टूटते लोग, बिखरते परिवार...आखिर क्यों बढ़ रहे हैं देश में खुदकुशी के मामले
NCRB की ताजा रिपोर्ट में आत्महत्या के अलग- अलग कारणों के बारे में भी बताया गया है. जिसमें पारिवारिक कलह सबसे बड़ी वजह बताई गई है.
चार दिन पहले यानी 26 अगस्त को हरियाणा के अंबाला का एक मामला सामने आया था जिसमें एक युवक ने परिवार के पांच सदस्यों को मारकर खुदकुशी कर ली थी. युवक ने पहले अपने माता-पिता को फिर अपने पत्नी और बच्चों को भी मार डाला. जांच के बाद पता चला की मामला आर्थिक तंगी का था. कुछ ऐसी ही कहानी राजस्थान के धौलपुर में रह रहे युवक की है. युवक कंपाउंडर भर्ती की तैयारी कर रहा था और परीक्षा में सेलेक्ट नहीं होने के कारण खुदकुशी कर ली.
भारत में ऐसे टूटते लोग और बिखरते परिवार की तमाम कहानियां है. साल दर साल बढ़ते खुदकुशी के आंकड़े डराने लगे हैं भारत में पारिवारिक समस्या, अकेलापन, आर्थिक स्थिति और नशे की लत के चलते आत्महत्या के मामले बढ़ रहे है. NCRB की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में सुसाइड के मामलों में 2020 की तुलना में साल 2021 में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2021 में भारत में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की है. वहीं सबसे ज्यादा सुसाइड के मामले महाराष्ट्र राज्य में दर्ज किए गए हैं. महाराष्ट्र के अलावा तमिलनाडु और मध्यप्रदेश में आत्महत्या के मामले में काफी बढ़त देखने को मिली है.
रिपोर्ट में आत्महत्या के अलग अलग कारणों के बारे में भी बताया गया है. जिसमें पारिवारिक कलह सबसे बड़ी वजह बताई गई है. मानसिक बीमारी, नशे की लत, लव लाइफ से जुड़ी दिक्कतें भी आत्महत्या की वजहें बताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार केवल पांच राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में सुसाइड के 50.4 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए हैं. बचे 49.6 % मामले अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हैं.
साल 2021 में महाराष्ट्र में 22,207, सबसे ज्यादा लोगों ने सुसाइड किया था वहीं तमिलनाडु में 18,925, मध्य प्रदेश में 14,965 और पश्चिम बंगाल में 13,506 आत्महत्याओं के मामले सामने आए थे. इसके अलावा कर्नाटक में 13,053 लोगों ने आत्महत्या की था. ये आंकड़ा कुल आत्महत्याओं का क्रमशः 13.5 प्रतिशत, 11.5 प्रतिशत, 9.1 प्रतिशत, 8.2 प्रतिशत और 8 प्रतिशत है.
वहीं खुदकुशी करने वालों में सबसे बड़ी संख्या बिजनेस से जुड़े लोगों या दैनिक वेतन पर जीवन यापन करने वाले शामिल हैं. इसके बाद वेतनभोगी और छात्रों की भी बड़ी संख्या है. राजधानी दिल्ली में साल 2021 में आत्महत्या के 2,840 केस सामने आए. वहीं, देश के 53 बड़े शहरों में कुल 25,891 लोगों ने खुदकुशी की है.
आत्महत्या के बढ़ते मामलो को रोकना देश के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है. इसे रोकने के लिए एक व्यक्ति खुद सबसे अहम कड़ी होता है, क्योंकि वह समाज के एक सदस्य के रूप में अपनी सजगता से खुद के साथ अन्य लोगों को भी बचा सकता है. इस बीच सुसाइड टेंडेंसी को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं. आत्महत्या की प्रवृत्ति क्या एक मनोरोग है, जिसका इलाज होना चाहिए? हमारे पढ़े लिखे और शिक्षित समाज में, खासकर युवाओं में इसकी बढ़त क्यों देखी जा रही है.
इसपर abp न्यूज से बात करते हुए सर गंगाराम अस्पताल की कंसलटेंट मनोचिकित्सक (Physiatrist) आरती आनंद ने कहा कि, 'कोई भी व्यक्ति सुसाइड के बारे में तभी सोचता है जब उन्हें जीने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती. आत्महत्या का मामला दुखद तो है, लेकिन हर मामले में कुछ न कुछ रहस्य छिपा होता है. हालांकि हर मामले में एक समानता जरूर नजर आती रही है और वह है निराशा की गहरी भावनाएं. कई बार लोग अपनी दिक्कतों से इतने तंग आ जाते हैं कि उन्हें आगे का कोई राह नजर नहीं आता है. उन्हें लगने लगता है कि वह जिंदगी और हालात से पैदा हुई चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएंगे.
ऐसे में सबसे जरूरी है कि कोई ऐसा व्यक्ति आपके साथ हो जो आपकी बातों को सुन और समझ सके. जब आपका दोस्त या परिवार का कोई सदस्य अपनी दिक्कतें बता रहा हो तो हमें उनकी आलोचना करने के बजाय बात सुननी चाहिए. एक्सपर्ट ने डिप्रेशन के लक्षण के बार में बात करते हुए कहा कि इसका सबसे सामान्य लक्षण है अचानक बात करना बंद कर देना. हमने कई ऐसे मामले देखे हैं जहां डिप्रेशन से जूझ रहा व्यक्ति खुद को कॉर्नर कर देता है. अगर आप देख रहे हैं कि आपका करीबी दो हफ्तों से ज्यादा गुमसुम है तो उनसे बात करने की कोशिश करनी चाहिए. सुसाइड के ख्याल से पहले सामान्यतौर पर बच्चे या बुजुर्ग खाना अवॉइड करने लगते हैं. कम बोलना, कम खाना, अपनी किसी ना किसी बातों से जाहिर कर देना कि उन्हें सुसाइड के ख्याल आ रहे हैं, दुखी रहना ये एक सामान्य लक्षण है जिसे हम इग्नोर कर देते हैं.
डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति की मदद के तौर पर हम ये कर सकते हैं कि उनकी बात सुन उन्हें जीवन के प्रति पॉजिटिव नजरिया और बेहतर फ्यूचर के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं. उन्हें अपने प्रेजेंट में रहने को कहें. उन्हें एक दैनिक दिनचर्या को फॉलो करने के लिए कहना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव बातों और लोगों के बीच रहने देना चाहिए. इन सब के बीच अगर आपका डिप्रेशन में है और सुसाइड के ख्याल आ रहे है तो मनोचिकित्सक की भी मदद ले सकते हैं. आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं. आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.
आत्महत्या के मामलों में इज़ाफ़ा
भारत में साल 2017 के बाद से हर बीतते साल के साथ आत्महत्या के मामलों में इज़ाफ़ा देखने को मिल रहा है. NCRB के रोपोर्ट के अनुसार 2019 के मुकाबले 2020 में 10 प्रतिशत मामले ज़्यादा सामने आए हैं. वहीं 2020 से 2021 में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट से पता चलता है कि परीक्षा पास नहीं कर पाने के कारण कई बच्चों ने अपनी जान ले ली तो कईयों ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर जान दे दी.