Hindi Diwas 2022:  संविधान सभा में राजभाषा पर तीन दिन की लंबी बहस के बाद 14 सिंतबर, 1949 को संविधान ने हिन्दी को सर्वसम्मति से राजभाषा का दर्जा दिया था. हमारे संविधान में भाग 17 के अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा को लेकर विशेष प्रावधान हैं. आइए उनको जानते हैं....


अनुच्छेद 343


343 (1) -इस अनुच्छेद में कहा गया है कि भारत संघ की भाषा देवनागरी लिपी में हिन्दी होगी.  संघ के सरकारी कायों में भारतीय अंकों के अंतराष्ट्रीय रूपों का प्रयोग होगा.


343(2)- इसमें कहा गया है कि संविधान लागू होने के 15 सालों तरक यानी 26 जनवरी 1950 से 26 जिवरी 1965 तक अंग्रेजी भाषा सरकारी कार्यो में पहले की तरह इस्तेमाल होती रहेगी.


अनुच्छेद 344


इस अनुच्छेद में राजभाषा आयोग के गठन की बात कही गई है...इसमें कहा गया है कि संविधान के प्रारंभ से 5 और 10 वषों के खत्म होने पर देश के राष्ट्रपति हिन्दी के विकास और प्रयोग का जायजा लेने के लिए आयोग का गठन करेंगे. आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के लिए 30 सदस्यों की संसदीय समीति गठित की जाएगी. इसमें लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे. समिति रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपेगी.


अनुच्छेद-345


इस अनुच्छेद में राज्यों की राजभाषाओं का जिक्र है. इसमें कहा गया है कि राज्यों के विधान मंडल अपने राज्य में सरकारी प्रयोजन के स्थानीय भाषा/भाषाओं या हिन्दी को अपनाएंगे. जब तक कानून द्वारा कोई प्रबंध नहीं किया जाता राज्य में अंग्रेजी पहले की तरह सरकारी कामों में प्रयोग होती रहेगी.


अनुच्छेद 346


इस अनुच्छेद में केंद्र और राज्यों के बीच संचार की भाषा को लेकर बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए उस समय जो भाषा मौजूद रहेगी वही भाषा राज्य और संघ के बीच संपर्क भाषा रहेगी. यदि दो या अधिक राज्य आपसी सहमति से पत्राचार में हिन्दी का प्रयोग करना चाहें तो कर सकते हैं.


अनुच्छेद 347


इसमें राज्यों में दूसरे राजभाषा को लेकर बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि अगर किसी राज्य का जनसमुदय द्वारा बोली जाने वाली भाषा को शासकीय मान्यता प्रदान करने की मांग की जाती है तो राष्ट्रपति उस भाषा को राज्य के सभी या कुछ कामों के लिए मान्यता देने के आदेश दे सकते हैं.


अनुच्छेद 348 


यह अनुच्छेद बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें  उच्चतम न्यायालय/उच्च न्यायालय और अधिनियमों की भाषा को लेकर बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि जब तक कोई व्यवस्था न की जाए तब तक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की भाषा अंग्रेजी में होगी. केंद्र और राज्यों के सभी विधेयक, अधिनियम, आदेश आदि का पाठ अंग्रेजी में होगा.


अनुच्छेद-349


संविधान में प्रारंभ से 15 साल तक के दौरान हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही अंग्रेजी के अलावा किसी अन्य भाषा में करने के लिए कोई संशोधन लोकसभा/राज्यसभा में राष्ट्रपति की पूर्वानुमति से ही लाया जाएगा.


अनुच्छेद-350


अनुच्छेद-350 कहता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी परेशानिओं के लिए संघ या राज्य के किसी भी अधिकारी को उस समय इस्तेमाल होने वाली राजभाषा में आवेदन दे सकता है. 


इसके अलावा अनुच्छेद-350 (क) में कहा गया है कि भाषायी अल्पसंख्यकों के लिए प्राथमिक स्तर में मातृ भाषा में शिक्षा देने की व्यवस्था की जाए.


अनुच्छेद-351


संविधान के इस अनुच्छेद में हिन्दी के विकास के लिए कुछ निर्देशों का जिक्र है. इसमें कहा गया है कि हिन्दी भाषा के प्रचार ,विकास की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी.


भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाएं कौन सी हैं


असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाएं हैं.