जब दुनिया में कोरोना ने अपने पांव पसारने शुरू किए थे, तो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे किसी तरह का खतरा मानने से इन्कार कर दिया था. अब हालत ये है कि पूरी दुनिया में कोरोना के सबसे ज्यादा केस अमेरिका में ही हैं, जो करीब 16 लाख 45 हजार हैं. कुछ ऐसा ही हाल ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो का भी था. उन्होंने भी कोरोना वायरस को हल्का-फुल्का फ्लू बताया था, लेकिन आज हालत ये है कि पूरी दुनिया में कोरोना से प्रभावित मरीजों की संख्या के मामले में ये लैटिन अमेरिकी देश, संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है.


22 मई से पहले पूरी दुनिया में अमेरिका के बाद कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश रूस था. वहां अब तक करीब 3,02,600 कोरोना पॉजिटिव केस हैं. लेकिन 23 मई को जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक अब दुनिया में दूसरा नंबर लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील का है. यहां अब तक कोरोना के कुल 3,30,890 केस सामने आ चुके हैं. ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इन आंकड़ों की पुष्टि की है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 21-22 मई को 24 घंटे के दौरान ब्राजील में 19,969 नए केस आए हैं. 24 घंटे में कुल 1,001 लोगों की मौत हुई है. इसके साथ ही ब्राजील में मौतों का आंकड़ा 21,000 को पार कर गया है. इतना सब होने के बाद भी ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक उड़ा रहे हैं और कह रहे हैं कि देश में लॉकडाउन होने से ब्राजील की अर्थव्यवस्था इतनी चौपट हो जाएगी कि उसे सुधारा ही नहीं जा सकता.


जेयर बोलसोनारो सिर्फ बयान ही नहीं दे रहे हैं. बल्कि वो एंटी लॉकडाउन रैली में शामिल भी हो रहे हैं और फोटो भी खिंचवा रहे हैं. पिछले ही हफ्ते प्रेसिंडेंट ऑफिस के बाहर बोलसोनारो ने सैकड़ों की संख्या में अपने समर्थकों को इकट्ठा कर उनसे बातचीत की और लॉकडाउन-सोशल डिस्टेंसिंग जैसी चीजों को बकवास बताया. ब्रासीलिया में वो अपने समर्थकों और बच्चों से मिले, फोटो खिंचवाई और सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करने को कहा है. ये सब तब हुआ, जब उनके स्वास्थ्य मंत्री नेल्सन टीक ने पद ग्रहण करने के एक महीने के अंदर ही इस्तीफा दे दिया था. नेल्सन टीक से पहले जो स्वास्थ्य मंत्री थे लुई हेनरिक मान्देत्ता, उन्होंने जेयर बोलसोनारो के इस महामारी से निबटने के तरीकों की आलोचना की थी, जिसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था.


हालांकि ब्राजील के कई राज्यों के गवर्नर ने इस वायरस के खतरे को भांपते हुए लॉकडाउन लगाया और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने में सख्ती बरती. अपने राष्ट्रपति से इत्तेफाक न रखते हुए राज्यों के इन प्रशासकों ने अपनी ओर से लॉकडाउन को सख्त करने की हर संभव कोशिश की, लेकिन बोलसोनारो ने उनका भी मजाक उड़ाना शुरू कर दिया. फिर हुआ ये कि बोलसोनारो प्रशासन के 20 से भी ज्यादा शीर्ष अधिकारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इसके बाद भी न तो बोलसोनारो प्रशासन सुधरा और न ही उसने ब्राजील की स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने की कोशिश की.


ब्राजील की हालत ये है कि अब वहां हर रोज बड़ी संख्या में मरीजों को आईसीयू में दाखिल करवाना पड़ रहा है. स्वास्थ्य कर्मियों के पास न तो प्रोटेक्टिव गियर हैं और न ही खुद की सुरक्षा करने वाले मेडिकल उपकरण, जिसकी वजह से उनकी खुद की ज़िंदगी दांव पर लगी है. वॉल स्ट्रीट जनरल की एक रिपोर्ट कहती है कि अब तक ब्राजील में 116 से भी ज्यादा नर्सों की मौत कोरोना की वजह से हुई है. वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ साओ पॉलो मेडिकल स्कूल की एक रिसर्च कहती है कि खराब स्वास्थ्य सुविधाओं की वजह से ब्राजील में कोरोना की जांच बहुत कम हो रही है और अगर वहां पर जांच ठीक ढंग से हो जाए तो कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा कम से कम 15 गुना ज्यादा बढ़ जाएगा.


रही बात राष्ट्रपति बोलसेनारो की, तो उन्होंने तो कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को मंजूरी दी थी, जबकि उन्हें ये पता था कि ये दवा उतनी कारगर नहीं है. लेकिन चूंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पहले ही कह चुके थे कि उनके यहां इसी दवा से कोरोना के मरीजों का इलाज हो रहा है और बड़ी मात्रा में ये दवा भारत से अमेरिका ने मंगवाई भी थी तो बोलसेनारो ने इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी. लेकिन ये दवा उतनी कारगर साबित नहीं हो पाई, जितना कि उम्मीद की जा रही थी.


अब जब लोग बड़ी संख्या में मर रहे हैं, तो ब्राजील की हालत ऐसी है कि कोई लाश उठाने वाला भी नहीं मिल रहा है. दो-दो दिनों तक लाश सड़क पर पड़ी रह रही है और उसे कोई छूता तक नहीं है. इसे देखते हुए कुछ राज्यों जैसे साओ पाओलो और रियो डी जेनेरियो ने अपने यहां लॉकडाउन को थोड़ा और सख्त बनाने की बात की है, लेकिन बोलसेनारो अब भी उतने ही लापरवाह दिख रहे हैं.