The Satanic Verses Ban: मशहूर लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) पर शुक्रवार पर जानलेवा हमला किया गया. ये हमला तब हुआ जब वे पश्चिमी न्यूयॉर्क (West Newyork) में आयोजित एक कार्यक्रम में स्पीच देनेवाले थे. रिपोर्ट के मुताबिक एक व्यक्ति ने धारदार चाकू से उनपर हमला किया जिसके बाद रुश्दी मंच पर ही गिर पड़े. बता दें कि रुश्दी को ईरान (Iran)की तरफ से जान से मारने की धमकी दी गई थी. साल 1980 में अपनी नॉवेल द सेटेनिक वर्सेज (The Satanic Verses) को लेकर रुश्दी विवादों में आ गए थे. ईरानी सरकार (Iran Government) ने उनके लिए फतवा जारी किया था. रुश्दी पिछले 20 साल से इंग्लैंड में रह रहे हैं.


कहां-कहां प्रतिबंधित है रुश्दी की द सेनेटिक वर्सेज


पुस्तक के छपने के बाद भारत में (India Ban The Satanic Verses) इसे प्रतिबंधित कर दिया गया. 1988 में, इसे बांग्लादेश, सूडान और दक्षिण अफ्रीका में भी प्रतिबंधित कर दिया गया था. दिसंबर 1988 तक, श्रीलंका में भी इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था. मिस्र के ग्रैंड शेख अल-अजहर ने ब्रिटेन में इस्लामी संगठनों से उपन्यास के वितरण को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई करने का आह्वान किया. फिर इस उपन्यास को पाकिस्तान में प्रतिबंध लगा दिया गया; सऊदी अरब, मिस्र, सोमालिया, बांग्लादेश, सूडान, मलेशिया, इंडोनेशिया और कतर में किताब के छपने के हफ्तों के भीतर प्रतिबंध लागू कर दिया गया


क्या है ’ द सेटेनिक वर्सेज का पूरा विवाद?


सलमान रुश्दी लिखित नॉवेल ‘द सेटेनिक वर्सेज, जो इस्लामी जगत में अत्यन्त विवाद का विषय बना और अब भी विवादित है, ये नॉवेल भारत सहित कई देशों में बैन की गई है. भारत में इसकी खरीद और बिक्री दोनों गैर कानूनी है. रुश्दी की यह नॉवल वर्ष 1988 में प्रकाशित हुई थी और इसके साथ ही एक ही बड़े विवाद का नया मुद्दा खड़ा हो गया था. इसके लिए रुश्दी पर पैगंबर मोहम्मद के अपमान का आरोप लगाया गया था. इस किताब का शीर्षक एक विवादित मुस्लिम परंपरा के बारे में है. इस परंपरा के बारे में रुश्दी ने अपनी किताब में खुल कर लिखा है और इसी वजह से किताब को कई मुस्लिम देशों में बैन कर दिया गया था.


नॉवेल की वजह से जारी हुआ था फतवा, ट्रांसलेटर्स की गई जान


जापानी अनुवादक, हितोशी इगारशी को 11 जुलाई 1991 को चाकू से गोद कर मार डाला गया था. इटैलियन अनुवादक इटालोर कैप्रिओलो (इटालियन), 3 जुलाई 1991 को मिलान में एक छुरा घोंप कर गंभीर रूप से घायल हो गए थे. नॉर्वे में प्रकाशक विलियम न्यगार्ड को अक्टूबर 1993 में ओस्लो में एक हत्या के प्रयास में तीन बार गोली मार दी गई थी, लेकिन वह बच गया. तुर्की अनुवादक, अज़ीज़ नेसिन, संभवतः उन घटनाओं में लक्षित लक्ष्य था, जिसने 2 जुलाई 1993 को सिवास, तुर्की में सिवास नरसंहार को जन्म दिया, जिसके परिणामस्वरूप 37 लोग मारे गए.


द सेटेनिक वर्सेज़ इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद के जीवन से प्रेरित था. रुश्दी ने अपनी इस पुस्तक में जादुई यथार्थवाद का उपयोग किया है और समकालीन घटनाओं और समकालीन लोगों को इस उपन्यास का पात्र बनाया है. इस पुस्तक के नाम में कुरान की उन आयतों को "शैतानी आयतें" कहा गया है जो मक्का की तीन देवियों अल-लात, मनात और अल-उज़्ज़ा से सम्बन्धित हैं. "शैतानिक छंद" से संबंधित कहानी का हिस्सा इतिहासकार अल-वकिदी और अल-ताबारी के खातों पर आधारित था.


द सेटेनिक वर्सेज को इंगलैंड में सराहना मिली


इंग्लॅण्ड में, सलमान रश्दी के उन्यास द सेटेनिक वर्सेज को सकारात्मक समीक्षा मिली, 1988 बुकर प्राइज फाइनलिस्ट में और उस वर्ष के बेहतरीन उपन्यास के लिए 1988 व्हिटब्रेड अवार्ड भी दिया गया. इसके बाद इस किताब पर इतना विवाद हुआ कि मुसलमानों ने इसे ईश निंदा और उनके विश्वास का मज़ाक बनाने का आरोप लगाया. ब्रिटेन की सरकार द्वारा पुलिस सुरक्षा के तहत रखे गए रुश्दी पर हत्या के कई असफल प्रयास किये गए और उपन्यास के अनुवादक हितोशी इगारशी जैसे कई जुड़े हुए व्यक्तियों पर हमले किए गए.


जला दी गईं थीं उपन्यास की प्रतियां


"द सैटेनिक वर्सेज" उपन्यास ने मुस्लिम समुदाय में बड़े विवाद को उकसाया. उन्होंने उन पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग का आरोप लगाया. पाकिस्तान ने नवंबर 1988 में इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया था. फिर विवाद फैलते ही, पुस्तक के आयात पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया और इसे यूनाइटेड किंगडम में प्रदर्शनों में जला दिया गया.


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