रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 'क्लीन नोट पॉलिसी' के तहत 2000 रुपए के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने का फैसला किया है. 2016 में नोटबंदी के वक्त आरबीआई ने 2000 के नोट जारी किेए थे. आरबीआई के इस फैसले को भी भ्रष्टाचार पर चोट बताया जा रहा है.


मोदी सरकार में मंत्री अश्विनी चौबे ने इसे भ्रष्टाचार पर स्ट्राइक बताया और कहा कि जिसने अपने पास बड़ी संपत्ति रखी है, उनके लिए यह परेशानी की बात है. चौबे ने कहा कि नोट बदलने में भ्रष्टाचारियों को ही दिक्कत होने वाली है.


बीजेपी के एक और नेता सुशील मोदी ने कहा कि 2000 के नोट का इस्तेमाल टेरर फंडिंग और ब्लैक मनी जमा करने के लिए किया जा रहा था. सुशील मोदी दिसंबर 2022 में ही राज्यसभा में इस पर बैन लगाने की मांग कर चुके हैं.


एक्सपर्ट भी 2000 के नोट बैन के पीछे की वजह फेक करेंसी, टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को मान रहे हैं, लेकिन सवाल है कि नोटबंदी से जो नहीं रुक पाया वो 2000 के नोट बदली से रुकेगा? क्या सिर्फ नोट बैन करने से समस्या का समाधान हो जाएगा?


क्या नोटबंदी की तरह होगा नोटबदली का हाल?
2000 के नोट बैन का आदेश जारी करने के एक दिन बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास मीडिया से मुखातिब हुए. नोटबंदी के सफलता और असफलता के सवालों से इतर शक्तिकांत दास लोगों से अपील करते नजर आए. 


दास ने कहा कि हमारे पास करेंसी की कोई कमी नहीं है, इसलिए लोग आराम से नोट बदले. आरबीआई की इस अपील को नोटबंदी के वक्त बिगड़े हालात से जोड़ कर देखा जा रहा है. 


आरबीआई के आदेश के बाद बैंकों ने भी नोट बदलने को लेकर सर्कुलेशन जारी किया है. इसके मुताबिक बिना अकाउंट के किसी बैंक से एक बार में 20 हजार के नोट बिना किसी प्रूफ के बदलवाए जा सकते हैं. 


आरबीआई ने कहा कि 50 हजार रुपए जमा करने पर ही पैन कार्ड देना होगा. यानी 20 हजार रुपए तक की राशि बिना पहचान जमा किया जा सकता है. बैंकों के इस सर्कुलेशन के बाद एक्सपर्ट्स को आशंका है कि नोट बदली का हाल भी नोटबंदी जैसा हो सकता है. 


ये 5 कदम उठे तो असरदार हो सकता है बैन?
आरबीआई रिपोर्ट 2022 के मुताबिक 214.20 करोड़ नोट अभी सिस्टम में है, जो कुल नोटों का 1.6% है. अगर मूल्य के हिसाब से देखें तो कुल 4 लाख करोड़ रुपए के नोट सर्कुलेशन में हैं. ऐसे में इसे असरदार बनाने के लिए सरकार को 5 कदम उठाने होंगे. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...


1. जमाखोरों की पहचान- 2000 के नोट बदलने के लिए बैंकों में शुरू के 2 दिनों में ज्यादा भीड़ नहीं देखी गई है. ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2000 के अधिकांश नोट जमाखोरों के पास ही होंगे. जो चोरी तरीके से इसे बदलवाने के फिराक हैं. 


इसके पीछे ईडी की कार्रवाई में जब्त होने वाले रुपए का उदाहरण भी दिया जा रहा है. पिछले 2 साल में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में 2000 करोड़ रुपए के नोट जब्त किए हैं, जिसमें अधिकांश 2000 के ही थे. 


नोटबंदी के वक्त भी कई जगहों से इस तरह की खबरें आई थीं. उस वक्त इसे रोकने में आरबीआई और सरकार का सिस्टम फेल हो गया था. सरकार अगर इस बार जमाखोरों की पहचान कर ली, तो नोट बैन असरदार हो सकता है. 


2. नोटबदली की सतत निगरानी- आरबीआई को दिन के हिसाब से सभी बैंकों की निगरानी करनी चाहिए. इसमें किस शाखा में कितने नोट बदले गए, इसका विश्लेषण हो. अगर कोई बैंक अधिक नोट बदल रहा है, तो तुरंत उसकी जांच शुरू की जाए.


2016 में नोटबंदी के दौरान कई बैंकों ने जमकर मनी लॉन्ड्रिंग किया था. ईडी ने उस वक्त दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित एक्सिस बैंक पर छापा मारकर इसका बड़ा खुलासा किया था. इसके अलावा कई अन्य बैंकों को भी आईटी और ईडी की टीम ने रडार पर लिया था. 


इस बार अगर शुरू से ही बैंकों की उच्च-स्तरीय निगरानी की जाए तो नोट बैन असरदार हो सकता है. साथ ही इसका मकसद भी सफल हो सकता है.


3. बैंक के टॉप अधिकारियों पर नजर- 2016 में नोटबंदी के दौरान बैंक के 208 टॉप अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी. सरकार ने संसद में बताया था कि आरबीआई की जांच में 208 अधिकारी कदाचार में शामिल पाए गए हैं.


सरकार ने उस वक्त कई अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था, तो कई पर कठोर एक्शन लेने की बात कही थी, लेकिन इन अधिकारियों की वजह से नोटबंदी को तगड़ा नुकसान पहुंचाया था. 


