2022 Indian Presidential Election: भारत में राष्ट्रपति (President) देश के सर्वोच्च नागरिक होते हैं. इस वक्त देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) हैं. हालांकि चुनाव आयोग (ECI) ने देश में 16वें राष्ट्रपति के चुनाव (Presidential Election 2022) का एलान कर दिया है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के मुताबिक 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा. वहीं इसके लिए 15 जून को अधिसूचना जारी होगी. 29 जून को नॉमिनेशन की आखिरी तारीख है. मतदान 18 जुलाई को होगा और मतगणना 21 जुलाई को होगी. 


जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च नागरिक होता है. इसी तरह उप-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति के बाद देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक होता है. इसके बाद तीसरे नंबर पर प्रधानमंत्री, चौथे पर राज्यपाल (संबंधित राज्यों के सभी), पांचवें नंबर पर देश के पूर्व राष्ट्रपति और इसी के साथ देश के उप प्रधानमंत्री आते हैं.


इसके बाद छठे सर्वोच्च नागरिक भारत के मुख्य न्यायधीश और लोकसभा अध्यक्ष होते हैं. सातवें नंबर पर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, योजना आयोग के अध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता होते हैं.


कोई भी आम नागरिक देश का 27वां नागरिक होता है. इस पर विस्तार से बात करेंगे लेकिन इस आर्टिकल में हम आज आपको देश के सर्वोच्च नागरिक राष्ट्रपति को कैसे चुना जाता है इसकी प्रक्रिया बताएंगे..हम आपको बताएंगे कि कैसे इस पद के लिए नोमिनेशन भरा जाता है, क्या योग्यताएं एक राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रहे व्यक्ति में होनी चाहिए..आइए जानते हैं सबकुछ....


अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा होता है चुनाव


राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन (Indirect election) द्वारा होता है. इसका मतलब ये है कि राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज करता है. देश की जनता राष्ट्रपति का चुनाव सीधे खुद नहीं करती बल्कि उसके वोट से चुने हुए प्रतिनिधि करते हैं. इसे ही अप्रत्यक्ष निर्वाचन कहते हैं..


जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि राष्ट्रपति का चुनाव जनता द्वारा वोट के आधार पर चुने प्रतिनिधी करते हैं, तो इसका साफ मतलब है कि इस प्रक्रिया में वोटिंग का अधिकार चुने हुए विधायक और सांसदों के पास होता है. राष्ट्रपति चुनाव में संसद में नामित सदस्य और विधान परिषदों के सदस्य वोट नहीं डाल सकते हैं, क्योंकि ये जनता द्वारा सीधे नहीं चुने जाते हैं.


 कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव, यहां जानिए


1-भारत के राष्ट्रपति पद की दौड़ में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को अपना नामांकन दाखिल करना होता है. राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को इसके लिए 15000 रुपये से अधिक जमा करने होते हैं और 50 प्रस्तावकों और 50 समर्थकों की एक हस्ताक्षर की हुई सूची जमा करनी होती है. प्रस्तावक और समर्थक राष्ट्रपति चुनाव 2022 में मतदान करने के योग्य निर्वाचकों में से कोई भी हो सकता है.


यहां ये जान लेना जरूरी है कि राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने योग्य व्यक्ति केवल एक ही उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव या समर्थन कर सकता है. चुनाव आयोग द्वारा 1952, 1957, 1962, 1967 और 1969 (भारत के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की कार्यालय में मृत्यु के बाद एक प्रारंभिक चुनाव) के चुनावों के बाद 1974 में मतदाताओं को प्रस्तावित करने और एक व्यक्ति की उम्मीदवारी का प्रस्ताव देने का यह नियम अपनाया गया था.


2- राष्ट्रपति चुनाव में सभी निर्वाचित विधायक अपने-अपने राज्य और केंद्र शाषित प्रदेश में तो वहीं सभी निर्वाचित सांसद राज्यसभा और लोकसभा में वोट करते हैं. वोट डालने के लिए निर्वाचित सांसदों और  निर्वाचित विधायकों को मतपत्र दिए जाते हैं. सांसदों को हरे रंग और विधायकों को गुलाबी रंग का मतपत्र दिया जाता है. उन्हें विशेष पेन भी दिए जाते हैं, जिसका उपयोग वे अपने वोट रिकॉर्ड करने के लिए कर सकते हैं.


