एक्सप्लोरर

सुप्रीम कोर्ट ने बिना फेरे, मंत्रोच्चारण वाली शादियों की वैधता पर क्या कहा?

'आत्मसम्मान' विवाह क्या हैं और उनके पीछे का तर्क क्या है. चलिए आज इस आर्टिकल में समझते हैं और जानते हैं कब हुई थी आत्मसम्मान विवाह की शुरुआत.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आत्मसम्मान विवाह पर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि जीवन साथी को चुनना मौलिक अधिकार है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7 (ए) के तहत 'आत्मसम्मान' विवाह या 'सुयमरियाथाई' को सार्वजनिक समारोह या घोषणा की आवश्यकता नहीं है.

इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के 2014 के फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अधिवक्ताओं द्वारा कराई गई शादियां वैध नहीं हैं और ‘सुयमरियाथाई’ या ‘आत्म-सम्मान’ विवाह को संपन्न नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में लाया गया नियम
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को आत्मसम्मान विवाह पर फैसला सुनाया है. जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, तमिलनाडु में संशोधित हिंदू विवाह कानून के तहत वकील परस्पर सहमति से दो वयस्कों के बीच 'सुयमरियाथाई' (आत्मसम्मान) विवाह संपन्न करा सकते हैं.

इस मामले में जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. इसके साथ ही पीठ ने याचिका मंजूर कर ली, लेकिन इस याचिका में ये भी कहा गया कि वकील अदालत के अधिकारियों के रूप में पेशेवर क्षमता में काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से दंपती को जानने के आधार पर वो कानून की धारा-7(ए) के तहत विवाह करा सकते हैं.

क्या है आत्मसम्मान विवाह का मकसद
तमिलनाडु सरकार ने 1968 में, सुयमरियाथाई विवाह को वैध बनाने के लिए कानून के प्रावधानों में संशोधन किया था. इसका मकसद किसी भी शादी की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए ब्राह्मण पुजारियों, पवित्र अग्नि और सप्तपदी (सात चरण) की अनिवार्यता को खत्म करना था.  

क्या है आत्मसम्मान विवाह?
1968 में हिंदू विवाह  (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 1967 पारित किया गया. जिसमें धारा 7A के तहत हिंदू विवाह अधिनियम 1955 को संशोधित किया गया था.

ये विशेष प्रावधान उन दो लोगों को बिना किसी रीति-रिवाज का पालन करते हुए उन दो लोगों को शादी करने की अनुमति देता है, जिनकी उम्र कानूनी रूप से शादी के लायक हैं.

हालांकि ऐसी शादियों को कानूनी रूप से पंजीकृत करना भी जरूरी है. ऐसी शादियां आमतौर पर रिश्तेदारों, दोस्तों या अन्य लोगों की मौजूदगी में की जा सकती हैं.

आत्मसम्मान विवाह में पुजारी, अग्नी या किसी भी शादी के रीतियों का पालन करने की जरुरत नहीं होती. दो लोगों द्वारा अपने जानने वालों की मौजूदगी में एक-दूसरे को पति-पत्नी मान लेना भी इस विवाह को स्वीकृत करता है.

कहां से आया था आत्मसम्मान विवाह का विचार?
तमिल समाज सुधारक पेरियार ने 1925 में आत्मसम्मान आंदोलन का नेतृत्व किया था. जिसका मकसद जात-पात के भेदभाव को दूर करना और समाज में जिन जातियों को नीचा दिखाया जाता है उन्हें समाज में एक समान अधिकार दिलाना था. आत्मसम्मान विवाह को आत्मसम्मान आंदोलन के एक बड़े हिस्से के रूप में तैयार किया गया था.

पहला स्वाभिमान विवाह 1928 में हुआ था. जिसे खुद पेरियार ने संपन्न कराया था. जिसमें दो जातियों के भेदभावों को दूर कर, दो लोगों के एक-दूसरे के साथ जीने की आजादी की मांग भी थी. ये शादियां किसी भी जाति में की जा सकती हैं.

हाई कोर्ट की कार्रवाई से फिर सामने आया मामला
मई 2023 में मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु राज्य बार काउंसिल के उन वकीलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया था जो अपने कार्यालयों या ट्रेड यूनियन कार्यालयों में गुप्त शादियां करवा रहे थे और साथ ही विवाह प्रमाण पत्र भी जारी कर रहे थे.

हाईकोर्ट के मदुरै पीठ के जज एम. धंदापानी और न्यायमूर्ति आर. विजयकुमार की पीठ ने कहा कि आत्म-सम्मान विवाह सहित सभी विवाहों को तमिलनाडु विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2009 के तहत पंजीकृत किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए पार्टियों को अदालत में उपस्थित भी होना होगा.

उच्च न्यायालय ने एस बालाकृष्णन पांडियन मामले में अपने 2014 के फैसले को सही ठहराया, जिसमें कहा गया था कि वकीलों के कार्यालयों और बार एसोसिएशन के कमरों में गोपनीयता से की गई शादी कानून के तहत वैध शादी नहीं हो सकतीं.

एक अन्य कानून भी धर्म निरपेक्ष विवाह को देता है मंजूरी
'आत्मसम्मान विवाह' के अलावा एक अन्य कानून भी धर्म निरपेक्ष विवाह को नियंत्रित करता है. वो है विशेष विवाह अधिनियम. 1872 में ब्रिटिश सरकार द्वारा अंतर-धार्मिक विवाह की अनुमति देने के लिए कानून बनाया गया था, जहां किसी भी पक्ष को अपने संबंधित धर्म को त्यागना नहीं पड़ता था.

