कोरोना की कहानी शुरू हुई है चीन से. लेकिन इसका सबसे ज्यादा कहर बरपा है अमेरिका में. कुछ सरकारी नीतियों की गलती और कुछ अमेरिकी कंपनियों की गलती की सजा अब अमेरिका के आम लोग भुगत रहे हैं. ये कहानी है ऐसी ही गलती करने वाली एक कंपनी की, जिसका नाम है स्मिथफील्ड फूड्स.
अमेरिका के एक राज्य साउथ डकोटा का एक शहर है सिओक्स फॉल्स. इस शहर में एक बड़ी सी नदी बहती है. नाम है सिओक्स नदी. इस नदी के किनारे सूअर का मांस प्रोसेस करने वाली एक कंपनी है, जिसे स्मिथफील्ड फूड्स कहते हैं. यह सूअर का मांस प्रोसेस करने वाली अमेरिका की 9वीं सबसे बड़ी कंपनी है, जहां हर रोज करीब 19,500 सूअर काटे जाते हैं और फिर उससे अलग-अलग प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. रोजगार के मामले में ये सिओक्स शहर की चौथी सबसे बड़ी कंपनी है, जहां 3700 लोग काम करते हैं.
19 मार्च को इस कंपनी की ओर से एक बयान जारी किया गया. कंपनी के सीईओ कीथ सुलिवन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हमारे 40,000 से ज्यादा अमेरिकी टीम मेंबर, हजारों अमेरिकी परिवार और हमारे सप्लाई पार्टनर एक साथ मिलकर कोरोना की लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन खाना हमारे जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा है, इसलिए हम कंपनी को कोरोना के दौरान भी खुला रखेंगे और इस दौरान हम अपने कर्मचारियों की सेहत का खयाल रखेंगे. कंपनी चलती रही, लोग काम करते रहे. 26 मार्च को एक वेबसाइट पर खबर छपी कि इस कंपनी में एक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है और उसे 14 दिन के क्वॉरंटीन में रखा गया है.
खबरे के सामने आने के बाद कंपनी में हंगामा हो गया. कंपनी ने अंग्रेजी में अपने कर्मचारियों के लिए नोटिस जारी किया, जिसमें लिखा था कि अगर काम के दौरान आप खुद को बीमार महसूस कर रहे हैं, तो अपने सुपरवाइजर को बताइए और घर जाइए. लेकिन कंपनी बंद नहीं हुई. 1 अप्रैल को इस कंपनी ने काम पर आने वालों को लालच देने की कोशिश की. कंपनी ने कहा कि जो लोग काम पर आ रहे हैं, उन्हें मुफ्त में लंच दिया जाएगा.
6 अप्रैल को इस कंपनी ने कहा कि अब कंपनी में आने वाले कर्मचारियों की थर्मल स्क्रीनिंग होगी और कंपनी के आठ फ्लोर में से एक फ्लोर को बंद कर दिया जाएगा, ताकि उस फ्लोर का सेनेटाइजेशन किया जा सके. 7 अप्रैल तक इस कंपनी में कुल 238 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो चुके थे और इसकी वजह से कंपनी ने 48 घंटे के लिए काम रोकने और कंपनी के हर फ्लोर को सेनेटाइज करने का फैसला किया. 9 अप्रैल को कंपनी की ओर से कहा गया कि अगले कुछ दिन में कंपनी को कुछ दिन के लिए बंद किया जा सकता है.
दक्षिणी सूडान से आए एक प्रवासी मजदूर माइकल बुल गायो गाटलुआक की 10 अप्रैल को कंपनी के छठे फ्लोर पर ड्यूटी थी. उसका काम सूअरों को मारने का था. अपने काम के लिए उसे घंटों खड़ा रहना पड़ता था. उसके साथ ही सैकड़ों और भी लोग होते थे, जिनका काम मरे हुए सूअरों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटना होता था. इस काम में उन्हें लंबी सांस लेनी पड़ती थी. 10 अप्रैल की रात को जब माइकल काम करके अपने घर लौटा तो उसकी तबीयत खराब हो गई. तीन दिन बाद पता चला कि उसे कोरोना का संक्रमण है.
बजफीड न्यूज़ से बात करने के दौरान माइकल ने बताया कि ये कंपनी की शुरुआती दिन से लापरवाही रही है. कंपनी ने सुरक्षा मानकों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा. कंपनी में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी अंग्रेजी नहीं जानते हैं, फिर भी कोरोना से बचने के उपाय और बीमार होने पर घर जाने की सलाह का नोटिस अंग्रेजी में चिपकाया गया था, जिसे शायद ही कोई कर्मचारी समझ पाया हो. नतीजा ये हुआ कि 15 अप्रैल को कंपनी बंद हो गई और तब तक इस कंपनी के 3700 में से 725 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो चुके थे. इसके अलावा इनके संपर्क में आए 143 और लोगों में भी कोरोना का संक्रमण पाया गया है. अभी तक साउथ डकोटा में कुल 1635 केस पाए गए हैं. इनमें से आधे से ज्यादा केस इसी कंपनी के कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों से जुड़े हैं.
इनमें से अधिकांश या तो प्रवासी हैं या फिर अश्वेत, जिनका वेतन बेहद कम है. मेक्सिको, नेपाल, होंडुरस, कांगो और स्लावाडोर जैसे देशों से आए ये कर्मचारी एक ही साथ आस-पास रहते हैं. जब अमेरिका की बाकी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्राम होम का आदेश कर दिया था, इस कंपनी ने पोर्क प्रोसेसिंग को ज़रूरी बताकर अपने कर्मचारियों को दफ्तर आने को कहा, पहले की ही तरह काम करने को कहा. ये काम ऐसा था कि कोई भी कर्मचारी एक दूसरे से दूर खड़ा नहीं रह सकता था.
इस कंपनी के पास पूरी दुनिया में करीब 40,000 कर्मचारी हैं. अब इस कंपनी ने अपने सभी कर्मचारियों को 100 मीलियन डॉलर का बोनस देने की बात कही है, जो प्रति कर्मचारी 2500 डॉलर हो रहा है. लेकिन यही वो कंपनी है, जिसने कोरोना के दौरान कंपनी खुली रखी और जो लोग इस दौरान भी बिना गैरहाजिर हुए ऑफिस आए, उन्हें 500 डॉलर का बोनस दिया गया. अब यही कंपनी अमेरिका के सबसे बड़े हॉटस्पॉट में से एक के लिए जिम्मेदार है. फिर भी दुनिया में सबसे ज्यादा पोर्क का उत्पादन करने वाली ये कंपनी कहती है कि उसकी कोई गलती नहीं है.