Lumpy Skin Disease Symptoms: देश के 12 राज्यों में इन दिनों लंपी वायरस नामक बीमारी पशुओं को निगल रही है. खासकर, राजस्थान में इसका कहर टूट रहा है. राज्य में 57 हजार मवेशियों की इस बीमारी से जान जा चुकी है. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब समेत देश के अन्य राज्यों में मवेशी को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए जा रहे हैं.
केंद्र से राज्यों की सरकारें वायरस की रोकथाम के लिए प्रयास कर रही हैं. दिल्ली सरकार भी इसे लेकर अलर्ट मोड पर आ गई है. केंद्र सरकार ने कहा है कि लंपी वायरस से निपटने के लिए सभी 12 राज्यों से समन्वय स्थापित किया जा रहा है. आखिर क्या है लंपी वायरस, जिसने राजस्थान से लेकर अन्य राज्यों तक तबाही मचाई है, आइये जानते हैं.
क्या है लंपी वायरस?
कैपरी पॉक्स वायरस को लंपी वायरस के तौर पर जाना जाता है. इसे ढेलेदार त्वचा रोग वायरस भी कहते हैं. इस वायरस की शुरुआत पॉक्सविरिडाए डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस परिवार से होती है. पॉक्सविरिडाए को पॉक्स वायरस भी कहते हैं. इसके प्राकृतिक मेजबान रीढ़ और बिना रीढ़ वाले जंतु होते हैं. इस परिवार में वर्तमान में 83 प्रजातियां हैं जो 22 पीढ़ी और दो उप-परिवारों में विभाजित हैं. इस परिवार से जुड़ी बीमारियों में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक भी शामिल है.
कैपरीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडाए परिवार के एक उप-परिवार कॉर्डोपॉक्सविर्नी के वायरसों की जीनस है. वायरस के जैविक वर्गीकरण के लिए 'जीनस' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. आसान भाषा में इसे 'विषाणुओं की जाति' कह सकते हैं. जीनस में तीन प्रजातियां होती हैं- शीप पॉक्स (SPPV), गोट पॉक्स (GTPV) और लंपी स्किन डिसीज वायरस (LSDV).
पशु स्वास्थ्य के लिए विश्व संगठन ने इस बीमारी को अधिसूचित किया है. ये वायरस पशुओं की खाल पर संक्रमण फैलाते हैं. कैमल पॉक्स, हॉर्स पॉक्स और एविएन पॉक्स के साथ इनका सीरम संबंध नहीं होता है. अध्ययनों से पता चला है कि जिराफ और इम्पाला भी लंपी वायरस के लिए बेहद ग्रहणशील होते हैं. यह वायरस एशिया और अफ्रीका में पाया जाता है. कीट-पतंगे इसके लिए रोगवाहक के रूप काम करते हैं जो इस बीमारी को एक पशु से दूसरे में फैला देते हैं. कहा जाता है कि इंसान कैपरी पॉक्स वायरस से संक्रमित नहीं हो सकते हैं.
लंपी वायरस के लक्षण
आम तौर पर पशुओं की खाल पर गांठें पढ़ जाती है फिर उनमें पस पड़ जाता है. घाव आखिर में खुजली वाली पपड़ी बन जाते हैं, जिस पर वायरस महीनों तक बना रहता है. यह वायरस जानवर की लार, नाक के स्राव और दूध में भी पाया जा सकता है. इसके अलावा, पशुओं की लसीका ग्रंथियों में सूजन आना, बुखार आना, अत्यधिक लार आना और आंख आना, वायरस के अन्य लक्षण हैं.
लंपी वायरस का इलाज
अभी तक इस बीमारी के लिए कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है लेकिन पूर्वी अफ्रीका के देश केन्या में शीप पॉक्स और गोट पॉक्स के लिए बने टीके कैपरी पॉक्स के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के उपाय के तौर पर इस्तेमाल किए जाते है. चूंकि कैपरी पॉक्स वायरस सिंगल सीरोटाइप होता है इसलिए वैक्सीन का असर लंबा चलता है. पशुओं में बीमारी फैलने पर उन्हें प्रथक रखने की सलाह दी जाती है. भारत में इस वायरस के लिए पशुओं के गोट पॉक्स वैक्सीन की डोज दी जा रही है.
केंद्र सरकार के उपाय
केंद्र सरकार का कहना है कि लंपी वायरस को लेकर सभी 12 राज्यों की मांग के अनुसार गोट पॉक्स वैक्सीन उपलब्ध करा दी गई है.
पहले राज्य सरकारें खुद इसे खरीद रही थीं लेकिन अब केंद्र सरकार की ओर से वैक्सीन खरीदी जा रही है. इसमें केंद्र 60 फीसदी और राज्य सरकारें 40 फीसदी खर्च उठा रही हैं.
यूपी में लंपी वायरस
एक आंकड़े के मुताबिक, यूपी में करीब 200 गायों की लंपी वायरस से मौत हुई है. 21 हजार गाय इससे संक्रमित बताई जा रही हैं. मुरादाबाद, मेरठ, बरेली, आगरा, अलीगढ़ और झांसी में इसका ज्यादा संक्रमण देखा जा रहा है. दूसरे राज्यों से पशु लाने और पशु मेले पर रोक लगाई गई है. प्रभावित जिलों से भी पशुओं के यातायात पर भी रोक लगाई गई है. प्रभावित जिलों में वेटनरी एंबुलेंस काम कर रही हैं. प्रभावित जिलों में 17 लाख 50 हजार से ज्यादा टीके उपलब्ध कराए गए हैं. कोविड कंमाड सेंटर की तर्ज पर लंपी वायरस से बचाव के लिए कई जिलों में कंट्रोल रुम बनाए गए हैं. ये कंट्रोल 24 घंटे काम कर रहे हैं. वायरस की मॉनीटरिंग की जा रही है. कंट्रोल रूम के जरिये वायरस के प्रभाव और संक्रमण के प्रसार पर नजर रखी जा रही है.
मध्य प्रदेश की स्थिति
मध्य प्रदेश भोपाल में राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला में कंट्रोल रूम बनाया गया है. सरकार ने एमरजेंसी नंबर 0755-2767583 जारी किया है, जिस पर कॉल करके किसान परेशानियां बता सकते हैं.
पंजाब में घट गया दूध उत्पादन
पंजाब में प्रगतिशील डेयरी किसान संघ (पीडीएफए) ने कहा है कि इस बीमारी की वजह से राज्य में दूध उत्पादन 15 से 20 प्रतिशत तक घट गया है. वहीं, गायों का औसत दूध उत्पादन एक साल तक कम बने रहने की भी आशंका है. पीडीएफए ने कहा कि इससे वे किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं जो अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह मवेशियों पर निर्भर हैं. राज्य के पशुपालन विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, इस बीमारी से 1.26 लाख मवेशी प्रभावित हुए हैं. अब तक 10,000 से अधिक मवेशी इस बीमारी की वजह से जान गंवा चुके हैं. हालांकि, पीडीएफए का दावा है कि लंपी बीमारी की वजह से पंजाब में अब तक एक लाख से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है. इस बीमारी से प्रभावित राज्य के प्रमुख जिलों में फाजिल्का, फरीदकोट, बठिंडा और तरन तारन हैं.
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