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SCO Meeting: पुतिन की हत्या की कोशिश, यूक्रेन वॉर और कश्मीर... SCO बैठक में इन अहम मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

SCO Meeting: अब तक भारत की तरफ से पाकिस्तान के साथ बातचीत को लेकर कोई भी बयान सामने नहीं आया है. वहीं पाकिस्तान ने तो इस बात से इनकार कर दिया कि भारत के साथ एससीओ बैठक में द्विपक्षीय बातचीत होगी.

SCO Meeting: भारत में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) बैठक शुरू होने जा रही है, जिसमें रूस-पाकिस्तान समेत सभी 8 देशों के विदेश मंत्री शामिल हो रहे हैं. खास बात ये है कि इस बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान की तरफ से विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो पहुंचे हैं. पिछले 12 साल में ये पहला मौका है जब किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने भारत की धरती पर कदम रखा. वहीं दूसरी तरफ दुनियाभर में काफी कुछ ऐसा हुआ है, जिसका असर SCO की इस बैठक में दिख सकता है. भारत की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में किन पांच अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, इस पर आज बात करते हैं. 

पाकिस्तान अलाप सकता है कश्मीर राग
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) यूं तो अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ रिश्ते और व्यापार को बेहतर बनाने के लिए है, लेकिन पाकिस्तान यहां भी अपनी पुरानी आदत से बाज नहीं आएगा. बताया जा रहा है कि पाक विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत की धरती से भी कश्मीर राग अलाप सकते हैं. भारत और पीएम मोदी को लेकर दिए गए उनके पिछले बयानों से यही तस्वीर साफ होती है. चीन और रूस की मौजूदगी में पाकिस्तान की तरफ से एक बार फिर कश्मीर और आर्टिकल 370 का जिक्र किया जा सकता है. 

हालांकि पाकिस्तान पिछले कुछ सालों में आर्थिक तौर पर काफी कमजोर हुआ है, गरीबी से लेकर भुखमरी के हालात उनके देश में बन रहे हैं. ऐसे में कुछ जानकारों का ये भी कहना है कि हो सकता है कि अबकी बार अपनी माली हालत को देखते हुए पाकिस्तान कश्मीर राग को न छेड़े, लेकिन अगर उसने कश्मीर, आर्टिकल 370 या फिर पीओके जैसे मुद्दे का जिक्र भी किया तो भारत के साथ रिश्ते और ज्यादा बिगड़ जाएंगे. जिसका नुकसान पाकिस्तान को ही ज्यादा होगा. 

भारत-पाकिस्तान के रिश्ते पर असर
क्योंकि पाकिस्तान भी एससीओ का हिस्सा है, ऐसे में भारत की तरफ से उसे औपचारिक न्योता दिया गया था. माना जा रहा था कि पाकिस्तान इस बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर सकता है, लेकिन पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज बलूच का इसे लेकर बयान सामने आया. जिसमें उन्होंने बताया कि आने वाली 4 और 5 मई को होने वाली शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) बैठक में विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो हिस्सा लेंगे. इससे ये कयास लगाए गए कि पाकिस्तान अपनी हालत को देखते हुए अब भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश कर सकता है. कहा जा रहा है कि चीन के कहने पर ही पाकिस्तान ने SCO समिट के लिए हामी भरी, इसीलिए वो भारत के साथ बातचीत में पाकिस्तान की मदद कर सकता है. 

हालांकि अब तक भारत की तरफ से पाकिस्तान के साथ बातचीत को लेकर कोई भी बयान सामने नहीं आया है. वहीं पाकिस्तान ने तो इस बात से इनकार कर दिया कि भारत के साथ एससीओ बैठक में द्विपक्षीय बातचीत होगी. यानी दोनों देश आपस में बातचीत करें, इसकी संभावनाएं काफी कम हैं. इसलिए माना जा रहा है कि इस बैठक से भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. 

भारत और चीन के बीच तनातनी
अब पाकिस्तान की बात तो हमने कर ली, लेकिन भारत का दूसरा पड़ोसी मुल्क चीन भी पिछले कई सालों से सीमा पर खतरा पैदा करता रहा है. SCO चीन और रूस की तरफ से ही शुरू किया गया एक संगठन है. ऐसे में इन दोनों देशों का इसमें दबदबा माना जाता है. अब भारत की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में चीन के साथ रिश्तों पर भी काफी असर पड़ सकता है. हाल ही जी-20 बैठक के दौरान में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात की थी. जिसके बाद अब दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात होगी. 

