Javagal Srinath Birthday: जवागल श्रीनाथ भारत के क्रिकेट इतिहास में अमिट नाम है. कभी इंजीनियरिंग करने के बाद अमेरिका में नौकरी करने के सपने देखने वाले इस जेंटलमैंन खिलाड़ी ने नहीं सोचा था कि वो क्रिकेट में आएगा और इतना नाम कमाएगा. श्रीनाथ की अपनी काबिलियत ही है कि 2002 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्हें तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली ने 2003 का विश्व कप खेलने के लिए बुलाया. श्रीनाथ ने गांगुली की बात मानी और भारतीय टीम में शामिल हुए. श्रीनाथ ने अपने इस अंतिम विश्व कप में भारत के लिए सबसे ज्यादा 16 विकेट झटके. श्रीनाथ का जन्म 31 अगस्त 1969 को कर्नाटक में हुआ था, वो 53 साल के हो गए.


एमआरएफ पेस फाउंडेशन में ट्रेनिंग
1987 में एमआरएफ पेस फाउंडेशन (MRF Pace Foundation) में स्थापित हुआ, इस फाउंडेशन में कई सारे तेज गेंदबाजों को तकनीकी रूप से तैयार किया. पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली और महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी MRF पेस काउंडेशन क्रिकेट सीखने गए थे. फाउंडेशन ने इन दोनों महान क्रिकेटरों से बल्लेबाजी पर ही ध्यान देने को कहा और बल्लेबाजी के गुर सिखाए, लेकिन एमआरएफ पेस एकेडमी को पहली सफलता तब लगी जब मैसूर एक्सप्रेस जवागल श्रीनाथ उभर कर दुनिया के सामने आए. श्रीनाथ सफलता से इस एकेडमी को भी नाम और सफलता मिली.
  
इंलैंड के दौरे से पहले
सन 1990 में भारतीय टीम इंलैंड के दौरे की तैयारी कर रही थी. इसी दौरान जवागल श्रीनाथ को नेट्स में बॉलिंग करने के लिए भेजा गया. पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज सुब्रतो बनर्जी ने इस घटना को याद करते हुए बताया, "दिलीप वेंगसरकर बैटिंग कर रहे थे. बिशन सिंह बेदी ने श्रीनाथ को बॉल फेंकने के लिए कहा. मैंने भारत में पहली बार इतनी तेज गेंद फेंकते हुए किसी को देखा. श्रीनाथ ने बाउंसर बॉल फेंकी और वो वेंगसरकर के बल्ले पर लगी और उनका बैट हाथ से छूट गया. इस बॉल का सामना करते हुए दिलीप वेंगसरकर चौंक गए थे, क्योंकि वो अभी नेट प्रैक्टिस पर पहुंचे ही थे कि उन्हें इस तरह की खरतनाक बॉल का सामना करना पड़ा. 


यॉर्कर बॉल, पैर की उंगली पर गिरी...
सुब्रतो बनर्जी के मुताबिक, दिलीप वेंगसरकर इस के लिए ठीक से तैयार नहीं थे. इस पर वेंगसरकर ने श्रीनाथ से आग्रह करते हुए कहा, 'भाई बाउंसर मत डाल, बाउंसर के अलावा कुछ भी चलेगा.' श्रीनाथ ने इसके बाद सीधी यॉर्कर डाली, बॉल उनके पैर की उंगली पर गिरी और उनको चोट लग गई.


सही मायने में भारत को फास्ट गेंदबाज मिला
यूट्यूब शो 'मिड विकेट विद नसीरुद्दीन शाह' के शो में दिए एक इंटरव्यू में क्रिकेट लेखक अयाज मेनन ने कहा, "जवागल श्रीनाथ जब आए तो लगा कि सही मायने में टीम इंडिया में फास्ट बॉलर आया है, जो 145-147 किलोमीटर की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकता था. श्रीनाथ प्राकृतिक रूप से इन स्विंग बॉल डालते थे. वहीं उन्होंने एक अरसे बाद आउट स्विंग बॉल करना भी सीखा. वहीं पूर्व भारतीय क्रिकेटर दीप दासगुप्ता ने एक इंटरव्यू में श्रीनाथ के किस्से बताते हुए कहा था, श्रीनाथ मैच में 130-135 की स्पीड से चार बॉल डालते थे, लेकिन दो बॉल 140-145 की स्पीड से डाल देते थे. इससे किसी भी बल्लेबाज को नहीं पता होता था कि अगली बॉल कैसी आएगी. 


