(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनावों में ईवीएम का क्यों नहीं होता है इस्तेमाल, जानिए
Presidential Election पर एक सवाल कौंधता है कि क्या राष्ट्रपति चुनावों के दौरान लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य ईवीएम से मतदान करेंगे ? अगर नहीं, तो आखिर इसके पीछे की वजह क्या है?
Presidential Election 2022: भारत के केंद्रीय चुनाव आयोग (Election Commission Of India) ने राष्ट्रपति चुनावों (Presidential Elections) के लिए तारीखों की घोषणा कर दी है. केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा और 21 तारीख को मतगणना होगी. राष्ट्रपति पद का चुनाव तभी होगा जब उम्मीदवार (Candidate) एक से ज्यादा होंगे.
18 जुलाई को अगर राष्ट्रपति चुनावों के लिए मतदान की जरूरत पड़ती है तो इसमें लोकसभा (Lok Sabha),राज्यसभा (Rajya Sabha) और विधानसभा (State Assembly) के सदस्य हिस्सा लेंगे. मतदान के बाद 21 जुलाई को मतगणना होगी. मतगणना के बाद सर्वाधिक मत प्राप्त उम्मीदवार को देश के मुख्य न्यायाधीश भारत गणराज्य के राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाएंगे.
इन सबके बीच एक प्रश्न दिमाग में आता है कि क्या राष्ट्रपति चुनावों के दौरान लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा के सदस्य ईवीएम से मतदान करेंगे ? अगर नहीं, तो आखिर इसके पीछे की वजह क्या है?
दरअसल, राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया देश में होने वाले आम लोकसभा और विधानसभा चुनावों जितनी सरल और सीधी नहीं है. इसमें मतदाता भारत के नागरिक नहीं होते हैं बल्कि उनकी जगह पर उनके द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि अपने मत से देश के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं.
क्यों नहीं होता है ईवीएम का इस्तेमाल?
इस चुनाव में हर मतदाता को प्राथमिकता के आधार पर वोट देने का अधिकार होता है. उदाहरण के तौर पर यदि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए चार प्रत्याशी खड़े हैं तो मतदाता सभी चार प्रत्याशियों के नाम के लिए एक से चार तक अपनी प्राथमिकता लिख सकता है. यदि पहली प्राथमिकता वाले मतों की गणना से किसी प्रत्याशी को बहुमत नहीं मिलता है तो मतों का हस्तांतरण करते हुए दूसरी प्राथमिकता के लिए मतों की गणना होती है. ईवीएम इस तरह की वोटिंग के लिए डिजाइन नहीं की गई है. यही वजह है कि राष्ट्रपति का चुनाव अभी भी बैलेट पेपर के माध्यम से किया जाता है.
इसके अलावा इस चुनाव में आनुपातिक व्यवस्था का भी इस्तेमाल किया जाता है. इस व्यवस्था में सांसदों और विधायकों के वोट का मूल्य यानी वेटेज अलग-अलग होता है. दो राज्यों के विधायकों के विधायकों का भी वेटेज अलग अलग होता है. जिस प्रक्रिया से ये वेटेज तय किया जाता है उस व्यवस्था को आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था कहते हैं.
विधायक और सांसदों के वोट में क्या अंतर होता है?
राष्ट्रपति चुनावों में सांसदों और विधायकों के वोटों में बड़ा अंतर होता है. मसलन विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक है उसकी आबादी देखी जाती है. इसके साथ ही उस राज्य की विधानसभा सदस्यों की संख्या का ध्यान रखा जाता है. वेटेज निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से बांटा जाता है. इस तरह जो भी नंबर मिलता है, उसे फिर एक हजार से भाग दिया जाता है. अब जो आंकड़ा बचता है, वह उस राज्य के एक विधायक का वेटेज होता है. एक हजार से भाग देने पर अगर शेष पांच सौ से ज्यादा हो तो वेटेज में एक जोड़ दिया जाता है.
सांसद के वोट
सांसदों के मतों के वेटेज का गणित अलग है. सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्यों का वेटेज जोड़ा जाता है. अब इस सामूहिक वेटेज का राज्यसभा और लोकसभा के चुने गए सदस्य की कुल संख्या से भाग दिया जाता है. इस तरह से जो नंबर बचता है वह एक सांसद का वेटेज होता है. अगर इस तरह से भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता है तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 (Article 58) के तहत, एक उम्मीदवार को राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए इन शर्तों को पूरा करना होता है.
- भारत का नागरिक होना चाहिए
- 35 वर्ष की आयु होनी चाहिए
- लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता होनी चाहिए
- भारत सरकार या राज्य की सरकार के अधीन या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए.
क्या होते हैं महामहिम के अधिकार?
राष्ट्रपति का पद (President Of India) इस देश में सबसे बड़ा पद है. राष्ट्रपति ही इस देश के संवैधानिक प्रमुख (Constitutional Head) होते हैं. देश में कोई भी कानून राष्ट्रपति की मंजूरी के बिना नहीं बन सकता है. राष्ट्रपति के पास मौत की सजा पाए दोषी की सजा को माफ करने का अधिकार होता है. देश में किसी भी संकट के समय आपातकाल लागू (Impose Emergency) करने की शक्ति भी केवल राष्ट्रपति के पास ही होती है.
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