पूरी दुनिया इस वक्त खौफजदा है. और इसकी वजह है एक वायरस कोविड 19. दुनिया भर में करीब 2 लाख लोग इस वायरस की चपेट में हैं. 8,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इसका सीधा असर दिख रहा है दुनिया के बाजार पर, जो लगातार गिरता जा रहा है. क्या अमेरिका, क्या चीन और क्या जापान, हर जगह मार्केट धराशायी होता जा रहा है. हम भी इससे अछूते नहीं हैं. 18 मार्च को अपने देश के शेयर बाजार का सेंसेक्स 30,000 से नीचे चला गया. और फिर ट्वीटर पर ट्रेंड करने लगा बंद करो बाजार. तो क्या सरकार बाजार को बंद कर सकती है और क्या बाजार के बंद होने से लगातार डूब रहे पैसे बच पाएंगे?


करीब 40 लाख करोड़ रुपये का हुआ नुकसान

भारत का शेयर बाजार हर रोज लगातार नीचे ही गिरता जा रहा है. पिछले एक महीने में बाजार में करीब 26 फीसदी की गिरावट हुई है, जिसकी वजह से निवेशकों को 40 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नुकसान हुआ है. और ये नुकसान लगातार बढ़ता ही जा रहा है. हर रोज हजारों करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है. हर रोज अखबारों, टीवी चैनलों और वेबसाइट्स की सुर्खियां बन रही हैं कि शेयर बाजार गिरने से कभी चार लाख करोड़ रुपये डूब गए तो कभी पांच लाख करोड़ और कभी 9 लाख करोड़. ये अलग-अलग दिनों के आंकड़े हैं. और अलग-अलग दिनों पर शेयर बाजार में ये पैसे डूबे हैं. इसी को देखते हुए जब 18 मार्च को शेयर बाजार 1300 पॉइंट से ज्यादा गिरा तो फिर लोगों ने #bandkarobazaar ट्वीट करना शुरू कर दिया और ये इंडिया का टॉप ट्रेंड बन गया. लेकिन क्या बाजार को बंद करना इतना आसान है, इसे समझने की कोशिश करते हैं.

सर्किट ब्रेकर लगाकर संभाला गया था कामकाज

शेयर बाजार में हफ्ते में पांच दिन काम होता है और दो दिन की छुट्टी होती है. शनिवार और रविवार. इसके अलावा बाजार बंद नहीं होता. हां अगर शेयर मार्केट में कुछ ज्यादा ही उथल-पुथल होती है तो पैसे को डूबने से रोकने के लिए कुछ तरीके अपनाए जाते हैं. इसे कहते हैं सर्किट ब्रेकर. जब ये लगता है कि कोई भी ब्रोकर शेयर बाजार को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है और उसकी वजह से अचानक से शेयरों की बिकवाली या खरीदारी तय सीमा से ज्यादा होने लगती है, तो इसे रोकने के लिए सर्किट ब्रेकर का इस्तेमाल किया जाता है. अभी हाल ही में जब 13 मार्च को बाजार अचानक से ओपनिंग के बाद 2534 अंक गिर गया तो सर्किट ब्रेकर लगाकर बाजार को 45 मिनट के लिए बंद कर दिया गया. ये सर्किट ब्रेकर भी दो तरह का होता है. अपर सर्किट और लोवर सर्किट. जब बाजार में पैसे ज्यादा हो जाते हैं तो अपर सर्किट लगाकर ट्रेडिंग कुछ देर के लिए रोक दी जाती है, वहीं जब बाजार में पैसे तय सीमा से कम हो जाते हैं तो लोअर सर्किट लगाकर ट्रेडिंग बंद की जाती है. 13 मार्च को लोअर सर्किट लगाकर ट्रेडिंग बंद की गई थी.