1994 की यादगार पारी
वहीं अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पहले दो-तीन साल जवागल श्रीनाथ ने केवल बाहरी क्रिकेट खेला. वो भी इस हैसियत से कि जब टीम में दो मुख्य गेंदबाजों के अलावा तीसरे पेस बॉलर को शामिल किया जाता था. लेकिन जब कपिल देव 1994 में रिटायर हुए तो जवागल श्रीनाथ को घरेलू टेस्ट क्रिकेट में खेलने का मैका मिला. आंकड़े बताते हैं कि उस साल वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए मैच में श्रीनाथ ने पांच विकेट लिए और बल्लेबाजी में भी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 60 रन बनाते हुए भारत को जीत दिलाई. इस मैच में जवागल श्रीनाथ को मैन ऑफ द मैच का खिताब से नवाजा गया. इसके बाद श्रीनाथ नहीं रुके उनके रिकॉर्डस् का कारवां ऐसे ही चलता रहा. 




'स्पीड गन मशीन' 
इस सीरीज के बाद श्रीनाथ घरेलू जमीन हो या विदेशी भारत के पेस अटैक को लीड करते रहे. उन्होंने कई शानदार बॉलिंग स्पेल डाले, कई दिग्गज बल्लेबाज उनकी फास्ट बॉल को नहीं झेल पाते थे और आउट हो जाते थे. उनकी तेज स्पीड में निरंतरता थी. 1999 के वर्ल्ड कप में पहली बार 'स्पीड गन मशीन' हर गेंद की स्पीड मांपने के लिए प्रयोग में लाई गई थी. लेकिन इसी दौरान श्रीनाथ के कंधों का ऑपरेशन हो हुआ था, लोगों का मानना था कि अब श्रीनाथ की बॉलिंग में पहले जैसी रफ्तार नहीं होगी. 


डोनाल्ड और मैकग्रा से आगे श्रीनाथ 
1999 में श्रीनाथ ने सबको हैरान कर दिया. "वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में श्रीनाथ स्पीड के मामले में केवल पाकिस्तान के शोएब अख्तर से पीछे और साउथ अफ्रिका के एलन डोनाल्ड और ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैकग्रा से आगे थे." इस वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए जवागल श्रीनाथ ने भारत की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट झटके.  



 


श्रीनाथ का इंजीनियर बनने का वो सपना 
भारत के पूर्व तेज गेंदबाज प्रशांत वैद्य ने बताया, मैं और श्रीनाथ लगभग एक ही समय में क्रिकेट खेलने आए. 1990 के एक वाकए को याद करते हुए उन्होंने कहा, "दिलीप ट्रॉफी में मैं सेंट्रल जोन से आया और श्रीनाथ साउथ जोन से खेल रहे थे, हैदराबाद में हमारा फाइनल मैच था. शाम को हमें एक डिनर पर बुलाया गया था, वहां हम दोनों बात कर रहा थे, तब उस समय इंजीनियरिंग कर रहे श्रीनाथ ने कहा, 'भाई मेरा करियर तो सेट है, इंजीनियरिंग करने के बाद मुझे अमेरिका जाना है, मेरा ये सपना है. मैं क्रिकेट खेल रहा हूं, लेकिन तुम्हारा क्रिकेट में अच्छा करियर है.' लेकिन इसके बाद भारतीय क्रिकेट में जवागल श्रीनाथ का शानदार करियर रहा. तेज गंदबाज के तौर पर मैं उनको बहुत उपर रखता हूं." 


चार वर्ल्ड कप खेलने वाला अकेला गेंदबाज 
बता दें कि जवागल श्रीनाथ ने किसी भी अन्य भारतीय तेज गेंदबाज से ज्यादा चार वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया है (1992-2003). वो 1992, 1996, 1999 और 2003 का वर्ल्ड कप खेले. 2003 के वर्ल्ड कप में उन्होंने भारतीय टीम को फाइनल तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया. इस वर्ल्ड कप में उन्होंने 16 विकेट लिए थे. अपने आखिरी टूर्नामेंट वर्ल्ड कप में फाइनल खेलने के बाद उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया. 
 
