उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 9 जून को गोवध को लेकर अपने कानून और कड़े कर दिए हैं. कैबिनेट से पारित गोवध निवारण संशोधन अध्यादेश के मुताबिक अब प्रदेश में गोवध करने वालों के लिए 10 साल की सजा और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. वहीं अगर कोई किसी गोवंश का अंग-भंग कर देता है, तो उसके लिए 7 साल की सजा और तीन लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. योगी सरकार ने गोवध पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के इरादे ये कानून बनाया है. लेकिन देश के कई और राज्य हैं, जहां गोवध को लेकर कड़े कानून हैं, वहीं कई ऐसे भी राज्य हैं, जहां गोवंश की हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है. और ये सब कानून बने हैं संविधान के अनुच्छेद 48 के तहत.


भारत के संविधान का अनुच्छेद 48 कहता है कि राज्य, कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से बेहतर करने की कोशिश करेगा. राज्य खास तौर पर गायों, बछड़ों और दूसरे दुधारु पशुओं के सुधार के लिए उनकी हत्या को रोकने के लिए कानून बनाएगा. लेकिन इस अनुच्छेद में किसी भी राज्य के लिए इस कानून को बनाने की बाध्यता नहीं रखी गई थी. इस संविधान के अनुच्छेद का पालन करते हुए कुछ राज्यों में तो गोवंश प्रतिबंधित है, लेकिन कुछ राज्यों में गोवंश की हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है. पूरे देश में कुल 11 ऐसे राज्य हैं, जहां गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, वहीं 10 ऐसे राज्य हैं, जहां कोई प्रतिबंध नहीं है. वहीं 8 ऐसे राज्य हैं, जहां पर गोवंश की हत्या पर आंशिक प्रतिबंध है. केंद्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक अलग-अलग राज्यों ने अपने यहां अलग-अलग कानून बनाए हैं.


1. उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में गोवंश की हत्या पर 10 साल की सजा और पांच लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. गोवंश के अंग-भंग पर 7 साल की सजा और तीन लाख रुपये तक के जुर्माने का कानून है. अगर कोई दोबारा इस मामले में दोषी पाया जाता है, तो उसपर गैंगस्टर लगेगा और सजा दोगुनी हो जाएगी.


2. बिहार
बिहार में गोवंश की हत्या पर प्रतिबंध है. लेकिन अगर गोवंश की उम्र 15 साल या उससे अधिक है या फिर उस जानवर को कोई बीमारी है, तो उसे काटा जा सकता है. हालांकि इसके लिए अथॉरिटी से इजाजत लेनी होती है. अगर कोई कानून का उल्लंघन करता है तो उसे छह महीने की सजा और एक हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है.


3. गुजरात
द बॉम्बे एनिमल प्रिजर्वेशन ऐक्ट, 1954 के मुताबिक गुजरात में गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. अगर कोई इन कानूनों का उल्लंघन करता है तो उसे 6 महीने की जेल या फिर एक हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों भुगतना पड़ सकता है.


4. राजस्थान
राजस्थान में भी गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. इस कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिक से अधिक दो साल की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा 10,000 रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है.


5. हरियाणा/हिमाचल प्रदेश/पंजाब
हरियाणा में गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. इस कानून का उल्लंघन करने पर हरियाणा में पांच साल की सजा और 5 हजार का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान किया गया है.ठीक यही कानून हिमाचल प्रदेश और पंजाब में भी लागू है.


6. आंध्र प्रदेश/तेलंगाना
आंध्र प्रदेश में द आंध्र प्रदेश प्रॉहिबिशन ऑफ काउ स्लॉटर एंड एनिमल प्रिजर्वेशन ऐक्ट 1977 के मुताबिक गाय की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, लेकिन गोवंश जैसे बैल या बछड़े के काटने पर सख्त प्रतिबंध नहीं है. अगर अथॉरिटी सर्टिफिकेट दे दे कि जानवर अब आर्थिक तौर पर या फिर प्रजनन के लिए उपयोगी नहीं है, तो उसे बूचड़खाने में काटा जा सकता है. कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए 6 महीने की सजा और 1 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. तेलंगाना में भी आंध्र प्रदेश की तरह ही कानून है.


7. दिल्ली
दिल्ली में भी गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर पांच साल की सजा और 10,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. सजा कम से कम छह महीने की होगी और जुर्माना भी 1,000 रुपये से कम का नहीं हो सकता है.


