भारत में 24 मार्च को लॉकडाउन हुआ. इसके अगले ही दिन यानि कि 25 मार्च से प्रवासी मज़दूर अपने-अपने घरों की ओर लौटने की कोशिश करने लगे. कभी पैदल तो कभी साइकल से और कभी ट्रकों में चढ़कर ये अपने घरों के लिए निकले. जब इनकी परेशानी मीडिया में आनी शुरू हुई तो सरकारें जागीं और उन्होंने बसों और ट्रेन के जरिए मज़दूरों को उनके घरों की ओर भेजना शुरू किया. ढाई महीने बाद भी ये सिलसिला जारी है. अब भी मज़दूर बड़े-बड़े शहरों के छोटे-छोटे काम छोड़कर अपने घरों की ओर लौट रहे हैं.


पिछले ढाई महीने के लॉकडाउन में कितने प्रवासी मज़दूर काम-धाम छोड़कर अपने-अपने घरों को लौट गए हैं, इसका आंकड़ा थोड़ा पेचीदा है. अलग-अलग राज्यों ने अलग-अलग आंकड़े दिए हैं. उत्तर प्रदेश राज्य सरकार का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान कुल 21.69 लाख प्रवासी मज़दूर वापस लौटे हैं. बिहार सरकार का कहना है कि वहां 10 लाख मज़दूर वापस आए हैं. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि करीब 11 लाख लोगों ने लॉकडाउन में राज्य छोड़ दिया है. गुजरात की सरकार कह रही है कि 20.5 लाख लोग गुजरात छोड़कर दूसरे राज्यों में चले गए हैं. इतने सारे आंकड़ों के बाद भी आप मज़दूरों की असल संख्या नहीं निकाल सकते. इस बात का ठीक-ठीक आंकड़ा अब भी हमारे सामने नहीं है कि इस लॉकडाउन में कुल कितने मज़दूरों को अपने गांव लौटना पड़ा है.


जून के शुरुआती हफ्ते में देश के चीफ लेबर कमिश्नर ने एक आंकड़ा दिया. कहा कि पूरे देश में करीब 26 लाख मजदूर फंसे हुए हैं. इनमें से करीब 10 फीसदी मज़दूर राहत कैंपों में हैं. 43 फीसदी मज़दूर अपने काम वाली जगह पर फंसे हैं और बाकी करीब 46 फीसदी मज़दूर दूसरी जगहों पर फंसे हैं. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने की बारी आई तो देश के सॉलिसिटर जनरल ने हलफनामा दिया कि करीब 97 लाख प्रवासी मज़दूरों को उनके घर भेजा गया है. ये तो केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को दिया गया आंकड़ा है. अब जरा राज्यों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे की ओर नज़र डालते हैं.


उत्तर प्रदेश ने कहा है कि 21.69 लाख मजदूर वापस लौटे हैं, जबकि यूपी ने 1.35 लाख मजदूरों को उनके राज्यों में वापस भेजा है. महाराष्ट्र का कहना है कि 11 लाख लोगों ने राज्य छोड़ दिया है. बिहार का कहना है कि करीब 10 लाख लोग उनके यहां वापस लौट आए हैं. गुजरात का कहना है कि 20.5 लाख लोग अपने-अपने घर चले गए हैं. पश्चिम बंगाल ने हलफनामा दिया है कि अब भी राज्य में करीब चार लाख प्रवासी मज़दूर फंसे हुए हैं. कर्नाटक सरकार का कहना है कि उसने राज्य में लौटे हुए तीन लाख मज़दूरों की मदद की है.


अहमदाबाद के एक रिसर्च स्कॉलर हैं चिन्मय तुंबे. वो लंबे समय से प्रवासी मज़दूरों पर रिसर्च कर रहे हैं और उनकी रिसर्च भारत में प्रवासी मज़दूरों की स्थिति को बेहतर तरीके से दिखाती है. उनका मानना है कि इस लॉकडाउन में करीब 3 करोड़ लोग अपने घरों को लौटे हैं. ये शहर में काम करने वाली कुल वर्क फोर्स का करीब 15 से 20 फीसदी है. वहीं कुछ और रिसर्च स्कॉलर इसे 50 लाख से 2.2 करोड़ के बीच मान रहे हैं. लेकिन अब भी कोई आधिकारिक आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है, जिससे ये अनुमान लगाया जा सके कि लॉकडाउन में कितने मज़दूर प्रभावित हुए हैं. सिर्फ रेलवे से जो लोग गए हैं, वही एक आधिकारिक आंकड़ा है. बाकी जो लोग पैदल, साइकल से, ट्रकों-बसों से और दूसरी गाड़ियों से अपने-अपने घरों को वापस लौटे हैं, उनका रिकॉर्ड किसी भी सरकार के पास नहीं है.