(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Karnataka Election: बजरंग दल के बहाने बजरंग बली की चुनाव में एंट्री, संगठन पर पहले भी लग चुका है बैन- ये है पूरी कहानी
Karnataka Election 2023: धार्मिक भावनाओं का सहारा लेकर बीजेपी ने एक बार फिर बजरंग दल के सहारे बजरंग बली पर बहस छेड़ दी है. खुद प्रधानमंत्री मोदी हर भाषण की शुरुआत बजरंग बली के नारों से कर रहे हैं.
Karnataka Election 2023: कर्नाटक में बोम्मई फॉर्मूले के नहीं चल पाने के बाद बीजेपी लगातार हिंदुत्व कार्ड को खेलने की कोशिश कर रही थी, जिससे ध्रुवीकरण कर वोटों को अपने पाले में लाया जाए. इसके लिए बीजेपी ने हिजाब से लेकर अजान तक के मुद्दे उछाले, वहीं चुनावी घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता का वादा किया. हालांकि बीजेपी नॉर्थ के राज्यों की तरह हिंदुत्व के एजेंडे को कर्नाटक में पूरी तरह नहीं भुना पाई, लेकिन अब कांग्रेस के घोषणापत्र से बीजेपी के हाथ कुछ ऐसा लगा है, जिससे बीजेपी खुलकर हिंदुत्व की पिच पर उतर आई है. मामला बजरंग दल को बैन करने का है, जिसे अब बीजेपी और खुद प्रधानमंत्री मोदी ने बजरंग बली से जोड़ दिया है.
चुनाव में कैसे हुई बजरंग बली की एंट्री
दरअसल कांग्रेस ने कर्नाटक के लिए जारी अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि सरकार बनने के बाद वो बजरंग दल पर बैन लगाने का काम करेंगे. उन्होंने बजरंग दल की तुलना पीएफआई जैसे विवादित संगठन से की. हालांकि बजरंग दल भी पिछले कुछ सालों से लगातार विवादों में रहा है. अब बीजेपी ने हर मुद्दे की तरह इस मुद्दे को भी जनभावनाओं से जोड़ दिया और कांग्रेस को भगवान विरोधी बता दिया. मुद्दा बजरंग दल का था, लेकिन इसे बजरंगबली से जोड़कर लोगों के सामने रखा गया. खुद प्रधानमंत्री मोदी इसे चुनावी मंचों से भुनाने की कोशिश कर रहे हैं.
कर्नाटक चुनाव के लिए बजरंग बली बीजेपी के लिए कितने जरूरी हैं, इसका उदाहरण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से अपने भाषण के इस हिस्से को शेयर भी किया. जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा- "यह देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस को प्रभु श्रीराम से तो तकलीफ रही ही है, अब उसे जय बजरंगबली बोलने वाले भी बर्दाश्त नहीं"
यह देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस को प्रभु श्रीराम से तो तकलीफ रही ही है, अब उसे जय बजरंगबली बोलने वाले भी बर्दाश्त नहीं। pic.twitter.com/Qecgp62a4I
— Narendra Modi (@narendramodi) May 2, 2023
बजरंग बली करेंगे बेड़ा पार?
अब बीजेपी को हिंदुत्व की पिच पर खेलने के लिए जो फुलटॉस गेंद चाहिए थी, लग रहा है कि वो कांग्रेस ने उन्हें दे दी है. जिसे बीजेपी अपनी पूरी ताकत लगाकर बाउंड्री के बाहर भेजना चाहती है. कर्नाटक में बीजेपी का पूरा मैकेनिज्म इसी ध्रुवीकरण के काम में लगा हुआ था, इसका उदाहरण हाल ही में बीजेपी युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेतारू की हत्या के बाद देखने को मिला. इस हत्याकांड के बाद पीएफआई के कई सदस्यों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई और कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. इतना ही नहीं बीजेपी ने हिंदू वोटर्स और अपने कार्यकर्ताओं को मैसेज देने के लिए नेतारू के परिवार की बड़ी मदद की और पक्का मकान बनाकर दिया. इसके बाद अब बीजेपी ने बजरंग दल को बजरंग बली से जोड़कर बड़ा मुद्दा बना दिया है. ऐसे में लग रहा है कि कर्नाटक में बजरंग बली बीजेपी का बेड़ा पार लगा सकते हैं.
धार्मिक भावनाओं का सहारा लेकर बीजेपी पहले भी कांग्रेस और तमाम पार्टियों को नुकसान पहुंचाती आई है. हाल ही में जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी की तुलना सांप से कर दी थी तो इसे भी सीधे भगवान से जोड़ दिया. पीएम मोदी ने कहा कि सांप तो शिव के गले का हार होता है. तब भी भगवान शिव का नाम लेकर पीएम मोदी ने खरगे के इस वार को उनके सेल्फ गोल में तब्दील कर दिया था. ठीक इसी तरह अब बजरंग दल को लेकर कांग्रेस के वादे को उनके ही खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है.
