Karnataka Election 2023: कर्नाटक चुनाव से पहले बीजेपी में उथल-पुथल शुरू हो चुकी है, आलम ये है कि पार्टी के नेताओं को रोकना मुश्किल हो गया है. प्रदेश बीजेपी के बड़े नेता और मुख्यमंत्री रह चुके जगदीश शेट्टार ने पार्टी से इस्तीफा दिया और अब वो कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. शेट्टार पहले ही ऐलान कर चुके थे कि वो किसी भी हाल में चुनाव लड़कर रहेंगे. वहीं बीजेपी टिकट बंटवारे के बाद शेट्टार की नाराजगी को दूर नहीं कर पाई. अब चुनाव से ठीक पहले एक बड़े नेता का पार्टी छोड़कर जाना बीजेपी के लिए कितना घातक साबित हो सकता है, ये सवाल काफी अहम है. आइए जानते हैं कि कैसे जगदीश शेट्टार बीजेपी को बड़ा डेंट लगा सकते हैं और उनकी कर्नाटक में कितनी सीटों पर पकड़ है.
कौन हैं जगदीश शेट्टार
जगदीश शेट्टार कर्नाटक के एक लिंगायत नेता हैं, जिन्हें येदियुरप्पा का भी काफी करीबी माना जाता था. शेट्टार का उत्तरी कर्नाटक में काफी दबदबा माना जाता है. खास बात ये है कि वो आरएसएस से भी जुड़े थे. वो आरएसएस में काफी सक्रिय थे और इसके बाद उन्होंने विद्यार्थी परिषद से जुड़कर अपनी छात्र राजनीति को आगे बढ़ाया. शेट्टार ने कर्नाटक यूनिवर्सिटी के जेएसएस कॉलेज से कानून की पढ़ाई की. उनके पिता एडवोकेट थे और राजनीति से भी जुड़े थे. हुबली धारवाड़ सेंट्रल से उनके पिता लगातार पांच बार नगर निगम का चुनाव जीते और एक बार मेयर भी रहे. इसके अलावा उनके चाचा और भाई भी राजनीति से जुड़े हैं.
जगदीश शेट्टार को 1994 में धारवाड़ जिले का बीजेपी अध्यक्ष चुना गया. इसी साल वो पहली बार विधायक चुने गए और लगातार चार बार जीत दर्ज की. वो कुल 6 बार विधायक रहे हैं. इसके बाद 2005 में वो कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे. साल 2006 में उन्हें मंत्री पद मिला, 2008 में विधानसभा स्पीकर रहे और 2012 में मुख्यमंत्री पद पर भी बैठने का मौका मिला.
बीजेपी से क्यों दिया इस्तीफा
कर्नाटक में बीजेपी लगातार प्रयोग कर रही है, बीजेपी को सत्ता खिसकती हुई नजर आ रही है. इसीलिए पार्टी अब नए चेहरों को मैदान में उतारकर प्रयोग कर रही है. जैसे ही पहली लिस्ट का एलान हुआ, बीजेपी के तमाम नेताओं की नाराजगी सामने आ गई. इस लिस्ट में जगदीश शेट्टार का नाम शामिल नहीं था, ये भी लगभग साफ हो चुका था कि उनका पत्ता इस बार पार्टी ने काट दिया है. इसके बाद शेट्टार ने बयान दिया कि वो किसी भी हाल में चुनाव लड़ेंगे. उनकी पारंपरिक सीट हुबली धारवाड़ सेंट्रल से बीजेपी किसी और उम्मीदवार को मैदान में उतारना चाहती थी. जिसके बाद साफ हो चुका था कि शेट्टार बीजेपी छोड़ सकते हैं. हालांकि उन्हें मनाने के लिए दिल्ली भी बुलाया गया, लेकिन बात नहीं बनी. आखिरकार उन्होंने पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया.
इस्तीफा देने के बाद क्या बोले शेट्टार?
अब आपको ये बताते हैं कि जगदीश शेट्टार ने बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद क्या कहा... जगदीश शेट्टार ने अपनी पार्टी बीजेपी छोड़ने के बाद कहा कि जिन लोगों ने पार्टी बनाई है उन्हें ही बाहर किया रहा है. इस दौरान शेट्टार ने कहा कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें टिकट नहीं देने का कारण नहीं बताया है, उनके खिलाफ पार्टी के कुछ लोगों ने साजिश रचने का काम किया. इसके बाद कांग्रेस ने बांहे फैलाकर शेट्टार का स्वागत किया और डील पक्की होने के बाद वो कांग्रेस में शामिल भी हो गए.
बीजेपी को कितना बड़ा नुकसान?
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि जगदीश शेट्टार की नाराजगी के बावजूद बीजेपी ने उन्हें टिकट क्यों नहीं दिया और शेट्टार के जाने का पार्टी को कितना बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है. दरअसल शेट्टार उत्तरी कर्नाटक में काफी अच्छी पकड़ रखते हैं. इस क्षेत्र में कुल 20 से 25 विधानसभा सीटें आती हैं. इसीलिए शेट्टार के पार्टी छोड़ने का बीजेपी को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है. कुछ दिन पहले खुद येदियुरप्पा ने ये बात कही थी कि शेट्टार की नाराजगी का असर कई निर्वाचन क्षेत्रों पर पड़ेगा.
कर्नाटक के उत्तरी हिस्से हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में आते हैं. इस क्षेत्र में कुल 40 विधानसभा सीटें आती हैं, जो किसी भी दल के लिए काफी अहम हैं. यहां बीजेपी ने 2018 में महज 7 सीटें जीती थीं, वहीं कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 22 सीटों पर कब्जा किया था. इस पूरे क्षेत्र में लिंगायत, ओबीसी, दलित और बंजारा समुदाय का काफी असर है. शेट्टार इस क्षेत्र में बीजेपी का इकलौता बड़ा चेहरा थे, जो अब पार्टी छोड़ चुके हैं. इसीलिए यहां बीजेपी को सीटें मिलना अब काफी मुश्किल साबित हो सकता है.
कर्नाटक बीजेपी में चुनाव से पहले घमासान
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी में घमासान शुरू हो चुका है. टिकट बंटवारे से नाराज नेता लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं, उनके समर्थक भी बीजेपी से इस्तीफा दे रहे हैं. शेट्टार से पहले भी कई छोटे और बड़े नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ दिया और कांग्रेस-जेडीएस में शामिल हो गए. इनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी समेत कई पूर्व और मौजूदा विधायक भी शामिल हैं. कुल मिलाकर बीजेपी के एक दर्जन से ज्यादा एमएलसी और विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं. बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में पहले ही बीजेपी चुनाव के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाई, बोम्मई जनता तक अपनी पहुंच बनाने में सफल नहीं रहे. आलम ये है कि बीजेपी को फिर से पूर्व सीएम येदियुरप्पा के सहारे चुनाव लड़ना पड़ रहा है. यानी कुल मिलाकर सभी समीकरण फिलहाल बीजेपी के खिलाफ जाते नजर आ रहे हैं. अब ये देखना होगा कि चुनाव से पहले लगे इस बड़े डेंट को बीजेपी कैसे ठीक कर पाती है.
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