इस अधियनियम के तहत उचित नियमों का पालन करने के बाद दो लोग धर्म निरपेक्ष विवाह में बंध सकते हैं. इस अधिनियम को 1954 में संसद द्वारा तलाक और अन्य मामलों के प्रावधानों के साथ फिर से पारित किया गया.

यह अधिनियम पूरे भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध सहित सभी धर्मों के लोगों पर लागू होता है. इस तरह के विवाह करने की इच्छा रखने वालें लोगों को उस जिले के विवाह अधिकारी को लिखित रूप में एक नोटिस देना जरूरी है, जिसमें नोटिस से ठीक पहले कम से कम एक पक्ष उस जिले में कम से कम 30 दिनों तक रहा हो.

शादी होने से पहले, शादी करने वाले दोनों लोगों को और तीन गवाहों को विवाह अधिकारी के सामने एक घोषणा पत्र साइन करना होता है, जिसके बाद शादी करने वाले लोगों को शादी का प्रमाण पत्र दिया जाता है.

इस कानून के तहत सबसे अधिक आलोचना प्रावधानों में से एक धारा 7 है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति नोटिस दिए जाने की तारीख से तीस दिन पहले इस तरह की शादी पर इस आधार पर आपत्ति कर सकता है कि ये अधिनियम की धारा 4 की शर्तों का उल्लंघन होगा.

ऐसे मामलों में यदि कोई आपत्ति की गई है तो संबंधित विवाह अधिकारी तब तक विवाह नहीं करा सकता, जब तक कि मामले की जांच न हो जाए और वो संतुष्ट न हो जाए कि ये आपत्ति विवाह के खिलाफ नहीं है.

या जब तक वो व्यक्ति अपनी आपत्ति वापस नहीं ले लेता. इस प्रावधान का उपयोग अक्सर इस तरह की शादियों में परेशानी खड़ी करने के लिए किया जाता है.

 

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुनाई खरी-खरी
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुनाई खरी-खरी
कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी पर की विवादित टिप्पणी, गोडसे की तारीफ की
कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी पर की विवादित टिप्पणी, गोडसे की तारीफ की
लापता हुए सुनील पाल का पुलिस ने खोजा पता, जानें कहां गायब हो गए थे कॉमडियन
लापता हुए सुनील पाल का पुलिस ने खोजा पता, जानें कहां गायब हो गए थे कॉमडियन
IND vs AUS: 'विराट कोहली से डर लगता है...', दूसरे टेस्ट से पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने टेके घुटने! दिग्गज ने अपने बयान से चौंकाया
'विराट कोहली से डर लगता है', दूसरे टेस्ट से पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने टेके घुटने! दिग्गज ने अपने बयान से चौंकाया
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Bangladesh priest arrested: Chinmay Das के वकीलों पर हमले का दावा, जमानत की सुनवाई में नहीं हुए शामिल | Janhitकभी थे सूबे के सरकार, सुखबीर सिंह बादल अब बने पहरेदार! | Bharat Ki BaatBharat Ki Baat: Eknath Shinde की भूमिका पर इतना सस्पेंस क्यों? | Mahayuti | BJP | Maharashtra New CMSandeep Chaudhary: EVM से तौबा-तौबा...तो ही चुनाव निष्पक्ष होगा? | Maharashtra | ABP News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुनाई खरी-खरी
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुनाई खरी-खरी
कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी पर की विवादित टिप्पणी, गोडसे की तारीफ की
कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी पर की विवादित टिप्पणी, गोडसे की तारीफ की
लापता हुए सुनील पाल का पुलिस ने खोजा पता, जानें कहां गायब हो गए थे कॉमडियन
लापता हुए सुनील पाल का पुलिस ने खोजा पता, जानें कहां गायब हो गए थे कॉमडियन
IND vs AUS: 'विराट कोहली से डर लगता है...', दूसरे टेस्ट से पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने टेके घुटने! दिग्गज ने अपने बयान से चौंकाया
'विराट कोहली से डर लगता है', दूसरे टेस्ट से पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने टेके घुटने! दिग्गज ने अपने बयान से चौंकाया
बाबा रामदेव ने पिया गधी का दूध, जानें इसकी कीमत और क्या हैं फायदे
बाबा रामदेव ने पिया गधी का दूध, जानें इसकी कीमत और क्या हैं फायदे
महाराष्ट्र चुनाव को लेकर चुनाव आयोग से मिले कांग्रेस नेता, मांगे वोटर लिस्ट के आंकड़े! ECI ने दिया ये जवाब
महाराष्ट्र चुनाव को लेकर चुनाव आयोग से मिले कांग्रेस नेता, मांगे वोटर लिस्ट के आंकड़े! ECI ने दिया ये जवाब
खाते में नहीं पहुंची महतारी वंदन योजना की किस्त? तुरंत करें ये काम
खाते में नहीं पहुंची महतारी वंदन योजना की किस्त? तुरंत करें ये काम
संभल हिंसा: तलाशी में मिले पाकिस्तान और अमेरिका में बने कारतूस के खोखे, फॉरेंसिक टीम ने खंगाली नालियां
संभल हिंसा: पाकिस्तान और अमेरिका में बने कारतूस के खोखे, फॉरेंसिक टीम ने खंगाली नालियां
Embed widget