Karnataka Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आते ही तमाम राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान शुरू कर दिया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने उम्मीदवारों की तीन लिस्ट जारी कर दी हैं. हर लिस्ट के साथ ही नेताओं के नाराज होने का सिलसिला भी बढ़ रहा है, बीजेपी ने कई मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया है, जिसके बाद दल-बदल का सिलसिला लगातार जारी है. हालांकि आज बात दल-बदल की नहीं बल्कि परिवारवाद की करेंगे. बीजेपी परिवारवाद को लेकर लगातार कांग्रेस पर कटाक्ष करती आई है, खुद पीएम नरेंद्र मोदी हर चुनावी मंच से कांग्रेस के परिवारवाद पर तंज कसते हैं. हालांकि कर्नाटक में जारी हो रही उम्मीदवारों की हर लिस्ट से बीजेपी के परिवारवाद की पोल भी खुलती जा रही है. यहां बीजेपी नेताओं के परिवार वालों को जमकर टिकट दिए गए हैं. 


आज कर्नाटक में बीजेपी की तीनों लिस्ट का एनालिसिस करेंगे. जिसमें देखेंगे कि हर लिस्ट में कितने उम्मीदवार ऐसे हैं, जो किसी बीजेपी नेता के बेटे, पत्नी या फिर रिश्तेदार हैं. बीजेपी की पहली से लेकर तीसरी लिस्ट तक इस परिवारवाद की झलक खूब नजर आई है. 


पहली लिस्ट में दिखी परिवारवाद की झलक
बीजेपी की पहली लिस्ट की बात करें तो इसमें पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को उनके पिता की पारंपरिक सीट शिकारीपुरा से टिकट दिया गया. पार्टी के अंदर ही इस सीट पर येदियुरप्पा के बेटे को उतारने पर घमासान छिड़ा था, लेकिन आखिरकार आलाकमान ने येदियुरप्पा की ताकत को देखते हुए विजयेंद्र को मैदान में उतार दिया. इस फैसले के बाद विपक्ष ने परिवारवाद को लेकर पीएम मोदी और बीजेपी पर पलटवार किया. विधायक आनंद सिंह के बेटे सिद्धार्थ सिंह को भी विजयनगर से टिकट दिया गया. पूर्व विधायक उमेश कट्टी के बेटे निखिल कट्टी को हुक्केरी सीट से टिकट मिला. कुल 189 उम्मीदवारों की इस पहली लिस्ट में कुछ और नाम भी ऐसे थे जो नेताओं के परिवार से ताल्लुक रखते थे.


दूसरी लिस्ट में भी रिश्तेदारों को टिकट
बीजेपी ने पहली लिस्ट के बाद 23 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की. जिसमें करीब 7 उम्मीदवार ऐसे थे जो परिवारवाद से जुड़े थे. यानी बीजेपी नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया गया. जिनमें मौजूदा विधायकों के बेटे और नेताओं के करीबी शामिल थे. दूसरी लिस्ट में जी करुणाकर रेड्डी का नाम भी शामिल था, जिनके भाई जनार्दन रेड्डी पूर्व एमएलसी और मंत्री हैं. इसके अलावा एक अन्य भाई मौजूदा विधायक हैं. जिन्हें दोबारा टिकट मिला है. यानी रेड्डी ब्रदर्स को बीजेपी ने फिर से मौका दिया है.


उनके अलावा पूर्व विधायक के बेटे अश्विनी संपांगी, पूर्व मंत्री के बेटे सोमनगौड़ा पाटिल, गुब्बी से पूर्व विधायक चिक्के गौड़ा के पोते एसडी दिलीप कुमार, मौजूदा विधायक ईश्वर खंडरे के चचेरे भाई प्रकाश खंडरे, विधायक जीटी देवेगौड़ा के दामाद रामचंद्र गौड़ा जैसे नाम बीजेपी की दूसरी लिस्ट में शामिल हैं. 



तीसरी लिस्ट में भी रिश्तेदारों को टिकट
बीजेपी ने हाल ही में अपनी तीसरी लिस्ट भी जारी कर दी है. जिसमें कुल 10 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. इस लिस्ट में भी परिवारवाद की झलक दिख रही है. तीसरी लिस्ट के कुल 10 नामों में से तीन नाम ऐसे हैं, जो बीजेपी नेताओं के परिवार से आते हैं. कोप्पल से लोकसभा सांसद कराडी संगन्ना की बहू मंजुला अमरेश को कोप्पल से टिकट दिया गया है. बताया गया कि कराडी संगन्ना खुद इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे और इसके लिए वो अपनी सांसदी और पार्टी तक छोड़ने को भी तैयार थे. जिसके बाद बीजेपी ने उनकी बहू को टिकट दे दिया.  


पूर्व मंत्री अरविंद लिंबावली को महादेवपुरा से टिकट नहीं दिया जा रहा था, लेकिन शेट्टार की नाराजगी और उनके कांग्रेस में जाने के बाद पार्टी ने तीसरी लिस्ट में बदलाव किए. इसके बाद महादेवपुरा आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से लिंबावली की पत्नी मंजुला को बीजेपी ने टिकट दे दिया. इसके अलावा वरिष्ठ नेता कट्टा सुब्रमण्य नायडू के बेटे कट्टा जगदीश को हेब्बल से टिकट दिया गया. 


शेट्टार के जाने का असर
पूर्व सीएम और बीजेपी के बड़े नेता जगदीश शेट्टार को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए. उनके अलावा कई नाराज नेताओं ने यही कदम उठाया. चुनाव से ठीक पहले नुकसान से बचने के लिए बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया गया. साथ ही उन सिटिंग विधायकों का पत्ता कटने से भी बच गया, जिन्हें टिकट नहीं दिया जाना था. 


टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस ने कसा तंज
बीजेपी ने भले ही मजबूरी में नेताओं के रिश्तेदारों को टिकत दिया हो, लेकिन कांग्रेस अब इसे लेकर पार्टी को घेरने की तैयारी कर रही है. दूसरी लिस्ट जारी होने के बाद कांग्रेस नेताओं की तरफ से बीजेपी पर जमकर हमला बोला गया. कांग्रेस नेता और प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने दावा किया कि बीजेपी ने दूसरी लिस्ट तक कुल 34 ऐसे लोगों को टिकट दिया है, जो राजनीतिक परिवार से आते हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि बीजेपी के हर 6 उम्मीदवारों में से एक का नाता परिवारवाद से जुड़ा हुआ है. 






ये पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने अपनी पार्टी से जुड़े नेताओं के बेटों, पत्नियों या रिश्तेदारों को टिकट दिए हों. इससे पहले अलग-अलग राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी के परिवारवाद की झलक देखने को मिली. हालांकि बीजेपी नेताओं का अपने परिवारवाद को लेकर अलग तर्क और परिभाषा है. उनका कहना है कि बीजेपी में एक ही परिवार का राज नहीं चलता है, असली परिवारवाद कांग्रेस में है. 


बता दें कि कर्नाटक में 10 मई को वोट डाले जाएंगे और 13 मई को नतीजे सामने आएंगे. बीजेपी ने अब तक कुल 222 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है, जबकि कांग्रेस ने 209 उम्मीदवार घोषित किए हैं. दोनों ही पार्टियों ने जमकर ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है जो राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. यानी कर्नाटक चुनाव में परिवारवाद की धूम है. 


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