एक्सप्लोरर

मिस्टर मिर्ज़ा ग़ालिब...गली क़ासिम जान में 'प्रेमचंद' से बड़ा आपका कद्रदान नहीं

अगर आप घुमक्कड़ हैं और अब तक गली क़ासिम जान में मिर्ज़ा ग़ालिब की हवेली नहीं घूमे तो आपने अब तक शाहजहांनाबाद का सबसे ऐतिहासिक कोना नहीं देखा.

तेरी गली के मोड़ पे पहुँचे थे जल्द हम 
पर तेरे घर को आते हुए देर हो गई

मिस्टर मिर्ज़ा ग़ालिब, सबसे पहले माफी कि आपकी हवेली पर इस बार देर से आया. आज न 27 दिसंबर है कि आपका यौम ए पैदाइश का जश्न मनाया जाए और न 15 फरवरी कि आपके इंतक़ाल का ग़म मना लिया जाए. निजामुद्दीन जाकर आपकी कब्र पर फ़ातिहा पढ़ने का भी कोई खास अवसर नहीं है. मैं फिर आपके हवेली पर आज क्यों आया ये आप सोच रहे होंगे. दरअसल, मैं भी जब चावड़ी बाजार से होता हुआ आपकी  हवेली के लिए निकला और बल्लीमारान पहुंचा तो पुरानी दिल्ली के कंधे छिल जाने वाली भीड़ में आपके बारे में ही सोच रहा था.

मैं सोच रहा था कि आप कितने बड़े शायर हैं कि अपने इंतकाल के इतने सालों बाद भी हम सब के जहन में जिन्दा हैं. मेरे लिए आप इश्क-व-ग़म की शगुफ्तगी के शायर हैं. आप मेरे लिए वो शायर हैं जिनका शेर मैं टूटे-फूटे अंदाज़ में याद कर के दिलों की धड़कनों में इश्क़ की आग को जलाए रखता हूं. जब दिल टूटता है तो आपके ही शेरों से मरहम-पट्टी करता हूं. अमूमन होता यह है कि आपका हर शेर मेरे दर्द को कम करने की जगह इसे इस कदर बढ़ा देता है कि दर्द ही दवा लगने लगती है और मैं मिर्ज़ा आपके ही अंदाज में कह उठता हूं..

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ

खैर.. अब आते हैं इस बात पर कि मैं इस इस बार आपकी हवेली पर क्यों आया. दरअसल, मैं जब कभी भी आपके नाम पर होने वाले सेमीनार में जाता हूं या किसी भी वकत्व को सुनता हूं तो सभी लोग यही कहते हैं कि ग़ालिब को समझना आसान नहीं है, ग़ालिब को पढ़ना आसान नहीं है... आपने भी तो एक बार कहा था....

न सताइश की तमन्ना न सिले की परवाह 
गर नहीं है मेरे अशआर में मानी न सही

ये बात आपने उन लोगों से कही थी जो आपके शेर नहीं समझ पाते थे...पर मिस्टर ग़ालिब, मैं बड़ी माफी के साथ भाषाई हंगामें पर आपके ही एक शेर को थोड़ा बदल कर यहां कहूंगा

फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूं 
आप कहां और ये बवाल कहां

ग़ालिब साहब, आपको तो हर चाहने वाला पढ़-लिख सकता है. कहते हैं कि शायरी के लिए उस्ताद से ज्यादा महबूब की जरूरत होती है. अब मैं सीधे-सीधे अपनी बात पर आता हूं मिस्टर, ग़ालिब.. मैं आज आपकी हवेली पर आपके दरबान से मिलने आया था...आप कहेंगे ये क्या गुस्ताखी है..मिर्ज़ा की हवेली में मिर्ज़ा के अलावा किसी से मिलने भला कौन आता है.. 

इससे पहले की आप ये सवाल करें मिर्ज़ा, मैं आपको आपके सबसे बड़े फैन के बारे में बता देता हूं. वो सिर्फ 10वीं पास हैं और आपके बेहद करीब रहते हैं. मैं बात कर रहा हूं आपकी हवेली की देख-रेख करने वाले दरबान की. उनके मुंह से आपके शेर ऐसे निकलते हैं जैसे कोई उर्दू का दानिशवर पढ़ रहा हो. 

मिर्ज़ा की हवेली में प्रेमचंद से मुलाकात

मिस्टर मिर्ज़ा ग़ालिब, मैं आपकी हवेली में पहुंचा ही था कि मेरी नज़र पड़ी मशहूर फिल्म मेकर अनुभव सिन्हा पर. अनुभव अपने तीन मित्रों के साथ वहीं ग़ालिब की हवेली देखने आए थे. मैंने उनसे सवाल किया कि आप ग़ालिब को लेकर क्या सोचते हैं..उन्होंने तुरंत कहा- ग़ालिब पर भला कौन बोल सकता है...मैं तो जगह देखने आया हूं..कोई मुझे इस जगह के बारे में बता दे.

