क्या है भारतीय सेना का कर्ण कवच सिस्टम? जिससे तैयार होंगे फ्यूचर सोल्जर...
भारतीय सेना दिन-ब-दिन आधुनिक होती जा रही है. सेना ने अपने भविष्य के सैनिकों के लिए कर्ण कवच सिस्टम बनाया है. यहां जानिए इस हर छोटी बड़ी बात.
Karna Kavach System: डिफेंस एक्सपो 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने भारतीय सेना के कर्ण कवच सिस्टम (Karna Kavach System) को रिव्यू किया. यह वही कर्ण कवच सिस्टम है जिससे भारत के फ्यूचर सोल्जर तैयार किए जाएंगे. इसे भविष्य के सैनिकों की सुरक्षा ढाल माना जा रहा है.
भारतीय सेना के लिए यह अपग्रेड बहुत अहमियत रखता है. इसकी सबसे खास बात यह होगी कि रात में, अंधेरे में और धुंध में इससे साफ देखा जा सकेगा. कर्ण कवच सिस्टम में हमला करने के लिए घातल हथियार हैं. कर्ण कवच सिस्टम की एक खूबी यह भी कि असॉल्ट राइफलों में होलोग्राफिक और रिफलेक्स लाइट्स होंगी, जो हेलमेट पर लगी दूरबीन के साथ जुड़ी होगी. इसकी मदद से हमारे जवान 360 डिग्री में कहीं भी देख पाएंगे.
बताया गया कि कर्ण कवच सिस्टम में मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड भी होंगे. यह ग्रेनेड विशेष रूप से स्वदेशी कंपनी से ही लिए जाएंगे. इसी के साथ कम्युनिकेशन के लिए स्विच एमपीआरए कम्युनिकेशन सिस्टम भी होगा. इससे जवान कम दूरी पर एक दूसरी को जरूरी संदेश भेज पाएंगे.
कर्ण कवच सिस्टम में लैस हथियार कौन से हैं?
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है, स्वदेशी असॉल्ट राइफल AK-203 का. यह एक अत्याधुनिक घातक राइफल है. इस इंडो-रसिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड बना रही है. इसका हमला बेहद घातक होता है और इसको चलाना व हैंडल करना काफी आसान भी है. इसका वजन सिर्फ 3.8 किलोग्राम है. इसकी लंबाई की बात करें तो यह 705 मिली लंबी है. इसे उठाना आसाना है और यही कारण कि जवानों को थकान भी कम महसूस होती है.
लिस्ट में अगला नाम सिग-716i ऑटोमैटिक राइफल का है. सिग-सॉर 716आई सेमी ऑटोमैटिक राइफल है. इस राइफल को साल 2020 में दुनिया की दस सर्वश्रेष्ठ राइफलों में रखा गया था. इसमें 7.62x51mm की गोलियां लगती है और इसकी रेंज है 500 मीटर. इसमें 10, 20, 30 राउंड की बॉक्स मैग्जीन लगती है.
IW NG-7 GPMG एक हल्की मशीन गन है. इसे इजरायल ने बनाया है. इस मशीन गन में ड्रम मैग्जीन लगती है. इसकी खास बात यह कि ये एक मिनट में 700 गोलियां दागती है. इसकी रेंज 1200 मीटर के करीब है. इसमें 100-125 राउंड की बेल्ट भी लगाई जा सकती है. इस पर पिकैटिनी रेल लगी है यानी किसी तरह से माउंट लगाया जा सकता है.
MKU UCH बुलेटप्रूफ हेमलेट
यह हेलमेट जवानों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करेगा. इसका वजन सिर्फ 1 से 1.5 किलो है. खास बात है कि यह .45 कैलिबर की गोलियां, 357 सिग एफएमजे एफएन, 44 मैग्नम, 9 मिमी एफएमजे जैसी पिस्टल और राइफलों की गोलियों को आराम से सहन कर सकता है.
SMPP BRJ बुलेटप्रूफ जैकेट
कर्ण कवच सिस्टम में इस बुलेटप्रूफ जैकेट का एक अहम रोल होगा. इस बुलेटप्रूफ जैकेट का वजन 9 किलो है. इस जैकेट से सैनिक काफी हद तक गोलियों से बच पाएगा. यह सैनिक के साइड के हिस्से को भी सुरक्षित रखेंगी. इसके सामने और पीछे के हिस्से में हार्ड आर्मर पैनल लगा है, जिसकी वजह से इस पर असॉल्ट राइफल्स का ना के बराबर होगा.
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