SCO बैठक में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय बातचीत होगी. इस बातचीत में एलएसी पर तनाव को कम करने को लेकर बातचीत हो सकती है. सीमा पर हालात ये हैं कि कई बार दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प हो चुकी हैं. ऐसे में आपसी सहयोग बढ़ाने वाली एससीओ बैठक दोनों देशों के रिश्ते के लिए काफी अहम हो सकती है. दोनों देश मिलकर कई फैसले ले सकते हैं. 

रूस-यूक्रेन जंग का होगा जिक्र?
रूस और यूक्रेन की जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, इसे लेकर दुनियाभर के देश भी दो धड़ों में बंटे हुए हैं. जहां चीन को इस जंग पर दोतरफा रवैया अपनाते देखा गया, वहीं भारत ने तटस्थ भूमिका निभाई. रूस के साथ हमेशा से ही भारत का काफी करीबी रिश्ता रहा है. इसी बीच SCO की बैठक होने जा रही है. जिसमें चीन और रूस दोनों ही शामिल हैं. बैठक से ठीक पहले यूक्रेन पर पुतिन की हत्या की कोशिश के आरोप भी लगे. जिसका असर अब SCO बैठक में दिख सकता है. यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने को लेकर कूटनीतिक तौर पर चीन लगातार खुद का कद ऊंचा कर रहा है और शांतिदूत बनने की कोशिश कर रहा है. वहीं भारत ने भी हर मंच से युद्ध खत्म करने की अपील की है, ऐसे में SCO बैठक में भी ये मुद्दा चर्चा में रह सकता है.  

हाल ही में रूस ने चीन का समर्थन करते हुए क्वाड संगठन को फटकार लगाई थी, जिसे भारत के लिए भी एक संकेत माना गया था. यानी रूस का चीन के प्रति झुकाव भी चिंता का विषय है. SCO बैठक में रूसी विदेश मंत्री का रुख भारत को लेकर क्या रहता है और भारत से द्विपक्षीय बातचीत के बाद किन समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाते हैं इस पर भी नजर रहेगी. 

सेंट्रल एशिया में भारत की पहुंच
सेंट्रल एशिया में अगर भारत को पहुंच बढ़ानी है तो शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) काफी अहम है. क्योंकि SCO में सेंट्रल एशिया के सारे देश एक साथ बैठते हैं. ऐसे में भारत व्यापार और तमाम क्षेत्रों में सेंट्रल एशिया तक अपनी पहुंच को और ज्यादा बढ़ा सकता है. इसके अलावा अफगानिस्तान पर अपना पक्ष रखने के लिए भारत के पास ऐसा कोई संगठन नहीं है. अफगानिस्तान में अपनी भूमिका तय करने के लिए भारत को SCO में शामिल इन सभी देशों के सहयोग की जरूरत है. रूस और चीन के दबदबे वाले इसे संगठन में भारत के शामिल होने से काफ बैलेंस बना है. सेंट्रल एशिया के तमाम देश ऐसा चाहते थे. 

सेंट्रल एशिया के तमाम देशों के इस संगठन का इस्तेमाल आतंकवाद पर वार करने के लिए भी किया जा सकता है. भारत हर मंच से आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को घेरता रहा है, ऐसे में SCO बैठक के दौरान भी आतंकवाद के खात्मे को लेकर पहल की जा सकती है. जिसके लिए उसे SCO देशों के सहयोग की जरूरत होगी. हालांकि अगर आतंकवाद का जिक्र हुआ तो इससे पाकिस्तान और चीन को मिर्ची लगना तय है. 

क्या है SCO? 
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की शुरुआत चीन और रूस की तरफ से 2001 में की गई थी. सेंट्रल एशियाई देशों के आपसी सहयोग और सुरक्षा को लेकर इस संगठन को बनाया गया था. इसके बाद बाकी देशों को भी इसमें जोड़ा गया. ये एक पॉलिटिकल, इकोनॉमिकल और सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन है. भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान समेत इसके कुल 8 स्थाई सदस्य हैं. जिनमें कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. इनके अलावा चार ऑब्जर्वर स्टेट भी हैं. जिनमें अफगानिस्तान, बेलारुस, ईरान और मंगोलिया शामिल हैं. शुरुआत में SCO के सिर्फ 6 ही सदस्य देश थे, लेकिन 2017 में इसमें भारत और पाकिस्तान को भी शामिल किया गया. 

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