क्या है बजरंग दल?
बजरंग दल की स्थापना अयोध्या में हुई थी. राम मंदिर को लेकर जब आरएसएस लगातार जन आंदोलन खड़ा करने की कोशिश कर रहा था, तब उसे ऐसे लोगों की जरूरत महसूस हुई जो लोगों को मोबलाइज कर सकें. यानी बड़ी संख्या में लोगों को और खासतौर पर युवाओं को सड़कों पर उतारने की कोशिश हो रही थी. इसके लिए 8 अक्टूबर 1984 में एक संगठन की शुरुआत हुई, जिसे बजरंग बली के नाम पर बजरंग दल का नाम दिया गया. इस संगठन की जिम्मेदारी विनय कटियार को दी गई, जो तब हिंदुत्व और राम मंदिर आंदोलन के एक फायर ब्रांड नेता थे. क्योंकि बजरंग दल जोशीले युवाओं से भरा एक संगठन था, इसीलिए बजरंग दल को राम मंदिर आंदोलन में सुरक्षा की जिम्मा मिला था.
बाबरी विध्वंस के बाद लगा बैन
बजरंग दल का शुरुआत से ही "सेवा, सुरक्षा और संस्कृति" का नारा रहा है. स्थापना के बाद से ही इस संगठन की ताकत लगातार बढ़ती चली गई और इसने राम मंदिर निर्माण, मथुरा कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ मंदिर निर्माण को लेकर मुहिम छेड़ दी. विश्व हिंदू परिषद की छत्रछाया में ये संगठन बड़ा हुआ और इससे जुड़े लोगों ने राम जन्मभूमि आंदोलन और बाबरी विध्वंस में बड़ी भूमिका निभाई. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद नरसिम्हा राव सरकार ने इस संगठन पर बैन लगा दिया. हालांकि करीब एक साल बाद दल की भूमिका साबित नहीं होने के चलते इस बैन को हटा लिया गया.
मौजूदा दौर में बजरंग दल की भूमिका
अब मौजूदा दौर में बजरंग दल की भूमिका की बात करें तो आज भी हजारों युवा इस संगठन का हिस्सा हैं. हालांकि अब ये दल किसी आंदोलन को नहीं चला रहा है, लेकिन अब बजरंग दल के कार्यकर्ता एक विजलांटी ग्रुप के तौर पर काम करते हैं. देश में लव जिहाद, धर्म परिवर्तन से लेकर गोहत्या तक के मामलों में बजरंग दल काफी एक्टिव दिखा है. ऐसे मामलों की शिकायत इस दल से जुड़े लोग पुलिस से करते हैं और कई बार आरोपियों के साथ जबरदस्ती और मारपीट करने जैसे आरोप भी बजरंग दल पर लगते आए हैं. सिर्फ इतना ही नहीं इस संगठन के लोगों को कई मौकों पर मोरल पुलिसिंग करते हुए भी देखा जाता है. वेलेंटाइन डे के मौके पर पार्कों-शॉपिंग मॉल में युवा जोड़ों को पकड़ना और उनके साथ बदसलूकी के आरोप भी इस संगठन पर हर साल लगते हैं.
जुनैद-नासिर हत्याकांड में आया नाम
हाल ही में हरियाणा के लोहारू से एक सनसनीखेज मामला सामने आया था, जिसमें दो मुस्लिम युवकों की जली हुई लाश एक गाड़ी में बरामद हुई. जिनकी पहचान नासिर और जुनैद के तौर पर हुई थी. इसमें बजरंग दल के नेता मोनू मानेसर का नाम मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आया था. मोनू घटना के बाद फरार हो गया था और अपने वीडियो जारी कर सफाई दे रहा था. जुनैद और नासिर के परिवार ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर इस पूरे हत्याकांड का आरोप लगाया था.
अब कर्नाटक में बजरंग दल को एक बार फिर बैन करने की बात की गई है, जिसे बीजेपी ने सीधे बजरंग बली पर हमला बताया है. कर्नाटक में बजरंग दल पिछले दिनों खूब चर्चा में रहा, फिर चाहे वो हिजाब बैन का मुद्दा हो या फिर अजान और हलाला जैसे मुद्दे... बजरंग दल ने इन्हें जमकर उछाला और राज्य में हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम किया. इसी सबके बाद अब बजरंग दल पर बैन लगाने की बात उठी है.
भले ही बीजेपी ने इसे बजरंग बली से जोड़ दिया हो, लेकिन कांग्रेस भी इस मामले पर बैकफुट पर जाने की बजाय खुलकर बात कर रही है, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा है कि जरूरत पड़ने पर राज्य में इस संगठन पर बैन लगाने को लेकर विचार किया जाएगा. देखना होगा कि अगले एक हफ्ते में बजरंग बली के इस मुद्दे पर बीजेपी वोटरों को पूरी तरह पोलराइज करने में सफल होती है या फिर कांग्रेस इसे कैसे काउंटर कर पाती है.
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