दुनिया में मौत के बाद अंतिम संस्कार के आम तौर पर दो ही तरीके होते हैं. या तो बॉडी को ज़मीन के नीचे दफ्न कर दिया जाता है या फिर बॉडी को जला दिया जाता है. किसी की बॉडी को जलाया जाएगा या फिर दफनाया जाएगा, ये उस मरने वाले के धर्म और उसके समुदाय से जुड़े संस्कारों पर निर्भर करता है. लेकिन कोरोना की वजह से दुनिया के कई देशों में मौत के बाद बॉडी के अंतिम संस्कार का तरीका बदल गया है. एक तरफ चीन ने कोरोना की वजह से हुई मौतों के बाद डेड बॉडी को जलाने का आदेश दिया था, तो वहीं अमेरिका में सामूहिक तौर पर कब्र खोदकर उन्हें दफनाया जा रहा था.


और अगर बात भारत की करें, तो यहां पर श्मशान घाट पर मौजूद कर्मचारियों ने कोरोना से हुई मौत के बाद बॉडी को जलाने से इन्कार कर दिया तो वहीं कब्रिस्तान में भी कोरोना पेशेंट की बॉडी को दफनाने से इनकार की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. झारखंड के धनबाद में महिला का शव जलाने से श्मसान घाट वालों ने इनकार कर दिया था, वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर भी ऐसा ही वाकया सामने आ चुका है, वहीं महाराष्ट्र में तो कब्रिस्तान वालों ने अपने यहां ज़मीन देने से ही मना कर दिया. कई जगहों पर कोरोना से हुई मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए डेड बॉडी लेकर पहुंची एंबुलेंस और अस्पताल के कर्मचारियों पर हमले की भी खबरें सामने आई हैं. हमले के आरोपियों का कहना था कि अंतिम संस्कार के दौरान कोरोना का वायरस अंतिम संस्कार की रस्म करवाने वालों में भी ट्रांसफर हो सकता है, लिहाजा वो कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.


लेकिन ये सच नहीं है. सिर्फ और सिर्फ अफवाह है. पहली बात तो ये है कि मरने के बाद शरीर को दफनाना या जलाना दोनों ही सुरक्षित है. मरने के बाद घर के लोग चाहें तो बॉडी को जलाया जा सकता है और चाहें तो उसे दफनाया जा सकता है. दोनों में किसी तरह का कोई खतरा नहीं है. लेकिन इन दोनों ही स्थितियों में कुछ बातों का ध्यान रखा जाना ज़रूरी है और ये बातें स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जनहित में जारी की गई हैं.


# कोरोना की वजह से मरने वाले की बॉडी को बॉडी बैग में ही रखना होगा. इसके बाद बॉडी बैग को संक्रमण से मुक्त करना होगा. इसके बाद बॉडी को ले जाने वाले को किसी तरह के संक्रमण का कोई खतरा नहीं है.


# जो लोग बॉडी को उठाकर अस्पताल से श्मसान या फिर कब्रिस्तान तक ले जा रहे हों, उन्हें सर्जिकल मास्क और ग्लव्स लगाना होगा.


# जिस गाड़ी से डेड बॉडी को ले जाया गया होगा, बॉडी के अंतिम संस्कार के बाद उस गाड़ी को संक्रमण से मुक्त करना होगा. इसके लिए 1% सोडियम क्लोराइड का इस्तेमाल करना होगा.


# श्मसान या कब्रिस्तान में मौजूद जिस स्टाफ को अंतिम संस्कार करना है, उसे अंतिम संस्कार करने के बाद खुद को सेनेटाइज करना होगा.


# स्टाफ को सामान्य नियमों का पालन करना होगा, जैसे कि उसे हाथ की सफाई का ध्यान रखना होगा, मास्क का इस्तेमाल करना होगा और हाथ में ग्लव्स पहनने होंगे.


# मृतक के चेहरे को उसके घरवाले अंतिम बार देख सकें, इसके लिए बॉडी बैग को चेहरे तक ही खोलना होगा. ये काम भी मेडिकल स्टाफ ही करेगा और इसके लिए उसे सामान्य प्रक्रियाओं का पालन करना होगा.


# धार्मिक क्रियाकलाप जैसे कि किसी धार्मिक किताब के कुछ अंश पढ़ना, बॉडी पर पवित्र पानी का छिड़काव करना या फिर अंतिम संस्कार के दौरान कोई और ऐसा धार्मिक काम करना, जिसमें कि शरीर को छूना न हो, उसे किया जा सकता है.


# डेड बॉडी को नहलाने, उसे चूमने या फिर उसे छूने की इजाजत किसी को नहीं है.


# डेड बॉडी का अंतिम संस्कार करने वाले स्टाफ और उस दौरान वहां मौजूद परिवार के हर आदमी को अंतिम संस्कार के बाद हाथ धोना होगा और उसे सैनेटाइज करना होगा.


अगर ये सारे कायदे-कानून का पालन किया जाए, तो फिर कोरोना से मरने वाले को चाहे दफनाना हो या फिर जलाना हो, दोनों ही सुरक्षित है. इसलिए श्मसान के कर्मचारी हों या फिर कब्रिस्तान के, किसी को भी डरने की ज़रूरत नहीं है. कोरोना से मरने वाले की डेड बॉडी हर हाल में अस्पताल का स्टाफ ही श्मसान या कब्रिस्तान तक लेकर आएगा. और बॉडी लाने वाले को बेहतर पता है कि उसे कौन-कौन सा उपाय करना होगा कि संक्रमण किसी और तक न फैले. लिहाजा किसी के बहकावे में न आएं. सावधानी रखें, कोरोना से आप बच जाएंगे.