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Anti-Hijab Protests: हिजाब को लेकर विरोध की आग में सुलग रहा ईरान, 14 दिन में 80 से अधिक की मौत

Iran Anti-Hijab Row: ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला थम नहीं रहा है. हिजाब के खिलाफ हो रहे विरोधों में 2 हफ्ते में ही 83 लोगों की जान जा चुकी है.

Anti-Hijab Protests In Iran: ईरान में महसा अमीनी (Mahsa Amini) जैसे हिजाब के खिलाफ क्रांति का दूसरा नाम हो गया है. अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से ही ईरान (Iran) विरोध प्रदर्शनों की आग में उबल रहा है. इस देश में प्रदर्शनों का सिलसिला लगातार जारी है. एक मानवाधिकार समूह की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी एशिया के इस इस्लामिक देश में दो हफ्ते में ही 83 लोग मारे जा चुके हैं.

इन हालातों में यहां के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) ने लोगों को आगाह किया है कि देश में किसी को भी कानून हाथ में लेने और अराजकता फैलाने की इजाजत नहीं है. आलम ये है कि ईरानी सरकार ने इन विरोध प्रदर्शनों पर लगाम लगाने के लिए देश की मशहूर शख्सियतों और पत्रकारों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. यहां महसा अमीनी की मौत से अब-तक के घटनाक्रम पर एक नजर डालिए.

विरोध प्रदर्शनों में गईं कई जानें

ईरानी कुर्दिश शहर साकेज़ की 22 साल की महसा अमीनी को तेहरान में घूमने के दौरान 13 सितंबर को इस्लामिक पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने हिजाब ठीक तरीके से नहीं पहना था. पुलिस स्टेशन में उनकी तबियत खराब होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया था और इसके 3 दिनों बाद ही उनकी शुक्रवार 16 सितंबर को मौत हो गई. उनके परिवार वालों ने पुलिस पर महसा के साथ मारपीट का आरोप लगाया है. इसके बाद से ही इस देश के कई शहरों में प्रदर्शन जारी है.

महिलाएं पुरजोर विरोध पर उतर आईं हैं. लोग सड़कों पर हैं. महिलाएं विरोध में अपने बाल काट रही हैं. हिजाब जला रहीं हैं. गुरुवार को भी कई शहरों में विरोध प्रदर्शन जारी रहे. ईरानी मीडिया और सोशल मीडिया ने एक मानवाधिकार समूह का हवाला देते हुए कहा है कि लगभग दो हफ्तों के प्रदर्शनों में कम से कम 83 लोग मारे गए हैं. ईरान पर नॉर्वे (Norway) के ह्यूमन राइट्स समूह ने ट्वीट किया, "ईरान के विरोध प्रदर्शनों में बच्चों सहित कम से कम 83 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है."

जारी है प्रर्दशनों का दौर

बढ़ती मौत की संख्या और अधिकारियों की भयंकर कार्रवाई के बावजूद यहां प्रदर्शनकारी रुक नहीं रहे हैं. ट्विटर पर पोस्ट किए गए वीडियो में प्रदर्शनकारियों को तेहरान, क़ोम, रश्त, सनंदाज, मस्जिद-ए-सुलेमान और अन्य शहरों में क्लेरिकल इस्टेबलिशमेंट (Clerical Establishment) को खत्म करने के लिए आगे आने को कहा है.

गौरतलब है कि ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद 1979 में महिलाओं को इस्लामिक तरीक़े से कपड़े पहनने का कानून लाया गया था. इसके बाद से ही औरतों को शरीर को ढंकने के लिए चादर, सिर पर स्कार्फ़ या हिजाब जरूरी हो गया. ईरान के सरकारी टीवी ने कहा कि पुलिस ने बिना आंकड़े दिए बड़ी संख्या में "दंगाइयों" को गिरफ्तार किया है.

शख्सियतों पर निशाना

इस्लामिक गणतंत्र में अमीनी की मौत के बाद भड़के आक्रोश पर ईरान ने गुरुवार (29 सितंबर) को मशहूर हस्तियों और पत्रकारों पर दबाव डाला. यहां फिल्म निर्माताओं, एथलीटों, संगीतकारों और अभिनेताओं ने इन प्रदर्शनों का समर्थन किया है. आईएसएनए के मुताबिक, तेहरान के प्रांतीय गवर्नर मोहसेन मंसूरी (Mohsen Mansouri) ने कहा, "हम उन हस्तियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जो दंगों को भड़काने के लिए हवा दे रहे हैं."

उधर देश के न्यायपालिका प्रमुख घोलमहोसिन मोहसेनी एजेई (Gholamhossein Mohseni Ejei) ने भी ऐसा ही आरोप लगाया और कहा "जो लोग सिस्टम का समर्थन लेकर मशहूर हुए, वे मुश्किल वक्त में दुश्मनों में शामिल हो गए." यह चेतावनी पूरे ईरान में लगभग दो हफ्तों के विरोध प्रदर्शन और एक घातक कार्रवाई के बाद आई.

