत में कंसल्टिंग फर्म मैकिन्से एंड कॉर्पोरेशन इसके लिए जमीन का निरीक्षण किया. जिसके बाद गिफ्ट सिटी को राज्य द्वारा संचालित गुजरात अर्बन डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड और इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL & FS) के बीच एक ज्वाइंट वेंचर के तौर पर लॉन्च किया गया था. इसके लिए 78,000 करोड़ रुपये शुरूआती बजट भी तय कर लिया गया था.
गिफ्ट सिटी की योजना के लिए 886 एकड़ जमीन निर्धारित की गई है, जिसमें 62 मिलियन वर्ग फुट निर्मित क्षेत्र है. इसमें 67 प्रतिशत कमर्शियल, 22 प्रतिशत आवासीय और 11 प्रतिशत सोशल स्पेस के साथ बनाई गई है. यह जगह अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 12 किमी और साबरमती के तट पर गांधीनगर से 8 किमी दूर है. गिफ्ट सिटी परियोजना शुरू में 2008 की अमेरिकी आर्थिक मंदी के कारण रुक गई थी. हालांकि, परियोजना को 2011 में फिर से एक बार शुरू किया गया.
सरकार ने बीकेसी से ध्यान हटाया!
गौरतलब है कि गिफ्ट सिटी पहले एक रियल-एस्टेट प्रजोक्ट के तौर पर लॉन्च किया गया था, लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह परियोजना को भारत के पहले स्मार्ट सिटी के रूप में बदल दिया गया. वहीं 2015-16 के केंद्रीय बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सिंगापुर और दुबई जैसे वैश्विक वित्तीय केंद्र के समान ही गिफ्ट सिटी की तुलना की. साथ ही जेटली ने मुंबई के वित्तीय केंद्र (बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स) से केंद्र सरकार का ध्यान गिफ्ट सिटी की ओर खिंचा.
बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स की जगह गिफ्ट
वहीं इससे पहले, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) को वित्तीय केंद्र के रूप में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया था. 2007 में, विश्व बैंक के पूर्व अधिकारी पर्सी मिस्त्री के नेतृत्व में समिति बनी जिसने मुंबई को न्यूयॉर्क, लंदन और सिंगापुर की तर्ज पर बीकेसी के केंद्र में बदलने की सिफारिश की. तब से, महाराष्ट्र सरकार द्वारा संचालित मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) ने बीकेसी को वैश्विक कंपनियों के लिए अपनी भारतीय शाखाएं खोलने के लिए बढ़ावा दिया. हालांकि, गिफ्ट सिटी को मुंबई जैसी भौगोलिक स्थिति नहीं होने के कारण कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.
गिफ्ट सिटी में क्या है?
बता दें कि गिफ्ट सिटी में मुख्य रूप से बैंक, कैपिटल मार्केट संस्थाएं, बीमा कंपनियां और कैप्टिव मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां शामिल हैं. यहां आज की तारीख में, 142 स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) इकाइयां हैं जो चल रही हैं. इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंज हैं जो प्रतिदिन औसतन 4 बिलियन डॉलर का कारोबार करती हैं. आईएफएससी में बैंकिंग कारोबार 2020 तक 28 अरब डॉलर और आई इंश्योरेंस कारोबार 30 अरब डॉलर तक है.
200 से अधिक कंपनियां
गिफ्ट सिटी में में 200 से अधिक कंपनियां हैं. वहीं इसके स्पेशल इकोनॉमिक जोन में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर्स फोरम और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज हैं. इसके साथ ही यस बैंक, फेडरल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, स्टैंडर्ड चार्टर्ड जैसे अंतरराष्ट्रीय बैंक हैं. एडलवाइस, न्यू इंडिया एश्योरेंस, और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) जैसी बड़ी बीमा कंपनियां यहां मौजूद हैं.
ये बड़ी कंपनियां भी मौजूद
गिफ्ट में गुजरात की दो सबसे ऊंची व्यावसायिक इमारतें हैं- गिफ्ट वन और गिफ्ट टू. जबकि यहां गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, प्रेस्टीज ग्रुप और हीरानंदानी ग्रुप के अन्य कार्यालयों की बिल्डिंग हैं. वहीं गैर-आईएफएससी एरिया में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, ओरेकल, एचडीएफसी बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी शामिल हैं. गिफ्ट के अंदर कई आवासीय परिसर और स्कूल के साथ-साथ पेट्रोल पंप, अस्पताल, बिजनेस क्लब और होटल जैसी सुविधाएं भी शामिल हैं. इसके अलावा गिफ्ट में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं हैं.