श्रीनाथ का शानदार करियर
कपिल देव के बाद श्रीनाथ दूसरे तेज गेंदबाज बने जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 200 से ज्यादा विकेट झटके. श्रीनाथ ने भारत की ओर से टेस्ट खेलते हुए 67 मैचों में 236 विकेट लिए जिसमें 10 बार पांच विकेट झटके. जवागल श्रीनाथ ने 229 एक दिवसीय मैच खेले, जिसमें उन्होंने 315 विकेट झटके. एक दिवसीय क्रिकेट (ODI) करियर में जवागल का 28.08 की एवरेज, 4.44 इकोनॉमी रही. उनकी बेस्ट बॉलिंग 5/23 झटके थे. यही नहीं जवागल श्रीनाथ ने भारत की तरफ से खेलते हुए पाकिस्तान के खिलाफ 36 मुकाबलों में 54 विकेट झटके हैं. श्रीनाथ का इकॉनमी रेट 5.04 रन प्रति ओवर रहा. वहीं श्रीनाथ ने अपने दम पर भारत को कई मैच जिताए. 
    
डिसेंट जवागल श्रीनाथ 
जवागल श्रीनाथ भारत के अन्य तेज गेंदबाजों से बिल्कुल विपरीत थे. जहां क्रिकेट खेलते हुए किसी ने भी श्रीनाथ को अग्रेसिव बॉडी लैंग्वेज या स्लेजिंग करते हुए नहीं देखा. लेकिन आमतौर पर देखा जाता है कि तेज गेंदबाजों में अग्रेसिव बॉडी लैंग्वेज या स्लेजिंग की आदत होती है. लेकिन बिना अग्रेसिव बॉडी लैंग्वेज या स्लेजिंग के बावजूद श्रीनाथ भारत के इतिहास में सबसे तेज गेंदबाज रहे हैं. 




पढ़ाई में होनहार श्रीनाथ
जवागल श्रीनाथ स्कूल में होनहार छात्र थे इस वजह से उन्होंने इंजनियरिंग को चुना, लेकिन नियती उन्हें क्रिकेट की तरफ खींच लाई. क्रिकेट खेलकर वो फास्ट बॉलिंग करते हुए मैसूर एक्सप्रेस के नाम से मशहूर हुए. जवागल श्रीनाथ फिलहार आईसीसी मैच रेफ्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. 


श्रीनाथ की 157 किमी की स्पीड से गेंद 
बता दें कि जवागल श्रीनाथ भारत की ओर से 90 के दशक में 150 किमी की ज्यादा रफ्तार से गेंद फेंकते थे. क्रिकइन्फो वेबसाइट के मुताबिक, 1997 में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ खेलते हुए श्रीनाथ ने 157 किलोमीटर की रफ्तार से गेंद फेंकी थी, जो रिकॉर्ड है. इसके अलावा आईपीएल में केवल उमरान मलिक ने (157 किमी) की रफ्तार से गेंद फेंकी है. 1997 में ज़िम्बाब्वे के एलिस्टेयर कैंपबेल बल्लेबाजी कर रहे थे, कैंपबेल के मुताबिक इस मैच में श्रीनाथ ने जो बॉल फेंकी थी वो उस समय की सबसे तेज गेंद थी. 


एलिस्टेयर कैंपबेल का खुलासा
श्रीनाथ 1996-97 में साउथ अफ्रीका दौरे में लगातार 150 की रफ्तार से गेंदबाजी कर रहे थे. जवागल श्रीनाथ की उस बॉल (157 किमी) पर एक बार एलिस्टेयर कैंपबेल ने एक बार कहा था, "मुझे लगता है कि श्रीनाथ ने हमारे किसी भी खिलाड़ी की तुलना में सबसे तेज गेंदबाजी की थी. उन्होंने पूरे स्पेल के दौरान तेज गेंदबाजी की थी, उस समय श्रीनाथ ने एलन डोनाल्ड से भी तेज गेंदबाजी की.


श्रीनाथ ने डी सिल्वा को पानी पिलाया
ऐसे ही 1997 में श्रीनाथ ने श्रीलंका के बल्लेबाज डी सिल्वा को गेंद फेंकी जो उनके जबड़े पर जा लगी और वो बुरी तरह से घायल हो गए. इस जेंटलमैन क्रिकेटर से डी सिल्वा की टी-शर्ट पर खून नहीं देखा नहीं गया और श्रीनाथ उनके पास गए और पानी के लिए पूछा.