Explained : कोरोना से ठीक हुए मरीज को कब मिलती है अस्पताल से छुट्टी?
कोरोना की वजह से मौतें हो रही हैं, तो लोग ठीक होकर अपने घर भी जा रहे हैं. लेकिन क्या ठीक होने के बाद भी घर जाना इतना आसान है?
पूरी दुनिया के 17 लाख से भी ज्यादा लोग कोरोना वायरस की चपेट में हैं. यह वायरस एक लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुका है और करीब चार लाख लोग वायरस की चपेट में आने के बाद भी ठीक हो चुके हैं. वहीं अगर भारत की बात करें तो अभी तक 7,447 लोगों में वायरस पाया गया है, 239 लोगों की मौत हुई है और 642 लोग ठीक होकर अपने घरों को जा चुके हैं.
लेकिन क्या एक बार कोरोना पॉजिटिव की वजह से अस्पताल में दाखिल होने के बाद वहां से निकलना इतना आसान है. जवाब है नहीं. अस्पताल में दाखिल होने के बाद वहां से बाहर निकलना कितना मुश्किल है, ये तो वो 642 लोग ही बता सकते हैं, जो अपने घर गए हैं. फिर भी हम कोशिश कर रहे हैं कि डॉक्टरों के हवाले से आपको भी इस बात की जानकारी हो जाए कि आखिर कब कोरोना के मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है.
चीन के वुहान शहर को कोरोना का शुरुआती केंद्र माना जाता है. चीन में कोरोना पॉजिटिव को ठीक हुआ तब माना जा रहा है, जब रोगी को लगातार तीन दिनों तक बुखार नहीं आ रहा है और उसके 24 घंटे के अंदर लिए गए दो सैंपल के टेस्ट निगेटिव हैं. ऐसे मरीजों को चीन में अस्पताल से छुट्टी दे दी जा रही है और उन्हें 14 दिनों तक अपने घर में क्वॉरंटीन रहने की सलाह दी जा रही है. साथ ही उन्हें मास्क पहनने की भी हिदायत दी गई है. इसके अलावा दूसरे हफ्ते और चौथे हफ्ते में मेडिकल चेकअप के लिए भी कहा गया है.
वहीं भारत के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने नियम बनाए हैं. एनसीडीसी के मुताबिक अगर किसी मरीज का कोरोना टेस्ट निगेटिव आता है, तो मरीज की मेडिकल कंडीशन के आधार पर उसे अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है. इसके लिए मरीज को चेस्ट रेडियोग्राफिक क्लीयरेंस लेना पड़ता है यानि कि ये देखना होता है कि उसकी छाती में संक्रमण तो नहीं है. इसके अलावा 24 घंटे के अंतराल पर मरीज के दो सैंपल लिए जाते हैं और उनकी जांच की जाती है. अगर दोनों ही सैंपल निगेटिव निकलते हैं, तो फिर मरीज को घर जाने दिया जाता है. हालांकि कुछ मरीजों की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर 14 दिनों की निगरानी में भी रख रहे हैं, वहीं कुछ लोगों को घर में ही क्वॉरंटीन रहने की सलाह दी जा रही है.
चीन और भारत के अलावा दुनिया के और भी देशों में कमोबेश ऐसी ही स्थितियां हैं. इटली में अगर किसी मरीज में कोरोना के लक्षण दिखने बंद हो जाएं और 24 घंटे के अंतराल पर लिए गए सैंपल की जांच के बाद रिजल्ट कोविड 19 निगेटिव निकले तो उसे घर जाने दिया जाता है. अगर कोई मरीज सात दिन या उससे पहले ही ठीक हो जाता है, तो इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक सात दिनों के बाद उसकी फिर से जांच की जाती है और तब उसे कोरोना निगेटिव माना जाता है. इसके अलावा जिन लोगों को इटली में क्वॉरंटीन किया गया है, उनका क्वॉरंटीन की शुरुआती तारीख से 14 दिनों के बाद टेस्ट किया जाता है. अगर वो कोरोना निगेटिव होते हैं, तो उन्हें घर जाने दिया जाता है.
सिंगापुर में जिन मरीजों को 24 घंटे तक बुखार नहीं हुआ है और उनके 24 घंटे के अंतराल पर लिए गए सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आ गई है, उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जा रहा है. हालांकि डिस्चार्ज होने के बाद भी उन्हें हर रोज अस्पताल से आने वाले फोन पर अपनी तबीयत के बारे में जानकारी देनी होती है. वहीं अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज ने तय किया है कि 24 घंटे के अंतराल पर मरीज की नाक और गले से सैंपल लिया जाए. अगर चारों सैंपल निगेटिव हैं, मरीज को बुखार नहीं है और उसे किसी तरह की दिक्कत नहीं हो रही है, तब उसे घर जाने दिया जाए.
वहीं इस बीमारी की जड़ बने चीन ने कोरोना से ठीक हुए मरीजों के लिए नए सिरे से नियम बनाए हैं. चीन ने वुहान शहर से लॉकडाउन खत्म करने के बाद ये नियम बना दिया है कि जो लोग भी कोरोना से ठीक हुए हैं, उनका फिर से मेडिकल चेकअप किया जाएगा, उनके सैंपल लिए जाएंगे और डॉक्टरों की टीम उनके घर जाकर उनका चेकअप करेगी. इसके अलावा जो भी लोग कोरोना पॉजिटिव थे और अब निगेटिव हैं, उन्हें 14 दिनों तक अपने घर में सेल्फ आइसोलेशन में रहना होगा. इसके अलावा चीन अब उन लोगों की भी जांच कर रहा है, जिनमें शुरुआत में कोरोना जैसी बीमारी के मामूली लक्षण देखे गए थे.
चूंकि शुरुआत में चीन में सिर्फ कोरोना की वजह से गंभीर हालत में आए लोगों का ही इलाज किया गया था. लेकिन अब चीन में स्थितियां सुधर रही हैं तो और भी लोगों की जांच की जा रही है. और इसकी वजह है दक्षिण कोरिया की एक खबर. दक्षिण कोरिया में कोरोना के कुल 10,450 मामले सामने आए हैं. इनमें से 208 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 91 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके थे. लेकिन अब इन 91 लोगों में फिर से कोरोना का संक्रमण पाया गया है और इसकी वजह से सिर्फ साउथ कोरिया ही नहीं, दुनिया के तमाम देश परेशान हो गए हैं और नए सिरे से मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने के लिए नियम तैयार करने में लग गए हैं.