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Explained: कश्मीर में गुर्जर मुसलमानों की आबादी कितनी? ये समुदाय किन इलाकों में है आबाद, इन सुविधाओं से रखा गया वंचित

Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले, इस गुर्जर मुस्लिम (Gurjar Muslims) समुदाय के लोगों को सामाजिक लाभों से वंचित रखा गया. इन्हें सरकार में भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला.

Gurjar Muslims in Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में गुर्जर मुसलमान अचानक से चर्चा आ गए हैं. इसकी वजह है कि केंद्र सरकार ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के गुर्जर मुस्लिम समुदाय से आने वाले गुलाम अली (Gulam Ali Khatana) को राज्यसभा के लिए नामित किया है. ये शायद पहली बार है जब इलाके के किसी गुर्जर मुस्लिम को मनोनित सदस्य के तौर पर राज्यसभा भेजा गया है. सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर के गुर्जर मुस्लिम गुलाम अली को उच्च सदन के लिए मनोनीत किया है. सियासी तौर पर इसे काफी अहम माना जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले, इस गुर्जर मुस्लिम समुदाय (Gurjar Muslims) के लोगों को कोई मान्यता नहीं दी गई थी और उन्हें अधिकतर सामाजिक लाभों से वंचित करके रखा गया था.

कश्मीर में गुर्जर मुसलमानों की आबादी

जम्मू-कश्मीर से गुलाम अली को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया जाने का कदम के सियासी मायने हैं. जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में गुर्जर मुसलमानों की बड़ी आबादी है, जहां जल्द ही चुनाव होने की उम्मीद है. देश की 2011 की जनगणना के अनुसार, गुर्जर जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक आबादी वाली अनुसूचित जनजाति है, जिसकी आबादी 14.93 लाख के करीब है. 

मुस्लिम आबादी करीब 68.31 फीसदी 

जम्मू-कश्मीर में गुर्जर और बकरवाल की लगभग 99.3 फीसदी आबादी इस्लाम का पालन करती है. 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर की आबादी में हिंदू 28.44 फीसदी और मुस्लिम 68.31 फीसदी हैं. माना जा रहा है कि गुर्जर और पहाड़ी मुसलमानों को लुभाने की कोशिश की जा रही है, जो मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा हैं.

सुविधाओं से वंचित गुर्जर मुसलमान

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले, इस समुदाय को कोई मान्यता नहीं दी गई थी और उन्हें लगभग सभी सामाजिक लाभों से वंचित करके ही रखा गया था. वहां रहने वाले गुर्जर मुसलमान समुदाय को न तो उनकी सामाजिक हैसियत दी गई और न ही उन्हें सरकार में कोई प्रतिनिधित्व दिया गया था. उन्हें कई अधिकारों से वंचित रखा गया.  

गरीबी में कट रही जिंदगी?

जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में गुर्जर मुसलमानों की बड़ी आबादी है. कई लोग भेड़ पालन के रोजगार में लगे हैं तो उनमें से कुछ छोटा-मोटा रोजगार कर अपना पेट पाल रहे हैं. माता वैष्णों देवी की यात्रा के दौरान इस समुदाय के कई लोग पिट्ठू की सेवाएं देते हैं. जिन लोगों के पास घाटी में भेड़ पालन या फिर कोई दूसरा कमाने का जरिया नहीं है वे पिछले कई वर्षों से घाटी से निकलकर जम्मू क्षेत्र के कटरा में बसे हैं ताकि मेहनत की कमाई से दो जून की रोटी मिल सके. अपने पुरखों की परंपरा को निभाते हुए पिट्ठू की सेवाएं देने वाले ज्यादातर लोग कश्मीर घाटी में रहने वाले गुर्जर मुसलमान ही हैं. 
 
गुलाम अली खटाना

केंद्र की सिफारिश पर जिस गुलाम अली (Gulam Ali Khatana) को राष्ट्रपति ने राज्यसभा (Rajya Sabha) के लिए मनोनीत किया वो जम्मू के बठिंडी के रहने वाले हैं. गुलाम अली खटाना गुर्जर मुस्लिम (Gurjar Muslims) समुदाय से आते हैं. वो पेशे से एक इंजीनियर हैं. जानकारी के मुताबिक गुलाम अली करीब 14 सालों से बीजेपी से जुड़े हुए हैं. वो लंबे वक्त तक बीजेपी के एसटी सेल में काम कर चुके हैं. इसके साथ ही वो मौजूदा समय में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता भी हैं. गुलाम अली खटाना को राज्यसभा मनोनीत किया जाना राज्य में बड़े सियासी संदेश के तौर पर देखा जा रहा है.

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