इतने में आपकी हवेली का दरबान आया और कुछ-कुछ जानकारियां उन्हें देने लगा. मैं वहीं खड़ा भगवान दास द्वारा आपका बना स्टैच्यु कभी देख रहा था तो कभी आपके दरबान को..ठीक इसी वक्त आपके दरबान ने आपका एक बेहद मशहूर शेर पढ़ा मिर्ज़ा...

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का 
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले 

महज दो कमरों की इस हवेली में सरकार और दानिशवरों की तरफ से रस्म अदायगी तो बहुत देखी थी, लेकिन आज पहली दफा ग़ालिब के दरबान को देखा तो बस देखता रह गया. आप भी देखिए मिस्टर मिर्ज़ा ग़ालिब आपका सबसे बड़ा फैन प्रेमचंद कितनी बेतकल्लुफ़ी से आपका शेर पढ़ रहा है

कौन हैं मिर्ज़ा ग़ालिब की हवेली के दरबान

मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर इस दीवानगी से सुनाने वाले शख्स के बारे में मैं जानने लगा तो पता चला.. लगभग आठ सालों से मिर्ज़ा ग़ालिब की हवेली की देखरेख जिस गार्ड के जिम्मे है उनका नाम है प्रेमचंद. प्रेमचंद उत्तर प्रदेश के हापुर के रहने वाले हैं. उनको जब मैंने मिर्ज़ा के शेर पढ़ते हुए सुना तो पूछ लिया- आप कहां तक पढ़े लिखे हैं..

प्रेमचंद ने जवाब दिया- इंटर पास हूं. 1992 में इंटर किया था.

मेरा अगला सवाल था- घर में कौन-कौन हैं..बच्चे आपके पढ़ते हैं?

प्रेमचंद ने कहा- पत्नी मैं और दो बच्चे..एक बेटी की शादी हो गई..एक लड़का है जो पढ़ रहा है..इसके बाद ITA का कोर्स कराऊंगा..ज्यादा नहीं पढ़ाना साहब..नौकरी है नहीं तो ज्यादा पढ़कर क्या करेगा..

अब मैंने परिवार से वापस ग़ालिब पर आते हुए पूछ लिया- प्रेमचंद जी..कबसे यहां काम कर रहे हैं?

उनका जवाब था- जी- आठ साल से.. बड़े लोग केवल ग़ालिब के जन्मदिन पर आते हैं. जैसे ग़ालिब का कोई वारिस ही न हो....अभी कुछ दिन पहले ग़ालिब का स्टेच्यु बनाने वाले भगवान दास रामपुरे आए थे.

मैंने फिर कहा- आपको ग़ालिब का कोई शेर याद है..? मेरे इस सवाल के बाद प्रेमचंद पूरी तरह खुल गए और एक के बाद एक ग़ालिब का शेर सुनाने लगे और साथ में उसका मतलब बताने लगे. पहला शेर उन्होंने पढ़ा

कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को 
 ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता

दूसरा शेर उन्होंने बिना समय लिए पढ़ा

दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई
दोनों को इक अदा में रज़ामन्द कर गई

इसके बाद मैं सुनता रहा और प्रेमचंद पढ़ते रहे..मैंने उन्हें रोकते हुए पूछ लिया- कहां से ग़ालिब को पढ़ना सीखा ..आप तो इंटर तक ही पढ़े हैं. वो तुरंत बोले- ग़ालिब का संबंध स्कूल-कॉलेज से नहीं है, दिल से है. ग़ालिब दिल वालों की चाहत हैं दिमाग वालों का खेल नहीं.. 

प्रेमचंद बोल रहे थे और मैं सोच रहा था- सियासत और खु़दगर्जियां ग़ालिब का मकां तक नहीं संभाल पाए और उनका दरबान शाहजहांनाबाद के अदब के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण पन्ने पर लिखी विरासत संभाल रहा है.

प्रेमचंद से मिलकर इस बात का यकीन हो गया कि अभी भी ग़ालिब को दिल-ओ-जान से चाहने वाले बचे हैं. आज पहली दफा ग़ालिब की हवेली पर यह एहसास हुआ कि ग़ालिब सिर्फ उर्दू अकेडमी या उर्दू-फारसी के दानिशवरों के ही हवाले नहीं हैं बल्कि  प्रेमचंद जैसे लोगों ने उन्हें जिंदा रखा है.

इसमें कोई शक नहीं कि हिन्दी-उर्दू जो इतने क़रीब आये, तो उसमें ग़ालिब की शायरी का बड़ा हाथ है. आज कोई भी इन्सानी दर्द ऐसा नहीं होगा जिसकी शक्ल ग़ालिब की शायरी से नहीं मिलती हो. वो ज़िन्दगी से लड़ते रहे. जितना लड़ते उतना ही आनन्दित होते और मजे के साथ जिंदगी की कड़वाहटों को शायरी की शक़्ल दे देते रहे और आज वह अदब की एक ऐसी विरासत बन गई है जिसपर हर ग़ालिब के दीवाने को नाज़ होता है.