पत्रकारों की हुई गिरफ्तारी

ईरान ने कल (29 सितंबर) ही अमीनी के अंतिम संस्कार को कवर करने वाले रिपोर्टर इलाहे मोहम्मदी (Elahe Mohammadi) को गिरफ्तार किया. पुलिस ने सुधारवादी शारग (Shargh ) दैनिक के पत्रकार नीलोफर हमीदी को भी गिरफ्तार किया है. ये वही पत्रकार हैं जो अमिनी के कोमा में रहने के दौरान अस्पताल पहुंचे थे और इस मामले को दुनिया के सामने लाए. फारस समाचार एजेंसी के अनुसार गार्ड्स ने कहा कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के खुफिया अधिकारियों ने पाक शिया शहर क़ोम (Qom) में दंगों के पीछे एक संगठित नेटवर्क के 50 सदस्यों को गिरफ्तार किया.

तानाशाही नहीं चलेगी

पूरी दुनिया ईरानी महिलाओं को अपना पुरजोर समर्थन दे रही है. महिलाओं ने एकजुटता के साथ 1 अक्टूबर शनिवार को 70 शहरों में रैलियों का प्लान किया है. ऐसा ही एक विरोध प्रदर्शन अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुआ. यहां महिलाओं ने ईरानी दूतावास के बाहर बैनरों के साथ रैली की. बैनरों में लिखा था, "ईरान में नया सूरज निकल आया है, अब हमारी बारी है! काबुल से ईरान तक, तानाशाही को ना कहो!"

एएफपी के मुताबिक सत्तारूढ़ कट्टरपंथी इस्लामी तालिबान की ताकतों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलाईं और फिर झट से बैनर छीने और फाड़ दिए. नॉर्वे में कई लोगों ने गुस्से में प्रदर्शन के दौरान ओस्लो (Oslo) में ईरानी दूतावास में घुसने की कोशिश की. नॉर्वे पुलिस के मुताबिक इस दौरान दो लोगों को हल्की चोटें आईं. यहां के पब्लिक ब्रॉडकास्टर एनआरके (NRK) ने बताया कि पुलिस ने 95 लोगों को हिरासत में लिया है.

फूटा मानवाधिकार समूहों का गुस्सा

लंदन के मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) ने ईरान के सुरक्षा बलों के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ गैरकानूनी और निर्मम क्रूर हिंसा की सख्त आलोचना की है. इसमें कहा गया है कि सुरक्षा बलों ने लाइव गोला-बारूद और धातु के छर्रों का इस्तेमाल ही प्रदर्शनकारियों पर नहीं किया बल्कि भारी मारपीट और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा भी की. ये सब वहां जानबूझकर लगातार बाधित किए जा रहे इंटरनेट और मोबाइल की आड़ में किए गए.

ग्रुप के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड (Agnes Callamard) ने कहा, "अब तक बच्चों सहित दर्जनों लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं. फ़ार्स समाचार एजेंसी (Fars News Agency) के मुताबिक लगभग 60" लोग मारे गए थे  जबकि ईरान पर नॉर्वे (Norway) के ओस्लो के ह्यूमन राइट्स समूह ने 80 से अधिक लोगों की मौत की जानकारी दी है. 

ईरान पर प्रतिबंध की मांग

इस बीच जर्मनी (Germany) की विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक (Annalena Baerbock) ने गुरुवार (29 सितंबर) को कहा कि वह चाहती हैं कि अमीनी की मौत के बाद यूरोपीय संघ (European Union) ईरान पर प्रतिबंध लगाए. बेरबॉक ने कहा, "वह वो सब कुछ कर रही है जो ईरान में धर्म के नाम पर महिलाओं को पीटने और प्रदर्शनकारियों को गोली मारने के खिलाफ यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कर सकती हैं."

बाहरी ताकतें हैं जवाबदेह

ईरान ने 29 सितंबर गुरुवार के विरोध के समर्थन में आए फ्रांस के एक बयान पर खासी नाराजगी जताई है. यहां की सरकार ने कहा कि किसी भी बाहरी मुल्क को हमारे आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी का हक नहीं है. इससे पहले उसने ब्रिटेन (Britain) और नॉर्वे से भी अपनी नाखुशी जताई. उसने देश में विरोध प्रदर्शनों के लिए बाहरी ताकतों को दोषी ठहराया है. ईरान ने बुधवार 28 सितंबर को सीमा पार इराक के कुर्दिस्तान (Iraq's Kurdistan) इलाके में मिसाइल और ड्रोन हमले किए. इसमें 13 लोगों की मौत हो गई. ईरान ने ये हमला इराक के सशस्त्र समूहों पर अशांति फैलाने और विरोध प्रर्दशनों को भड़काने के आरोप के चलते किया था. 

संकट दूर करने की कोशिश

ईरान की अर्थव्यवस्था पहले से ही अपने विवादित परमाणु कार्यक्रम के प्रतिबंधों का असर झेल रही है. ईरानी सरकार ने संकट को कम करने की कोशिश की है. यहां के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन (Hossein Amir-Abdollahian) ने कहा कि उन्होंने हाल ही में संयुक्त (UN) राष्ट्र की बैठकों में पश्चिमी राजनयिकों से कहा कि विरोध प्रदर्शन इस्लमिक देश (Clerical State) की स्थिरता के लिए कोई बड़ी बात नहीं रहे. उन्होंने बुधवार 28 सितंबर को न्यूयॉर्क (New York) में नेशनल पब्लिक रेडियो (National Public Radio) से कहा, "ईरान में सत्ता में बदलाव नहीं होने जा रहा है, ईरानी लोगों की भावनाओं से मत खेलो."

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