I2U2 Aka West Asian Quad: भले ही पश्चिम एशियाई क्वाड (West Asian Quad) यानी I2U2 का पहला लीडर्स शिखर सम्मेलन (First-Ever Leader’s Summit) गुरुवार 14 जुलाई को वर्चुअली (Virtually) आयोजित किया जा रहा हो, लेकिन भारत, इसराइल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका के लिए खड़े इस संगठन का इन देशों के लिए यह समिट बहुत महत्वपूर्ण है. भारतीय विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs -MEA) के मुताबिक आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)  इसराइल, यूएई और अमेरिका के राष्ट्राध्यक्षों के साथ पहली बार I2U2 वर्चुअल समिट में भाग लेंगे. आपके मन में भी इस तरह के सवाल उठ रहे होंगे मसलन यह I2U2 क्या है? जो आज अपने पहला लीडर्स शिखर सम्मेलन आयोजित कर रहा है? यह सम्मेलन सदस्य देशों के लिए क्या मायने रखता है? इसकी स्थापना क्यों की गई? तो इन सब सवालों के जवाबों को यहां जानिए.


 






I2U2 का मतलब और अहमियत


अगर पश्चिम एशियाई क्वाड (West Asian Quad) यानि I2U2 को भारत में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत (Ambassador) अहमद अलबन्ना के शब्दों में समझा जाए तो ये संगठन भारत (India), इसराइल (Israel), संयुक्त अरब अमीरात ( United Arab Emirates-UAE) और अमेरिका (America-US) के लिए खड़ा है. पहली बार इस समूह (Group)के बारे में पिछले साल अक्टूबर में एक सीनियर अमेरिकी ऑफिसर ने किया था. तब उन्होंने कहा था कि यह बैठक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) की 13 से 16 जुलाई तक मध्य पूर्व (Middle East) में चल रही यात्रा के दौरान की जाएगी. गौरतलब है कि बीते साल अक्टूबर 2021  में  चार देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक भारत के  विदेश मंत्री एस जयशंकर ( S Jaishankar )के साथ हुई थी. तब वो इसराइल के दौरे पर थे. तब इस ग्रुप को आर्थिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच (International Forum for Economic Cooperation) का नाम दिया गया था. विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर कहा है कि सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए इन सदस्य देशों ने नियमित तौर पर  शेरपा-स्तर (Sherpa-Level ) की बातचीत की है.


I2U2 समूह का उद्देश्य


पश्चिम एशियाई क्वाड की पहली लीडर्स समिट का मकसद सदस्य देशों के पारस्परिक हितों के सामान्य क्षेत्रों, सदस्य देशों से संबंधित क्षेत्रों और उसके बाहर व्यापार और निवेश में आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा करना है. I2U2 के सदस्य देशों ने परस्पर सहयोग के छह क्षेत्रों की पहचान की है. इसका उद्देश्य जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में संयुक्त निवेश को प्रोत्साहित करना है. सदस्य देशों के बीच निजी क्षेत्र की पूंजी और विशेषज्ञता की मदद से अपने देशों के बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करने, उद्योगों में कार्बन उत्सर्जन (Low Carbon ) को कम करने के रास्ते तलाशने पर भी सहमति बनी है. इसके साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) में सुधार और उभरती और महत्वपूर्ण हरित प्रौद्योगिकियों (Green Technologies) के विकास को बढ़ावा देने पर भी ध्यान दिया जाएगा.


समूह का भारत से विशेष जुड़ाव


यह समूह इसराइल सहित पश्चिम एशिया (West Asia) के देशों के साथ भारत के बढ़ते जुड़ाव की तरफ भी इशारा करता है. इन देशों के साथ पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में घनिष्ठ संबंध विकसित किए हैं. इस साल मई में ही उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ( Venkaiah Naidu) ने यूएई का दौरा किया था और इसके तुरंत बाद दो हफ्ते पहले ही पीएम मोदी जी 7 शिखर (G7 Summit) सम्मेलन में भाग लेने के बाद संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे थे, हालांकि यह पीएम मोदी का बहुत छोटा दौरा रहा था, लेकिन इसने भारत और यूएई के संबंधों को एक नया आयाम देने में अहम भूमिका निभाई.


यूएस भी है I2U2 को सकारात्मक


अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की मध्य पूर्व में जारी यात्रा के बारे में एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया, “यह यात्रा संयुक्त अरब अमीरात, मोरक्को (Morocco ) और बहरीन (Bahrain) के साथ अब्राहम समझौते ( Abraham Accords) के जरिए इस क्षेत्र में इसराइल के बढ़ते एकीकरण (Integration) पर भी ध्यान केंद्रित करेगी. इसके साथ ही  एक पूरी तरह से नए समूह पर भी उसका ध्यान रहेगा. इस समूह से मतलब  इसराइल, भारत, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित I2U2 के  भागीदारों से है. गौरतलब है कि साल 2020 के अब्राहम समझौते ने इसराइल को संयुक्त अरब अमीरात और इस क्षेत्र के दो अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंधों को औपचारिक रूप से सामान्य करने के लिए प्रेरित किया है. यही वजह है कि इसराइल पर पश्चिम एशियाई देशों के रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है. इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच शान्ति समझौता या अब्राहम समझौता 13 अगस्त 2020 को हुआ एक अप्रत्याशित समझौता है. यदि इस समझौते पर हस्ताक्षर हो जाते हैं, तो संयुक्त अरब अमीरात इजराइल के साथ अपने सम्बन्ध सामान्य करने वाला तीसरा अरब देश बन जाएगा. 


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