8. गोवा/ दमन और दीऊ
द गोवा एनिमल प्रिवेंशन ऐक्ट 1955 के मुताबिक गोवा में भी गाय की हत्या पर प्रतिबंध है. लेकिन अगर गाय को दर्द है, उसे कोई संक्रामक बीमारी है या फिर मेडिकल रिसर्च के लिए उसकी ज़रूरत है, तो उसे मारा जा सकता है. लेकिन उसके मांस को बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. कानून का उल्लंघन करने पर दो साल की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों ही हो सकता है. हालांकि गोवंश के और जानवर जैसे कि बैल, सांड या फिर बछड़े को अगर अथॉरिटी मारने योग्य करार दे देती है, तो उसे मारा जा सकता है. ठीक ऐसा ही कानून दमन और दीऊ में भी है.


9.जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर में भी गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर 10 साल की सजा हो सकती है. उस गोवंश की कीमत का पांच गुना जुर्माना भी लगाया जा सकता है.


10. कर्नाटक
कर्नाटक में गाय और बछिया की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. हालांकि 12 साल से ज्यादा उम्र के बैल और सांढ़ को अगर अथॉरिटी बूचड़खाने के योग्य मानती है, तो उन्हें काटा जा सकता है. कानून का उल्लंघन करने पर 6 महीने की सजा या 1,000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है.


11. मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. लेकिन अगर बैल या सांढ़ की उम्र 15 साल से ज्यादा है और वो न तो खेती के योग्य है और न ही प्रजजन के, तो उसे मारा जा सकता है. कानून का उल्लंघन करने पर 3 साल की सजा और 5,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है.


12. महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में गाय की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. हालांकि अगर अथॉरिटी सर्टिफिकेट दे दे तो सांढ़, बैल और भैंस को मारा जा सकता है, लेकिन उसी स्थिति में जब ये न तो आर्थिक तौर पर किसान की मदद कर पा रहे हों, न प्रजनन कर पा रहे हों और न ही दूध दे रहे हों. कानून का उल्लंघन करने पर 6 महीने की सजा और 1000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.


13.ओडिशा
ओडिशा में भी गाय की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. हालांकि 14 साल से ज्यादा उम्र के सांढ़ और बैल को अथॉरिटी से सर्टिफिकेट मिलने के बाद मारा जा सकता है. कानून का उल्लंघन करने पर अधिकतम दो साल की सजा और 1000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.


14. पुडुचेरी
पुडुचेरी में भी गाय की हत्या पर पूरी तरह से रोक है. यहां भी 15 साल से ज्यादा उम्र के बैल और सांढ़ को सर्टिफिकेट मिलने के बाद मारा जा सकता है. लेकिन बीफ के बेचने या कहीं ले जाने पर पूरी तरह से रोक है. कानून का उल्लंघन करने पर 2 साल की सजा और 1,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है.


15.तमिलनाडु
तमिलनाडु में गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर तीन साल की सजा और 1000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है.


16. झारखंड
झारखंड में भी गोवंश की हत्या से लेकर गोवंश के मांस को कहीं लाने- ले जाने तक पर प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिक से अधिक 10 साल की सजा हो सकती है.


17. छत्तीसगढ़
द छत्तीसगढ़ एग्रीकल्चरल कैटल प्रिवेंशन ऐक्ट 2004 के मुताबिक यहां पर गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर सात साल की सजा या फिर 50,000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.


18. उत्तराखंड
द उत्तराखंड प्रोटेक्शन ऑफ काउ प्रोगेनी ऐक्ट 2007 के मुताबिक गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम 3 साल और अधिक से अधिक 10 साल की सजा हो सकती है. साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी हो सकता है.


ये वो राज्य हैं, जिनमें या तो पूरी तरह या फिर आंशिक तौर पर गोवंश की हत्या को लेकर प्रतिबंध लगाए गए हैं. लेकिन कई राज्य ऐसे भी हैं, जहां पर गोवंश की हत्या को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है. उदाहरण के लिए असम, बंगाल, केरल, लक्षद्वीप, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में गोवंश की हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है और उनका मांस भी खुले बाजार में मिल जाता है. असम में 14 साल से ज्यादा उम्र के किसी भी जानवर को मारा जा सकता है. बंगाल में भी 14 साल से ज्यादा उम्र के किसी जानवर के मारे जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. केरल में राज्य के स्तर पर गोवंश की हत्या को लेकर कोई कानून नहीं है. हालांकि पंचायत स्तर पर ऐसा कानून है जो उपयोगी गोवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगाता है. केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में भी गोवंश की हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है.


वहीं पूर्वोत्तर के और राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में गोवंश की हत्या को लेकर कोई कानून नहीं है. वहीं मणिपुर में गोवंश की हत्या पर आंशिक तौर पर प्रतिबंध है. मणिपुर में कानून कहता है कि अगर कोई गाय को मारता हुआ दिख जाता है तो उसे सजा हो सकती है. हालांकि मणिपुर में भी गोवंश का मांस खुले तौर पर बिकता है.