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Explained : दुनिया के दूसरे देशों से कैसे अलग रहा है भारत का लॉकडाउन?

ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च बताती है कि भारत का लॉकडाउन दुनिया के दूसरे देशों के लॉकडाउन की तुलना में ज्यादा सख्त रहा है.

लॉकडाउन की वजह से कुछ देशों में तो कोरोना के संक्रमण को रोकने में काफी हद तक कामयाबी मिली, लेकिन कुछ देशों में लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण फैलता गया. अमेरिका में मरने वालों का आंकड़ा 70 हजार को पार कर गया तो भारत जैसे देश में भी ये आंकड़ा 1800 को पार कर गया है. ये सब लॉकडाउन के बावजूद हुआ है. इसलिए इस बात को समझने की कोशिश करते हैं कि कौन से देश ने लॉकडाउन को किस तरह से लागू किया है और अपना देश उन देशों से कैसे अलग है.

इस बात को समझने के लिए ही ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने स्ट्रीजेंसी इंडेक्स या फिर कहें कि लॉकडाउन की सख्ती का इंडेक्स बनाया है. ऑक्सफोर्ड यूनवर्सिटी की 100 लोगों की एक टीम सरकार के 17 अलग-अलग मानकों पर कोरोना के अपडेट्स को लेकर काम कर रही है. इन मानकों में स्कूलों की बंदी से लेकर ऑफिस और इंडस्ट्री की बंदी तक शामिल हैं. इसके अलावा पब्लिक इवेंट्स को कैंसल करना, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को रोकना और लोगों को घरों में रहने के लिए मज़बूर करने जैसे कदम भी इन्डेक्स में शामिल किए गए हैं. इन सारे इंडेक्स में 0 से 100 अंक अलग-अलग देशों को दिए गए हैं.

उदाहरण के लिए अगर किसी देश में पब्लिक इवेंट नहीं रुक पाए हैं तो उसे उस इंडेक्स में 0 नंबर दिए गए हैं, जबकि अगर किसी देश में लॉकडाउन के दौरान एक भी पब्लिक इवेंट नहीं हुए हैं, तो उसे 100 नंबर दिए गए हैं. स्कूल, ट्रांसपोर्ट, ऑफिस बंदी, इंडस्ट्री की बंदी से लेकर लोगों को घरों में रखने और कोरोना संक्रमितों के क्वॉरंटीन में रखने तक के तरीके को इसी तरह नंबर के आधार पर रखा गया है. ज्यादा नंबर का मतलब है कि उस क्षेत्र में ज्यादा सख्ती हुई है.

इन नंबरों के आधार पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की टीम ने एक मोटा माटी एक खाका खींचने की कोशिश की है और ये बताने की कोशिश की है कि लॉकडाउन में हुई सख्ती का किसी देश में कोरोना से हो रही मौतों का संबंध क्या है. अब जैसे इटली, स्पेन या फ्रांस को लीजिए. इन देशों ने जैसे ही लॉकडाउन में सख्ती बढ़ाई, मौतें बढ़ गईं. वहीं चीन ने लॉकडाउन में ढील दी, तो मौतों का आंकड़ा स्थिर होने लगा. ब्रिटेन हो, अमेरिका हो या फिर अपना देश भारत हो, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च बताती है कि सख्ती होने के बाद भी इन देशों में मौतों का ग्राफ सपाट नहीं हुआ, बल्कि बढ़ता ही रहा. ऑक्सफोर्ड की टीम ने इस आंकड़े को हासिल करने के लिए फ्रांस, इटली, ईरान, जर्मनी, ब्रिटेन, नीदरलैंड्स, स्वीडन, मेक्सिको, कनाडा, बेल्जियम, आयरलैंड, अमेरिका, तुर्की, इज़रायल, चीन, भारत और स्वीट्जरलैंड के आंकड़ों और यहां पर लॉकडाउन के दौरान हुई सख्ती का अध्ययन किया था.

रही बात भारत की तो इन देशों के मुकाबले भारत ने अपने यहां बहुत पहले ही लॉकडाउन में सख्ती शुरू कर दी थी. जब इन 18 देशों में 500 से ज्यादा केस हुए, तो इन्होंने सख्ती शुरू की, जबकि भारत में जब 320 केस ही थे, सख्ती शुरू हो गई थी. इन देशों में स्वीटजरलैंड को छोड़ दें तो और देशों में जब मौतों का आंकड़ा 100 को पार कर गया, तब सख्ती शुरू हुई, जबकि भारत में 22 मार्च को ही जनता कर्फ्यू के दौरान सख्ती हो गई थी और उस दिन तक भारत में सिर्फ चार लोगों की ही मौत हुई थी.

स्पेन में तो सख्ती तब शुरू हुई जब यहां मौतों और केस का आंकड़ा दूसरे देशों के मुकाबले बढ़ गया. इन सभी देशों में स्वीडन वो देश रहा है, जहां पर सबसे कम सख्ती हुई है. सबसे कम सख्ती के मामले में ईरान दूसरे नंबर पर है. इस मामले में भारत ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, ताइवान और दक्षिण कोरिया से नीचे है, क्योंकि भारत में कोरोना के केस नियंत्रित नहीं हो पाए हैं. वहीं आइलैंड, हॉन्ग-कॉन्ग, क्रोएशिया और त्रिनिदाद-टोबैगो सबसे ऊपर हैं.

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