प्रत्येक मतपत्र में उन सभी उम्मीदवारों के नाम होते हैं जो राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे हैं. निर्वाचक प्रत्येक उम्मीदवार के लिए अपनी वरीयता को इंगित करता है. जिस उम्मीदवार को वे राष्ट्रपति के रूप में सबसे अधिक पसंद करते हैं, उनके लिए '1' नंबर चुनते हैं जबकि उस उम्मीदवार के लिए '2', जो उनकी दूसरी वरीयता है और इसी तरह अन्य वरियता का चुनाव भी निर्वाचक करता है.


हालांकि ये बता दें कि जो भी निर्वाचक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए वरीयताएं चिह्नित करता है उसके लिए यह आवश्यक नहीं है कि वो सभी उम्मीदवारों का चयन करे..वो केवल पहली वरीयता को ही चिह्नित कर सकता है.


3-वोटिंग के बाद विधायकों के मतपत्रों को राज्यवार इकट्ठा कर प्रत्येक उम्मीदवार की ट्रे में डाल दिया जाता है. उदाहरण के तौर पर पिछले राष्ट्रपति चुनाव की बात करें तो, यदि उत्तर प्रदेश के किसी विधायक ने राम नाथ कोविंद को अपनी पहली वरीयता के रूप में चिह्नित किया था, तो विधायक का मतपत्र कोविंद की ट्रे में गया होगा.


फिर इसी प्रकार संसद सदस्यों के मतपत्रों का वितरण किया जाता है. उदाहरण के लिए, जिन सांसद ने पिछले चुनाव में मीरा कुमार को अपनी पहली वरीयता के रूप में चिह्नित किया होगा उन सांसदों के सभी मतपत्र कुमार की ट्रे में गए होंगे.


कैसे होती है वोटों की गिनती


वोट डालने वाले सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग होता है. दो राज्यों के विधायकों के वोटों का वेटेज भी अलग-अलग होता है.


विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो उसकी आबादी देखी जाती है और उस प्रदेश के विधानसभा सदस्यों की संख्या देखी जाती है. वेटेज निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को चुने हुए विधायक की संख्या से बांटा जाता है, उसे फिर एक हजार से भाग दिया जाता है. अब जो आंकड़ा आता है वही उस राज्य के वोट का वेटेज होता है.


उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में 402 विधानसभा सीटें हैं. यहां की जनसंख्या साल 1971 की जनगणना के मुताबिक 83849905 है. इस हिसाब से यहां एक विधायक के मतपत्र का मूल्य 208 है. किसी भी सांसद (राज्यसभा या लोकसभा से) के मतपत्र का मूल्य 708 है. 


कैसे तय होता है राष्ट्रपति पद का विजेता


राष्ट्रपति चुनाव का विजेता वह व्यक्ति नहीं होता जिसे सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं, बल्कि वह व्यक्ति होता है जिसे एक निश्चित कोटे से अधिक मत प्राप्त होते हैं. प्रत्येक उम्मीदवार के लिए डाले गए वोटों को जोड़कर, योग को 2 से विभाजित करके और भागफल में '1' जोड़कर कोटा तय किया जाता है.


जो उम्मीदवार तय कोटा से अधिक वोट प्राप्त करता है वह विजेता होता है. यदि किसी को कोटे से अधिक वोट नहीं मिलते हैं, तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को रेस से हटा दिया जाता है और हटाए गए उम्मीदवारों के मतपत्र उन मतपत्रों में दूसरी वरीयता पसंद के आधार पर शेष उम्मीदवारों के बीच वितरित किए जाते हैं. प्रत्येक उम्मीदवार के लिए कुल मतों की गिनती की प्रक्रिया फिर दोहराई जाती है ताकि यह देखा जा सके कि कोई तय कोटा से ऊपर मत पा सका है या नहीं.


यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक किसी का वोट कोटा से अधिक तक नहीं पहुंच जाता है, या जब तक लगातार निष्कासन के बाद सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं बच जाता है. तब उस व्यक्ति को भारत के राष्ट्रपति के विजेता के रूप में घोषित किया जाता है.


भारत के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार द्वारा आवश्यक योग्यताएं क्या हैं?


अनुच्छेद 58 के तहत, एक उम्मीदवार को राष्ट्रपति के पद का चुनाव लड़ने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना अनिवार्य है


-भारत का नागरिक होना चाहिए
-35 वर्ष की आयु पूरी करनी चाहिए
-लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए
-भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी भी उक्त सरकार के नियंत्रण के अधीन लाभ का कोई पद धारण नहीं किया होना चाहिए. हालांकि, उम्मीदवार किसी भी राज्य के राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या राज्यपाल या संघ या किसी राज्य के मंत्रियों का पद धारण कर सकता है और चुनाव लड़ने के लिए पात्र होगा.