सर्किट ब्रेकर के लिए सेबी ने बनाई गाइडलाइंस

सेबी की गाइडलाइन्स के मुताबिक अपर या लोअर सर्किट के लिए तीन ट्रिगर लिमिट्स हैं. 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी. जब दोपहर 1 बजे से पहले शेयर बाजार 10 फीसदी तक गिरे या चढ़े तो ट्रेडिंग 45 मिनट के लिए रोक दी जाती है. अगर 1 बजे से 2.30 बजे तक बाजार में 10 फीसदी का उतार-चढ़ाव होता है तो ट्रेडिंग को 15 मिनट के लिए रोक दिया जाता है. वहीं अगर बाजार में दोपहर 1 बजे से पहले 15 फीसदी का उतार-चढ़ाव हो तो ट्रेडिंग 1 घंटे 45 मिनट के लिए रोकी जाती है. अगर एक बजे से दो बजे तक के बीच 15 फीसदी का उतार-चढ़ाव हो तो मार्केट में 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोक दी जाती है. अगर 2 बजे के बाद मार्केट में 15 फीसदी का उतार-चढ़ाव हो तो मार्केट को बंद कर दिया जाता है. अगर ट्रेडिंग के दौरान किसी भी वक्त शेयर बाजार में 20 फीसदी का उतार-चढ़ाव आता है तो बचे हुए पूरे दिन के लिए ट्रेडिंग बंद कर दी जाती है.

सोशल मीडिया पर उठ रही बाजार बंद की मांग

लेकिन कोई भी निवेशक ये नहीं चाहता कि सर्किट ब्रेकर लगाकर ट्रेडिंग बंद की जाए. और जब निवेशक सर्किट ब्रेकर नहीं चाहते तो वो पूरे बाजार की ट्रेडिंग ही रोकने के लिए कैसे राजी होंगे. हालांकि बाजार के कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि पिछले कुछ दिनों में पूरा मार्केट कैप 26 फीसदी तक कम हो गया है. ऐसे में और नुकसान न हो, इसके लिए ट्रेडिंग को रोकना ही सबसे बेहतर तरीका है. सेबी एक आदेश के जरिए अगले कुछ दिनों के लिए ट्रेडिंग बंद कर दे, तो मार्केट संभल सकता है. वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर ट्रेडिंग कुछ दिनों के लिए बंद कर दी जाएगी तो बाजार जब भी खुलेगा क्रैश हो जाएगा. कुछ लोग इस बात के लिए भी तैयार हैं कि हर रोज पैसे डुबोने से तो बेहतर है कि एक ही दिन नुकसान उठाना पड़े. क्योंकि निवेशक शेयर का प्राइस कम होने पर शेयर खरीद ले रहे हैं. अगले दिन पता चलता है कि वो शेयर और भी ज्यादा गिर गया. ऐसे में उसे खासा नुकसान हो जा रहा है. वहीं सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो ये कह रहे हैं कि बाजार बंद करने की बात वो लोग कर रहे हैं, जिन्होंने कभी भी शेयर बाजार से पैसे नहीं बनाए हैं.

शेयर बाजार को बंद करवाने की वकालत करने वाले लोगों का ये भी कहना है कि अगर लोग कोरोना के कहर से बचेंगे, तो पैसे भी बना लेंगे. इसलिए सेबी को या तो बाजार बंद कर देना चाहिए या फिर ट्रेडिंग के घंटे कम कर देने चाहिए. हालांकि सोशल मीडिया के इस रिएक्शन पर सेबी का अभी तक कोई बयान नहीं आया है. बाकी शेयर बाजार बंद करने की वकालत करने वालों से एक सवाल है कि आप शेयर मार्केट में रोज का तो लेन-देन बंद कर सकते हैं, लेकिन वायदा कारोबार का क्या होगा. हालांकि हमारे सामने फिलिपिंस का उदाहरण भी है, जिसने अपने शेयर बाजार को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया है. अमेरिकी सरकार अभी शेयर बाजार बंद करने पर राजी नहीं है और हमारे यहां तो इसपर सरकार की तरफ से कोई बात भी नहीं हो रही है.