इस बार अगर नोटबदली को असरदार बनाना है तो आरबीआई को बैंक के टॉप अधिकारियों की सख्त मॉनिटरिंग करनी होगी. इसके लिए आरबीआई को एक सिस्टम बनाना चाहिए.


4. औचक निरीक्षण के लिए टीम- नोटबदली के दौरान बैंकों में औचक निरीक्षण के लिए आरबीआई को एक टीम बनानी चाहिए. यह टीम डेटा के आधार पर बैंकों में अचानक पहुंचकर जांच शुरू करे. आरबीआई के इस कदम में भी नोटबदली असरदार हो सकता है. 


आरबीआई की इस टीम में आईटी, विनिमय बोर्ड से जुड़े अधिकारी भी शामिल हों. औचक निरीक्षण की वजह से बैंक के टॉप अधिकारी और जमाखोरों में डर का माहौल बनेगा और फर्जी तरीके से नोट नहीं बदला जा सकेगा.


5. पेट्रोल पंप मालिकों और ज्वेलर्स पर सख्ती की जरुरत- नोटबदली के शुरुआत में जो इनपुट सामने आ रहे हैं, उसके मुताबिक जमाखोर सोने के दुकान और पेट्रोल पंप पर रुपया खपाने के फिराक में हैं.


समाचार एजेंसी पीटीआई ने सर्राफा कारोबारियों के संगठन जीजेसी के हवाले से बताया कि नोटबदली के ऐलान के बाद सोने के भाव की इंक्वायरी बढ़ गई है. वहीं कुछ ज्वेलर्स ने सोना खरीदने पर 5-10 फीसदी प्रीमियम लेना भी शुरू कर दिया है.


पेट्रोल पंप मालिकों के सहारे भी जमाखोर 2000 रुपए के नोट खपाने की फिराक में है. ऐसे में आरबीआई और सरकार को इन पर सख्ती करने की जरुरत है. नहीं तो नोटबदली भी नोटबंदी की तरह बेअसर हो जाएगा. 


पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने उठाए सवाल
2000 के नोट को सर्कुलेशन से वापस लेने के फैसले पी चिदंबरम ने आरबीआई पर सवाल उठाया है. चिदंबरम ने कहा कि 2000 रुपए के नोट से काला धन रखने वालों को मदद मिली है. 


पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार और केंद्रीय बैंक नोट बैन का कारण बताने से मना कर रही है. उन्होंने विश्लेषकों का हवाला देते हुए कहा कि यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश में अलग-अलग राज्यों में आम चुनाव होने वाले हैं. 


2000 के नोट क्यों हुए बैन, 3 प्वॉइंट्स...


आरबीआई और सरकार 2000 के नोट बैन के पीछे भले ही क्लीन नोट पॉलिसी को वजह बता रही हो, लेकिन इन दलीलों पर शायद ही कोई भरोसा करे. दिसंबर 2022 में बिहार के पूर्व वित्त मंत्री और राज्यसभा सांसद ने टेरर फंडिंग, फेक करेंसी को मुद्दा बनाकर 2000 के नोट वापस लेने की मांग की थी


1. फेक करेंसी का सर्कुलेशन बढ़ा- नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था कि साल 2015 में 43.83 करोड़ रुपए नकली मुद्रा जब्त किया गया था. सरकार के एक अन्य आंकड़े के मुताबिक 2012-2014 तक तीन साल में 136 करोड़ रुपए का फेक करेंसी जब्त किया गया. जो औसतन सालाना औसतन 45 करोड़ था. 


एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि नोटबंदी के अगले साल यानी 2017 में 55.71 करोड़ रुपये के नकली नोट जब्त किए गए. रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में 26.35 करोड़ रुपए, 2019 में 34.79 करोड़ रुपए, 2020 में 92.17 करोड़ रुपए फेक करेंसी के रूप में जब्त किए गए. 


कुल फेक करेंसी जोड़ के देखा जाए तो नोटबंदी के बाद औसतन हर साल 52 करोड़ से अधिक रुपए जब्त किए गए हैं. 


2. मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जब्ती भी बढ़ी- केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के मकसद से नोट बदल दिए थे, लेकिन यह ज्यादा कारगर साबित नहीं हुआ. प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जारी डेटा के मुताबिक साल 2017-18 में मनी लॉन्ड्रिंग केस में 992 करोड़ रुपए जब्त किए गए थे.


यह आंकड़ा 2018-19 में बढ़कर 1567 करोड़ हो गया. 2019-20 में 1290 करोड़, 2020-21 में 880 करोड़ और 2020-21 में 1159 करोड़ रुपए जब्त किए गए. ईडी की कार्रवाई में जब्त पैसे की तस्वीर कई बार सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर चुका है. 


3. बीजेपी सांसद ने उठाए थे सवाल- 12 दिसंबर 2022 को संसद का शीतकालीन सत्र के जीरो ऑवर दौरान बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने 2000 रुपए के नोट को वापस लेने की मांग की. मोदी ने राज्यसभा में कहा- देश में लोगों ने बड़े पैमाने पर 2000 के नोटों को जमा कर रखा है. इसका इस्तेमाल सिर्फ अवैध व्यापार के लिए किया जा रहा है. 


सुशील मोदी ने आगे दावा करते हुए कहा- ड्रग, मनी लॉन्ड्रिंग, क्राइम और टेरर फंडिंग जैसे बड़े अपराधों में 2000 रुपए के नोट का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है. इसलिए सरकार इसे वापस लेने पर विचार करे.