और देखें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

राहुल गांधी ने की पहलगाम हमले के पीड़ितों से मुलाकात, बोले- 'टेरर अटैक के पीछे हमें बांटने की मंशा'
राहुल गांधी ने की पहलगाम हमले के पीड़ितों से मुलाकात, बोले- 'टेरर अटैक के पीछे हमें बांटने की मंशा'
Pahalgam Terror Attack: 'हिंदुओं से बस यही कहूंगा- I LOVE YOU, ये दहशगर्द किसी के नहीं हैं', भारत से लौटा पाकिस्‍तानी क्‍या-क्‍या कह गया    
Pahalgam Terror Attack: 'हिंदुओं से बस यही कहूंगा- I LOVE YOU', भारत से लौटा पाकिस्‍तानी क्‍या-क्‍या कह गया    
राजा भैया की बेटी को पाकिस्तान के हिंदुओं की चिंता, पहलगाम हमले के बाद सता रहा है इस बात का डर
राजा भैया की बेटी को पाकिस्तान के हिंदुओं की चिंता, पहलगाम हमले के बाद सता रहा है इस बात का डर
वायरल गर्ल मोनालिसा की चमकी किस्मत, इस सिंगर संग करने जा रही म्यूजिक वीडियो, खुद शेयर की गुड न्यूज
मोनालिसा इस सिंगर संग करने जा रही म्यूजिक वीडियो, वायरल गर्ल ने खुद शेयर की गुड न्यूज
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Pahalgam Attack: 'उस बेटी का वीडियो देख कलेजा फट..', रोते बिलखते चाचा ने बयां किया दर्द | BreakingPahalgam News : पहलगम हमले को लेकर सलमान खान का फूटा गुस्सा, आमीर खान ने जताया दुःख | KFHYeh Rishta Kya Kehlata Hai: Abhir के अफेयर पर भड़का Armaan, उठाया हाथ लेकिन Abhira ने लगाई रोक #sbsPahalgam Terror Attack:श्रीनगर पहुंचे आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी, PM  मोदी की चेतावनी के बाद एक्शन

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
राहुल गांधी ने की पहलगाम हमले के पीड़ितों से मुलाकात, बोले- 'टेरर अटैक के पीछे हमें बांटने की मंशा'
राहुल गांधी ने की पहलगाम हमले के पीड़ितों से मुलाकात, बोले- 'टेरर अटैक के पीछे हमें बांटने की मंशा'
Pahalgam Terror Attack: 'हिंदुओं से बस यही कहूंगा- I LOVE YOU, ये दहशगर्द किसी के नहीं हैं', भारत से लौटा पाकिस्‍तानी क्‍या-क्‍या कह गया    
Pahalgam Terror Attack: 'हिंदुओं से बस यही कहूंगा- I LOVE YOU', भारत से लौटा पाकिस्‍तानी क्‍या-क्‍या कह गया    
राजा भैया की बेटी को पाकिस्तान के हिंदुओं की चिंता, पहलगाम हमले के बाद सता रहा है इस बात का डर
राजा भैया की बेटी को पाकिस्तान के हिंदुओं की चिंता, पहलगाम हमले के बाद सता रहा है इस बात का डर
वायरल गर्ल मोनालिसा की चमकी किस्मत, इस सिंगर संग करने जा रही म्यूजिक वीडियो, खुद शेयर की गुड न्यूज
मोनालिसा इस सिंगर संग करने जा रही म्यूजिक वीडियो, वायरल गर्ल ने खुद शेयर की गुड न्यूज
'लेफ्टिनेंट' एमएस धोनी पर जमकर बरसे फैंस, पहलगाम हमले पर लोगों ने खूब लताड़ा; बोले - फौजी होकर भी...
'लेफ्टिनेंट' एमएस धोनी पर जमकर बरसे फैंस, पहलगाम हमले पर लोगों ने खूब लताड़ा; बोले - फौजी होकर भी
क्या वाकई किसी गोली या इंजेक्शन से कम हो सकता है वजन? जानें कैसे करती है काम
क्या वाकई किसी गोली या इंजेक्शन से कम हो सकता है वजन? जानें कैसे करती है काम
Pahalgam Attack: 'सीमा की टांगें काप रहीं, काले बैंगन सचिन को भी मिलेगा कर्मों का फल...', पाकिस्तान से गुलाम हैदर ने किया ऐलान
Pahalgam Attack: 'सीमा की टांगें काप रहीं, काले बैंगन सचिन को भी मिलेगा कर्मों का फल...', पाकिस्तान से गुलाम हैदर ने किया ऐलान
दिल्ली में बिना टिकट या कार्ड के यात्रा करने वाली महिलाएं सावधान, लग सकता है मोटा जुर्माना
दिल्ली में बिना टिकट या कार्ड के यात्रा करने वाली महिलाएं सावधान, लग सकता है मोटा जुर्माना
Embed widget