"शादी एक सजा है, योर ऑनर''....क्या वाकई युवा अब शादी के बंधन से मुक्त होकर जीना चाहते हैं
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में युवाओं के बीच शादी को लेकर बदलते विचार पर अपनी बात रखी. कोर्ट ने कहा कि युवाओं के बीच शादी की परिभाषा बदल रही है.
![IS Marriage punishment why youth really want to live without getting marred](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/09/15/f9f669e4a999e6776cac66c3c2e8876e1663257417384130_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
ब्रिटिश-अमेरिकी अभिनेत्री हेलेन मिरेन का शादी को लेकर एक मशहूर कथन है. वो कहती हैं कि 'The great marriages are partnerships...'' यानी वो सफल विवाह के लिए दो लोगों (पति-पत्नी) के बीच अच्छी सांझेदारी की बात कहती हैं. वहीं दूसरी तरफ बॉलीवुड की एक फिल्म के गाने के बोल देखिए- 'शादी कर के फंस गया यार, अच्छा खासा था कुंवारा'...
अगर आपसे पूछा जाए कि बॉलीवुड के गाने के बोल और हेलेन मिरेन के कथन में से शादी को लेकर कही गई किस बात में आप सहमत हैं तो आपमें से कईयों का जवाब हेलेन मिरेन का कथन होगा, लेकिन आपको बता दें कि आज दुनियाभर के युवाओं का शादी जैसी संस्था में विश्वास कम होता जा रहा है और वो खुद को ऊपर लिखे बॉलीवुड फिल्म के गाने से ज्यादा कनेक्ट कर पाते हैं. वो शादी कर के फंसने की जगह कुंवारे रहकर अपनी मर्जी से जिंदगी जीना चाहते हैं.
आप सोचेंगे कि हम आज युवाओं में शादी न करने की तमन्नाओं को लेकर क्यों बात कर रहे हैं. दरअसल रितेश देशमुख और तमन्ना भाटिया स्टारर एक फिल्म आ रही है. फिल्म का नाम है- 'प्लान ए प्लान बी'..इस फिल्म के दो मिनट और 10 सेकेंड के ट्रेलर में आप एक डायलॉग सुनेंगे जिस डायलॉग को रितेश देशमुख का किरदार कह रहा है. वो डायलॉग है- "शादी एक सजा है, योर ऑनर''......
पहले फिल्म को लेकर थोड़ा जान लें फिर बात करेंगे कि शादी क्या वाकयी अब सजा बन गई है.
क्या है फिल्म के ट्रेलर में
फिल्म में निराली का किरदार तमन्ना भाटिया तो वहीं कोस्टी का किरदार रितेश देशमुख निभा रहे हैं. ट्रेलर में आप देखेंगे कि कोस्टी का किरदार निराली से कहता है- ''तुम मैच मेकर हो और मैं फैमिली लॉ का स्पेशलिस्ट हूं. प्लान ए आप लोगों की शादियां करवाओ और प्लान बी मैं उनको तलाक दिलाने का काम करूंगा.'' वहीं कोस्टी कोर्ट में जज के सामने भी कहता है, "शादी एक सजा है, योर ऑनर''.
ट्रेलर से साफ है कि दुनिया भर में युवाओं में दो तरह की बात चल रही है. एक वो जो कोस्टी की तरह सोचते हैं और चाहते हैं कि शादी की जगह इंसान को बैचलर होना चाहिए, डेटिंग करनी चाहिए..रिश्ते में नहीं बंधना चाहिए...वहीं निराली जैसे युवा आज भी प्यार, शादी और रिश्ते को जीवन भर चलाने में विश्वास रखते हैं.
जापान का सर्वे
भारतीय समाज से अलग विदेश में भी युवा शादी नहीं करना चाहते हैं. जापान एक ऐसा ही मुल्क़ है. बड़ी संख्या में जापान में पुरुषों और महिलाओं का कहना है कि उनका शादी करने का कोई इरादा नहीं है. इस बात का खुलासा एक सर्वे में हुआ है. सर्वे के अनुसार, 17.3% पुरुषों और 18 से 34 वर्ष की आयु की 14.6% महिलाओं ने कहा कि उनका कभी भी शादी के बंधन में बंधने का कोई इरादा नहीं है.
भारत में अविवाहित युवाओं की संख्या में इजाफा
देश में बीते कुछ वर्षों में अविवाहित युवाओं की संख्या में इजाफा हुआ है. सरकार की ओर से कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है. सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 15-29 वर्ष के आयु वर्ग के अविवाहित व्यक्तियों का अनुपात 2019 में बढ़कर 23 फीसदी हो गया, जो 2011 में 17.2 फीसदी था.
