केंद्र के बढ़े हुए एक्साइज और राज्यों के बढ़े हुए वैट के साथ ही भारत दुनिया का वो देश बन गया है, जहां तेल पर सबसे ज्यादा टैक्स लिया जा रहा है. ये टैक्स करीब 69 फीसदी है. यानि कि आप 100 रुपये का जो तेल खरीदते हैं, उसकी असली कीमत सिर्फ 31 रुपये ही है. बाकी के बचे हुए पैसे सरकार टैक्स के तौर पर लेती है. इस टैक्स में भी केंद्र और राज्य दोनों का ही हिस्सा होता है.


प्रति लीटर तेल पर एक्साइज ड्यूटी वसूलती है केंद्र सरकार


केंद्र सरकार पेट्रोल और डीज़ल पर एक्साइज ड्यूटी लगाती है. एक्साइज ड्यूटी एक तरह का अप्रत्यक्ष कर होता है, जो किसी प्रॉडक्ट के प्रॉडक्शन या फिर मैन्युफैक्चरिंग पर लगता है. प्रति लीटर डीज़ल और प्रति लीटर पेट्रोल पर ये एक निश्चित रकम होती है. यानि कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम घटें या फिर बढ़ें, केंद्र सरकार को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. फिलहाल केंद्र सरकार की ओर से डीजल पर 31.83 रुपये एक्साइज वसूल किया जा रहा है, वहीं पेट्रोल पर एक्साइज 32.98 रुपये प्रति लीटर है.


केंद्र सरकार समय-समय पर इस एक्साइज ड्यूटी में बदलाव करती रहती है. आखिरी बार एक्साइज ड्यूटी में केंद्र सरकार ने 5 मई, 2020 को बदलाव किया है. पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर ड्यूटी बढ़ाई गई है. इससे पहले 14 मार्च को केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 3-3 रुपये प्रति लीटर एक्साइज के तौर पर बढ़ाए थे. और तब पेट्रोल पर कुल एक्साइज बढ़कर 22.98 रुपये प्रति लीटर हो गया था. वहीं डीज़ल पर कुल एक्साइज बढ़कर 18.83 रुपये हो गए थे. इस एक्साइज ड्यूटी में 0.50 रुपये प्रति लीटर रोड टैक्स भी शामिल है. यानि कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम घटें या फिर बढ़ जाएं, केंद्र सरकार को खास फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि उसका प्रति लीटर हिस्सा तय है.


राज्य सरकारें वसूलती हैं वैल्यू ऐडेड टैक्स


राज्य सरकारें अपने-अपने राज्य में वैट यानि कि वैल्यू ऐडेड टैक्स वसूलती हैं. हर राज्य में वैट की दर अलग-अलग है. राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से इस वैट की दर को तय करती रहती हैं. आम तौर पर जिस राज्य में चुनाव नज़दीक होते हैं वहां वैट कम कर दिया जाता है और जिस राज्य में चुनाव दूर होता है, वहां की सरकारें अपना राजस्व बढ़ाने के लिए वैट की दर बढ़ा देती हैं. उदाहरण के लिए दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश ने कोरोना वायरस की वजह से हुए नुकसान की थोड़ी सी भरपाई करने के लिए पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ा दिया है.


अब ये दोनों टैक्स कैसे काम करते हैं और कैसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहद सस्ता तेल आपको 80 रुपये लीटर मिलता है, इसे समझने की कोशिश करते हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत है 30 डॉलर प्रति बैरल. 7 मई, 2020 के हिसाब से डॉलर का रेट है 75.94. एक बैरल में होते हैं 159 लीटर. यानि कि 159 लीटर कच्चे तेल की कीमत है 2278.20 रुपये. यानि एक लीटर कच्चे तेल की कीमत है 14.32 रुपये. अब जरा पेट्रोल की कीमत को समझिए.


# 14.32 रुपये : एक लीटर कच्चा पेट्रोल
# 2.87 रुपये : तेल कंपनियों का प्राफिट और ट्रक का भाड़ा
# 32.98 रुपये : केंद्र सरकार का एक्साइज टैक्स
# 2.53 रुपये : डीलर का कमीशन


अब एक लीटर पेट्रोल की कीमत हो गई 52.7 रुपये


# 15.81 रुपये : दिल्ली सरकार का वैट (30 फीसदी नए रेट से)
# अब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत हो गई 68.51 रुपये
# इसमें 2.75 रुपये जुड़ते हैं प्रदूषण और दूसरे अन्य खर्च के.


अब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत हो गई 71.26. 7 मई को दिल्ली में पेट्रोल इसी रेट से मिल रहा है. यानि कि आपने एक लीटर पेट्रोल के लिए जो 71.26 रुपये चुकाए हैं, उसमें से 48.79 रुपये तो केंद्र और राज्यों ने आपसे टैक्स के तौर पर ही वसूल लिए हैं. ये वसूली करीब 69 फीसदी के आस-पास हो रही है. डीज़ल का भी यही गणित है. आप अपने-अपने राज्य के हिसाब से वैट के आधार पर अपने यहां मिलने वाले पेट्रोल और डीज़ल की कीमत का आंकलन आसानी से कर सकते हैं.


हां ये एक हकीकत ज़रूर है कि भारत जैसे विकासशील देश में पेट्रोल और डीज़ल पर टैक्स दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा है. फ्रांस और जर्मनी जैसे देश करीब 63 फीसदी टैक्स वसूलते हैं. इटली और ब्रिटेन में भी टैक्स 60 फीसदी से ज्यादा ही है. स्पेन में ये टैक्स करीब 53 फीसदी, जापान में करीब 47 फीसदी टैक्स पेट्रोल-डीजल पर लगता है. वहीं जिस अमेरिका के बनने का सपना हम देखते हैं, वहां पर पेट्रोल-डीजल पर टैक्स करीब 19 फीसदी है. अब खुद से इस बात का अंदाजा लगा लीजिए कि हम और हमारा देश इस मामले में कहां खड़ा़ है.