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Explained: अर्पिता के घर से 50 करोड़ बरामद, जानिए छापेमारी में मिले पैसों, गहने और प्रॉपर्टी का क्या करती है जांच एजेंसियां

Teacher Recruitment Scam: ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जैसी जांच एजेंसियां छापेमारी से पैसा और गहने जब्त करने के बाद क्या करती हैं. यहां जानिए.

SSC Scam Update: प्रवर्तन निदेशालय (ED) पश्चिम बंगाल के हाई प्रोफाइल शिक्षक भर्ती घोटाले (Teacher Recruitment Scam) में अपनी छापेमारी के दौरान पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) की करीबी अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) के घर से 50 करोड़ रुपये से ज्यादा कैश और सोना बरामद कर चुका है. अर्पिता के घर पर छापेमारी में बरामद कैश की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी तादाद में मिले कैश का होता क्या है? आइए आपको बताते हैं आखिर इस प्रकार की छापेमारी में बरामद पैसों के साथ एजेंसी क्या करती हैं. 

जब्त कैश और कीमती सामना का पंचनामा

जांच एजेंसी छापेमारी में जो भी सामान जैसे डॉक्युमेंट्स, कैश और अन्य कीमती सामान, सोने-चांदी के गहने जब्त करती है सबसे पहले उसका पंचनामा तैयार करती है. पंचनामा तैयार करने के बाद जांच अधिकारी यानी आईओ उसपर साइन करता है. पंचनामे में दो स्वतंत्र गवाहों के साइन भी लिए जाते हैं. साथ ही जिस व्यक्ति का सामान और कैश इत्यादि जब्त किया जाता है पंचनामे में उसके भी हस्ताक्षर लिए जाते हैं. 

जब्त कैश का क्या होता है?

  • सबसे पहले जब्त कैश इत्यादि का पंचनामा तैयार किया जाता है. पंचनामें में जब्त किए गए कैश को लेकर पूरी जानकारी होती है जैसे, कुल कितना कैश बरामद हुआ, उसने 200, 500 और दूसरे कितने नोट थे. 
  • अगर जब्त किए कैश में नोट पर किसी तरह के निशान पाए जाते हैं या फिर उनपर कुछ लिखा होता है तो जांच एजेंसी उन्हें अपने पास रख लेती है. जिसे बाद में एजेंसी कोर्ट में बतौर सबूत पेश करती है. 
  • एजेंसी बाकी कैश को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया या स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार के खाते में जमा करा देती है. 
  • कई मामलों में अगर एजेंसी को लगता है कि उसे कुछ पैसों को अपने पास रखने की जरूरत है, तो जांच एजेंसी अधिकारियों की स्वीकृति लेने के बाद केस की सुनवाई पूरी होने तक अपने पास रख सकती है. 

प्रॉपर्टी को लेकर ये कहता है नियम

  • जहां तक ईडी का सवाल है उसके पास PMLA के सेक्शन 5(1) के तहत संपत्ति को अटैच करने का अधिकार है. एजेंसी द्वारा अदालत में संपत्ति की जब्ती साबित करने पर पीएमएलए के सेक्शन 9 के तहत सरकार उसे अपने कब्जे में ले लेती है. 
  • जब ईडी किसी भी प्रॉपर्टी को अटैच करती है तो उसके बाहर एक बोर्ड लगा दिया जाता है. जिस पर लिखा होता है इस संपत्ति की खरीद-बिक्री या इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. 
  • आपको बता दें कि ईडी पीएमएलए के तहत अधिकतम 6 महीने यानी 180 दिन तक ही किसी की संपत्ति को अटैच कर सकती है. इस दौरान ईडी को अदालत में अटैच प्रॉपर्टी को अवैध साबित करना होता है अगर ईडी ऐसा करने में कामयाब नहीं हो पाती है तो 180 दिन बाद संपत्ति खुद ही रिलीज हो जाती है. 
  • वहीं, अगर ईडी 180 दिनों में संपत्ति को अवैध साबित करने में कामयाब हो जाती है तो इस पर सरकार का कब्जा हो जाता है. इसके बाद आरोपी को इसके खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील करने के लिए 45 दिन का समय दिया जाता है. 

गहने का भी बनता है पंचनामा

  • जांच एजेंसी अगर छापेमारी में सोना, चांदी, गहने और दूसरी कीमती सामान जब्त करती है तो उसे उसका भी पंचनामा तैयार करना होता है. 
  • पंचनामें में इस बात की पूरी जानकारी दर्ज की जाती है कि कितना सोना, चांदी और दूसरे जैवरात बरामद किए गए उनकी कीमत इत्यादि के बारें में भी बताया जाता है. 
  • जांच एजेंसी सोना, चांदी समेंत अन्य दूसरे सामान का पंचनामा तैयार करने के बाद उसे सरकारी मालखाने और भंडारघर में जमा करा देती है. 

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