हाल ही में केरल हाई कोर्ट की फटकार
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में युवाओं के बीच शादी को लेकर बदलते विचार पर अपनी बात रखी. कोर्ट ने कहा कि युवाओं के बीच शादी की परिभाषा बदल रही है. उन्होंने एक सुनवाई के दौरान कहा, "आजकल की युवा पीढ़ी शादी के बंधन को एक बुराई की तरह लेती है, जिसे वह बिना किसी दायित्व या दायित्वों के मुक्त जीवन का आनंद लेने के लिए टाल रहे हैं. वे 'वाइफ इन्वेस्टमेंट फॉर एवर' की पुरानी परंपरा को बदलकर 'लिव-इन रिलेशनशिप' की तरफ बढ़ रहे हैं. 'यूज एंड थ्रो' कल्चर ने हमारे वैवाहिक रिश्तों को भी प्रभावित किया है.
लिव-इन-रिलेशनशिप, शादी या सिंगल, क्या कहते हैं युवा
लिव-इन-रिलेशनशिप या शादी या फिर अकेले रहना...आज देश की युवाओं को क्या पसंद है. इसको लेकर हमने देश के अलग-अलग हिस्सों के कुछ साथियों से बात की और उनकी राय जाननी चाही. देखिए उन्होंने क्या कहा...
मीडिया में काम करने वाले और इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखने वाले लखनऊ के एक पत्रकार ने बताया,'' शादी ही सच्चाई है, लिव-इन एक भ्रम है. लिव-इन भारतीय संस्कृति और इस्लाम के खिलाफ है. यह कहना गलत है कि युवाओं का विश्वास शादी से उठ गया है. ये सिर्फ एक विदेशी कल्चर है, जो कभी भी भारत पर हावी नहीं हो सकता. यहां शादी हमेशा एक मजबूत संस्था बनी रहेगी.''
वहीं कानपुर के राजेश जो कॉलेज स्टूडेंट हैं वो कहते हैं- ऑनलाइन डेटिंग वेबसाइट और हुक-अप ऐप्स ने लोगों के लिए रिश्तों और सेक्स दोनों को ढ़ूढना आसान कर दिया. यही कारण है कि लोग अब प्यार या शादी के लिए इमानदारी से एफर्ट नहीं करते.''
मुंबई की एक स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस जो लिव-इन रिलेशन में अपने पार्टनर के साथ रहती थीं और हाल ही में चार साल के लंबे वक्त के बाद अपने पार्टनर से अलग होकर अब अकेले रह ही हैं, उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि आजकल युवाओं को अकेले रहना ज्यादा पसंद है और इसका सबसे बड़ा कारण है ऑफिस के काम और व्यक्तिगत जीवन में तालमेल न बिठा पाना. काम इतना होता है कि लोग रिश्तों को समय नहीं दे पाते. इसके साथ ही वो खुद के लिए भी वक्त नहीं निकाल पाते और इन सबका असर रिश्तों पर पड़ता है और वो खत्म हो जाता है. इसलिए अधिकतर युवा शादी करने की जगह अपने करियर और खुद के साथ खुश रहना पसंद करते हैं.''
वहीं लखनऊ हाई कोर्ट के एडवोकेट मुश्ताक़ अहमद खान युवाओं के शादी नहीं करने को लेकर कहते हैं,''लिव इन जैसा छोटे शहरों में कुछ नहीं होता, ये सब हॉलीवुड फिल्मों से आया जो अब बॉलीवुड में हो रहा है. देश के ज्यादातर हिस्से में लोग परिवार के सामने लिव इन के बारे में बात भी नहीं करते हैं.''
मुश्ताक ने आगे तालाक के मामले बढ़ने को लेकर कहा कि तलाक के केस इसलिए बढ़े हैं क्योंकि अब पुरुष के बराबर महिलाएं भी शिक्षित हो रही हैं. अब कोई किसी से दबता नहीं है और रिश्ते में समझौता नहीं करना चाहता और सबसे अहम तलाक ले लेना कोई गलत बात नहीं है.''
क्या "शादी एक सजा है'' ?
इन युवा साथियों की राय मिली-जुली है लेकिन अब वापस उस फिल्म पर लौटते हैं और उस डायलॉग पर जिसमें रितेश देशमुख का किरदार कहता है- "शादी एक सजा है, योर ऑनर''. क्या शादी वाकयी एक सजा है..इसका सीधा जवाब नहीं है पर ये एक हक़ीकत है कि युवा पीढ़ी को हर हाल में अपनी आजादी से प्यार है. उन्हें रिश्ते तो पसंद हैं लेकिन रिश्तों का बंधन नहीं. अगर उनका पार्टनर उन्हें आजादी नहीं देता तो सात जन्म तो छोड़िए एक जन्म में भी शादी उनके लिए पहाड़ जैसा है. वो ऐसे वरमाला और सात फेरे के फेरे में नहीं पड़ना चाहते जो उनसे उनके तरीके की जीवन शैली ही छीन ले. किसी के इशारे पर जिंदगी बिताने की जगह आज की युवा पीढ़ी सिंगल रहते हुए अपनी जिंदगी पूरी आजादी के साथ जीने में यकीन करती है.
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