SCO Meeting Pakistan: भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट लगातार बनी हुई है. हालांकि आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह पस्त हो चुके पाकिस्तान के लिए अब भारत का साथ काफी जरूरी हो गया है. यही वजह है कि पाकिस्तान सरकार की तरफ से कई बार भारत के साथ बातचीत का जिक्र किया जा रहा है. इतना ही नहीं अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. साल 2014 के बाद ये पहला मौका है जब कोई पाकिस्तानी मंत्री भारत की धरती पर कदम रखेगा. यहां वो विदेश मंत्रियों की SCO बैठक में हिस्सा लेंगे. 


दरअसल पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज बलूच ने बताया कि आने वाली 4 और 5 मई को होने वाली शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) बैठक में विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो हिस्सा लेंगे. उन्होंने बताया कि इसके लिए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें न्योता दिया था, जिसे स्वीकार कर वो भारत दौरे पर जाएंगे. विदेश मंत्रियों की ये बैठक गोवा में होने जा रही है. 


पाक विदेश मंत्री के दौरे के क्या हैं मायने
अब करीब 9 साल बाद पाकिस्तान का कोई बड़ा नेता भारत आ रहा है, इसीलिए इसे कई नजरिए से देखा जा रहा है. साल 2014 में पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ पहुंचे थे, इसके बाद से पाकिस्तान का कोई मंत्री या नेता भारत नहीं आया. बताया जा रहा है कि चीन और रूस की तरफ से शुरू किए गए इस फोरम में पाकिस्तान अपनी मौजूदगी को दिखाना चाहता है. इस फोरम का उद्देश्य क्षेत्रीय शांति और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का है. इसीलिए पाकिस्तान इस मौके पर गंवाना नहीं चाहता था. पाकिस्तान चाहेगा कि भारत के साथ इस मौके पर द्विपक्षीय बातचीत हो. 


पाकिस्तान पर भारत का क्या है रुख
भले ही पाकिस्तान लगातार कोशिश कर रहा है कि भारत के साथ रिश्ते सुधारे जाएं और ट्रेड को और ज्यादा मजबूत किया जाए, लेकिन इस पर भारत का रुख अब भी साफ है. भारत का साफ कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी. इसके अलावा कश्मीर में जारी आतंकवादी घटनाओं पर लगाम लगने तक भारत पड़ोसी मुल्क के साथ कोई रिश्ता नहीं बनाना चाहता है. क्योंकि घाटी में होने वाले तमाम आतंकी हमलों में पाकिस्तान के हाथ होने के सबूत मिलते हैं. 


कश्मीर राग नहीं अलापा तो बन सकती है बात
पाकिस्तान-भारत की दोस्ती इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि पाकिस्तान लगातार 370 को बहाल करने का जिक्र करता आया है. पाकिस्तान ने अब तक कश्मीर राग अलापना नहीं छोड़ा है. पाकिस्तानी मंत्रियों और सरकार की तरफ से पिछले दिनों ये बयान सामने आए थे कि जब तक कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को वापस नहीं लिया जाता, तब तक भारत से एक मंच पर बात नहीं होगी. हालांकि अब गोवा में होने वाली SCO बैठक में ये देखना दिलचस्प रहेगा कि पाकिस्तान कश्मीर का जिक्र करता है या नहीं. अगर पाकिस्तान ने कश्मीर का जिक्र नहीं किया तो दोनों देशों के बीच इस मंच से दोस्ती की शुरुआत हो सकती है. हालांकि इसके काफी कम ही आसार दिख रहे हैं. 


कुछ विदेशी मामलों के जानकारों का ये भी कहना है कि पाकिस्तान लगातार आर्थिक तौर पर बर्बाद हो रहा है, ऐसे में वो कुछ वक्त के लिए कश्मीर मुद्दे को किनारे रख भारत से बातचीत का रास्ता अपना सकता है. भारत से तमाम तरह का व्यापार पाकिस्तान की इकोनॉमी को सुधारने का काम कर सकता है. वहीं कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि पाकिस्तान कश्मीर पर अपना स्टैंड कभी नहीं बदल सकता है, क्योंकि वो हर बड़े मंच पर इस मुद्दे को उछालकर मौके का फायदा उठाता है. ऐसे में पाकिस्तान SCO बैठक का भी कश्मीर मुद्दे के लिए एक मंच की तरह इस्तेमाल कर सकता है. 


चीन के इशारों पर आ रहा पाकिस्तान?
पाकिस्तानी विदेश मंत्री के भारत दौरे को लेकर चीन की तरफ देखना भी जरूरी है. क्योंकि SCO चीन की तरफ से शुरू किया गया एक मंच है, ऐसे में वो हर बैठक को सफल बनाने की कोशिश करता है. इसीलिए माना जा रहा है कि चीन की तरफ से भी पाकिस्तान को इस बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया हो. ये भी कहा जा रहा है कि चीन इस मंच से भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर सकता है. चीन वैश्विक मंच पर खुद को बेहतर बनाने के लिए लगातार ऐसी कोशिशें कर रहा है, इससे पहले चीन ने दो कट्टर दुश्मनों ईरान और सऊदी अरब के बीच समझौता कराया था. हालांकि इस पर भारत और पाकिस्तान का रुख देखना जरूरी होगा. 


बिलावल भुट्टो जरदारी की भारत विरोधी इमेज
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को उनके अटपटे बयानों को लेकर जाना जाता है. भारत को लेकर भुट्टो कई बार जहर उगल चुके हैं. हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर उनके बयान पर खूब बवाल हुआ था. उन्होंने अमेरिका में ओसामा बिन लादेन का जिक्र करते हुए कहा था - "मैं भारत को बताना चाहता हूं कि ओसामा मर चुका है, लेकिन गुजरात का कसाई अभी जिंदा है. जो भारत का प्रधानमंत्री है. जिनकी एंट्री पर अमेरिका ने बैन लगा दिया था." भुट्टो के इस बयान के बाद जमकर प्रदर्शन हुए थे और भारत ने इसकी कड़ी निंदा की थी. 


अब बिलावल भुट्टो जरदारी के भारत आने पर यही सवाल उठ रहा है कि क्या वो दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने की तरफ कदम बढाएंगे या फिर इसे और ज्यादा बिगाड़ देंगे. हालांकि फिलहाल पाकिस्तान जिस हालत में खड़ा है, उससे एक बात साफ है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री भारत की धरती से हर बयान सोच समझकर देंगे. क्योंकि इसमें फायदा और नुकसान सिर्फ पाकिस्तान का ही है. 


क्या है SCO? 
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी SCO को चीन और रूस की तरफ से शुरू किया गया था. इसकी शुरुआत 2001 में हुई थी. एससीओ का मुख्यालय चीन के बीजिंग में है. फिलहाल इसमें कुल 8 सदस्य हैं. भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके सदस्य बने थे. इस बार भारत को इसकी अध्यक्षता मिली है. पिछले साल उज्बेकिस्तान के पास इसकी अध्यक्षता थी. इस संगठन में चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं. इनके अलावा चार ऑब्जर्वर स्टेट भी हैं. जिनमें अफगानिस्तान, बेलारुस, ईरान और मंगोलिया शामिल हैं. 


SCO का उद्देश्य सभी देशों के बीच शांति बनाए रखना और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है. यही वजह है कि पाकिस्तान के लिए ये बैठक काफी अहम है. विदेश मंत्रियों की बैठक में आर्थिक गतिविधियों को तेज करने की बात हो सकती है. अगर वाकई में ऐसा होता है तो वैश्विक मंच पर चीन की ये दूसरी बड़ी जीत मानी जाएगी.