भारत में लॉकडाउन 3.O की शुरुआत हुई है 4 मई से और इसी 4 मई से देश में पिछले 40 दिनों से बंद शराब की दुकानें भी खुल गई हैं. अब दुकानें खुली हैं, तो पीने वालों की लाइन भी लगी है. लोग खरीद भी रहे हैं और स्टॉक भी कर रहे हैं. कई जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी हो रहा है, तो कई जगहों पर इसकी धज्जियां भी उड़ रही हैं. जिन्हें शराब की ज़रूरत है, वो सरकार के इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं, तो वहीं शराब न पीने वाला तबका सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहा है. आर्थिक मामलों के जानकार कह रहे हैं कि शराब बेचने से सरकार को आमदनी होगी तो एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो कह रहा है कि क्या सिर्फ राज्यों की आमदनी के लिए लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा सकता है.


भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं. इन राज्यों में से बिहार, गुजरात, लक्षद्वीप, मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड में शराब प्रतिबंधित है. बाकी बचे राज्यों के लोग हर साल करीब 600 करोड़ लीटर शराब पी जाते हैं. इस शराब पर राज्य टैक्स लगाते हैं और अपनी आमदनी करते हैं. अपने यहां शराब को प्रतिबंधित करने वाले राज्यों को छोड़कर बचे हुए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने शराब पर लगने वाली स्टेट एक्साइज ड्यूटी से साल 2019-20 में कुल 1,75,501.42 करोड़ रुपये की आमदमी की है. रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट कहती है कि साल 2018-19 में इन राज्यों को एक्साइज टैक्स से कुल कमाई 1,50,657.95 करोड़ रुपये हुई थी. रिपोर्ट ये भी कहती है कि राज्य अपनी कुल आमदमी का 10 से 15 फीसदी हिस्सा शराब पर लगे टैक्स की वजह से ही कमा पाते हैं. हालांकि इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइंस असोसिएशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट कहती है कि 2019 में कुल 2.48 लाख करोड़ रुपये की आमदनी शराब बेचने से हुई है.


देश में इस वक्त जीएटी लागू है, लेकिन शऱाब को जीएसटी से बाहर रखा गया है. लिहाजा राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से शराब पर टैक्स लगाती हैं. आम तौर पर कोई भी राज्य शराब के बनाने और बेचने पर टैक्स लगाता है. इसके अलावा कुछ ऐसे भी राज्य हैं, जिन्होंने शराब पर वैल्यू ऐडेड टैक्स यानि कि वैट लगा रखा है जैसे कि तमिलनाडु. इसके अलावा कुछ राज्य सरकारें विदेशी शराब के आयात पर, उनकी लेबलिंग पर और उनके रजिस्ट्रेशन पर अलग से टैक्स लगाती हैं. उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में शराब पर गो कल्याण सेस लगाया गया है, जो 0.5 फीसदी है.


राज्यों को सबसे ज्यादा आमदनी होती है जीएसटी यानि कि गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स से. इसके बाद उनकी कमाई का सबसे बड़ा जरिया शराब ही है, जिसे बेचने और बनाने पर टैक्स वसूलकर राज्यों की अर्थव्यवस्था चलती है. और ये हम नहीं रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट ‘State Finances: A Study of Budgets of 2019-20’कहती है. और यही वजह है कि कोई भी राज्य सरकार शराब को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना चाहती है. क्योंकि अगर एक बार शराब जीएसटी के दायरे में आ गई तो फिर उसमें केंद्र सरकार का भी हिस्सा हो जाएगा और फिर राज्यों की कमाई घट जाएगी.


रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 में देश के राज्य औसतन हर महीने करीब 12,500 करोड़ रुपये सिर्फ शराब से कमाते थे, जो 2019-20 में बढ़कर करीब 15000 करोड़ रुपये तक हो गए थे. इसे कुछ उदाहरणों से समझने की कोशिश करते हैं. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट ‘State Finances: A Study of Budgets of 2019-20’के मुताबिक 2019-20 में उत्तर प्रदेश ने करीब 2500 करोड़ रुपये महीने की आमदनी सिर्फ शराब से मिलने वाले टैक्स से की थी. साल 2019-20 में उत्तर प्रदेश को शराब से कुल 31,517.41 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी.


दूसरे नंबर पर कर्नाटक था, जिसने 2019-20 में कुल 20,950 करोड़ रुपये शराब पर टैक्स लगाकर कमाए थे. महाराष्ट्र इस कमाई के मामले में तीसरे नंबर पर था, जहां शराब पर टैक्स लगाकर सरकार ने कुल 17,477.38 करोड़ रुपये कमाए थे. पश्चिम बंगाल इस लिस्ट में चौथे नंबर पर था, जिसने साल 2019-20 में 11,873.65 करोड़ रुपये की आमदनी की थी. तेलंगाना इस लिस्ट में पांचवे नंबर पर था, जिसने 10,901 करोड़ रुपये कमाए थे.


लेकिन लॉकडाउन की वजह से सभी राज्यों की ये आमदनी पिछले 40 दिनों से ठप पड़ी हुई थी. इन आंकड़ों के आधार पर ये साफ है कि राज्यों को हर दिन करीब 700 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा था. इसके अलावा गाड़ियां ठप होने की वजह से पेट्रोल-डीज़ल की बिक्री में भी कमी आ गई थी और इसकी वजह से भी राज्यों की आमदमी पर असर पड़ रहा था. कोविड 19 की वजह से केंद्र सरकार राज्यों को उनके जीएसटी का भी हिस्सा नहीं दे पा रही थी, जिससे राज्यों को अपनी ज़रूरतें पूरा करने में दिक्कत हो रही थी. और यही वजह थी कि राज्य सरकारें केंद्र सरकार से शराब की दुकानों को खुलवाने का आग्रह कर रही थीं.