WhatsApp And OTT Platform: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ओटीटी की मनमानी पर नकेल कसने के लिए सरकार ने नया कदम उठाने का फैसला लिया है. अब जल्द ही सरकार नया टेलीकॉम ड्रॉफ्ट बिल (New Telecom Bill) लेकर आ रही है, जोकि टेलीकॉम कानून इंडस्ट्री को दोबारा खड़ा करने और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप देगा. हालांकि, इन सबके बीच अब लोगों के मन में इसे लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. क्योंकि इसका सीधा असर मोबाइल और इंटरनेट उपभोक्ताओ पर पड़ने वाला है.
सबसे पहले आपका यह जानना जरूरी है कि आखिर टेलीकम्युनिकेशन बिल 2022 क्यों लाया जा रहा है. इसका क्या उद्देश्य है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है आने वाले समय में कानूनी ढांचे को मजबूत करना. साइबर सिक्योरिटी, राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य खतरों से निपटने की तैयारी करना. साथ ही टेलीकॉम सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले नामों और उनकी परिभाषाओं को नए टेलीकॉम कानून के हिसाब से फिर से तैयार किया जाएगा.
क्या आपको व्हॉट्सऐप कॉलिंग के लिए पैसे देने होंगे ?
नए टेलीकम्युनिकेशन बिल को लेकर खबरें सामने आने के बाद से लोगों के मन में पहला सवाल यही है कि क्या इसके बाद यूजर्स को व्हॉट्सऐप कॉलिंग के लिए पैसा देना होगा. हालांकि, अभी भी आप इसके लिए डेटा कॉस्ट के रूप में पैसा देते हैं. फिलहाल इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि कॉलिंग की सेवा उपलब्ध कराने वाली WhatsApp या दूसरी कंपनी इसके लिए एकस्ट्रा चार्ज या मेंबरशिप लेने के लिए कहे.
क्या यूजर्स को इसकी मदद से मिलेगा पहले से ज्यादा प्रोटेक्शन ?
जी हां, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साफ तौर पर यह कहा है कि नए टेलीकॉम बिल में यूजर्स के प्रोटेक्शन का पूरी तरह ध्यान रखा गया है. इसकी मदद से साइबर क्राइम को रोका जा सकेगा. इसका ज्यादा फोकस लोगों की प्रोटेक्शन पर ही होगा. यहां तक की अनवांटेड कॉल और मैसेज से यूजर्स को परेशान होने से रोकने के लिए एक लीगल फ्रेमवर्क भी तैयार किया गया है.
क्या ओटीटी प्लेटफॉर्म के कंटेंट पर लग सकती है लगाम?
जी हां, इस बिल में दूरसंचार सेवा के हिस्से के रूप में ओटीटी को भी शामिल किया गया है. अब तक तमाम तरह के सोशल मीडिया ऐप और ओटीटी प्लेटफ्रॉम पर मनमाने कंटेंट आसानी से चलाए जा रहे थे, लेकिन अब सरकार ने इसे काबू करने की पूरी तैयारी कर ली है.
क्या यह टेलीकॉम इंडस्ट्री के सामने आ रही परेशानियों पर भी देगा ध्यान ?
दूरसंचार विभाग ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि अगर स्पेक्ट्रम रखने वाली कोई टेलीकम्युनिकेशन यूनिट दिवाला हो जाती है तो आवंटित स्पेक्ट्रम केंद्र के नियंत्रण में वापस आ जाएगी. यह ड्राफ्ट बिल को वित्तीय तनाव, उपभोक्ता हित और प्रतिस्पर्धा बनाए रखने सहित अन्य चीजों के अलावा असाधारण परिस्थितियों में किसी भी लाइसेंसधारी को स्थगित करने, इक्विटी में बदलने, या राहत देने का अधिकार देता है.
सरकार ने क्यों जारी किया टेलीकॉम बिल का कॉन्ट्रैक्ट ?
भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 की मदद से केंद्र का लक्ष्य स्पेक्ट्रम के आवंटन के अलावा दूरसंचार सेवाओं, दूरसंचार नेटवर्क और बुनियादी ढांचे के प्रावधान, विकास, विस्तार और संचालन को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानूनों को संशोधित करना है. सरकार की कोशिश है कि रेग्युलेशन के स्तर पर लगातार सुधार हों. इसमें उपभोक्ताओं के हितों को भी ध्यान में रखा गया है.
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