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सारस से फिर सुर्खियों में आया 'वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम', पशु-पक्षी पालने का है शौक, तो नियम पर करें गौर

भारत में बेजुबान जानवरों पर होने वाले किसी भी तरह के अत्याचार को रोकने के लिए भारत सरकार ने साल 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था.

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक सारस पक्षी और उसे पालने वाले शख्स का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में पक्षी और इंसान की दोस्ती लोगों को भी काफी पसंद आ रही है. लेकिन अब ये दोस्ती टूट गई है और वन विभाग की टीम ने सारस को समसपुर पक्षी विहार में शिफ्ट कर दिया.

हमारे देश में पशु और पक्षियों को पालने के भी बहुत सारे नियम हैं. कुछ जानवर खास तौर पर संरक्षित होते हैं और उन्हें पालने से पहले हमें कई नियमों से गुजरना पड़ता है. सारस भी उन्ही संरक्षित पक्षियों में एक है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जंगली जानवरों को पालने या बांधने से पहले किन कानूनों के बारे में जानना जरूरी है? आज हम ऐसे ही जानवरों और उनकी रक्षा के लिए बने कुछ कानून के बारे में आपको बताएंगे 

संविधान में जानवरों की जीने की आजादी 

भारतीय का संविधान देश के हर नागरिकों की तरह ही जानवरों को भी जीवन जीने की आजादी देता है. अगर कोई व्यक्ति जानवरों को मारने या प्रताड़ित करने की कोशिश करता है तो इसके लिए संविधान में कई तरह के दंड के प्रावधान हैं. इसके अलावा हमारे देश में कई जानवर ऐसे भी हैं जिसे मारने या प्रताड़ना पहुंचाने पर आपको जेल भी हो सकती है.  

पहले समझते हैं कि आखिर क्या है सारस पक्षी का मामला 

उत्तर प्रदेश की अमेठी के मंडखा गांव में रहने वाले आरिफ को उसकी ही खेत में लगभग एक साल पहले एक घायल सारस मिला था. जब आरीफ ने उस सारस को देखा तब उसके पैर में चोट लगी थी. घायल होने के कारण उसने उसे अपने घर ले जाकर सारस का इलाज किया. अब आरिफ काफी समय सारस के साथ गुजारता था उसे घर का बना खाना जैसे- दाल-चावल, सब्जी रोटी खिलाता था. इस तरह इन दोनों के बीच दोस्ती हुई और समय के साथ ये दोस्ती और भी गहरी होती चली गई.  

सारस के ठीक हो जाने के बाद आरिफ और उनके परिवार वालों को लगा था कि वह पक्षी खुद ही उड़ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आरिफ के अनुसार वह पक्षी दिन में उड़कर जंगल और खेतों में चला जाता था, लेकिन शाम होने पर वापस उनके घर आ जाता था. धीरे धीरे आरिफ का परिवार ही सारस का परिवार बन गया. जहां- जहां आरिफ जाते सारस उनके साथ साथ जाता है. वह उनके साथ ही भोजन करता. सारस आरिफ का दोस्त बन गया था.

इस दौरान आरिफ अपने यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर पर सारस के साथ अपनी कुछ वीडियो पोस्ट किया करते थे. इसमें से कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ. 

वीडियो वायरल के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आरिफ और उनके सारस से मिलने अमेठी पहुंचे. उन्होंने बी सोशल मीडिया पर सारस के साथ कुछ तस्वीरें पोस्ट की. जिसके बाद बीते 21 मार्च को वन विभाग ने आरिफ से सारस को अलग कर दिया और समसपुर पक्षी विहार ले गए. विन विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि आरिफ उसकी अच्छे से देखभाल नहीं कर पाएंगे इसलिए सारस को अपने साथ ले जा रहे हैं. 

हालांकि आरिफ की मुश्किले अभी और बढ़ सकती है क्योंकि उत्तर प्रदेश प्रभागीय वन अधिकारी गौरीगंज ने आरिफ को नोटिस जारी किया है. जिसके अनुसार आरिफ को दो अप्रैल को प्रभागीय वन अधिकारी कार्यालय में पहुंचकर बयान दर्ज कराना होगा.  भेजे गए नोटिस में उन पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 2,9, 29,51 और 52 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया  गया है. 

सारस को आरिफ से जुदा करने पर भड़के अखिलेश यादव

सारस को समसपुर पक्षी विहार ले जाने के बाद अखिलेश यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मैं जिससे भी मिलने जाता हूं सरकार उससे सब कुछ छीन लेती है.’ उन्होंने सारस के अलावा आज़म खान और कानपुर के सपा विधायक इरफान सोलंकी का भी उदाहरण दिया. 

अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, 'सरकार अगर आरिफ से सारस छीन सकती है, तो उनसे भी मोर छीन लेना चाहिए जो मोर को दाना खिला रहे थे. लेकिन सरकार के पास वहां पहुंच जाने की. किसी अधिकारी की हिम्मत है कि वहां जाए और मोर को ले आए वहां से? यह सिर्फ़ इसलिए किया सरकार ने क्योंकि सारस से और सारस को पालने वाले आरिफ़ से मैं मिल कर आ गया."

अखिलेश यादव ने आरिफ़ के बारे में कहा, "उन्होंने सारस के साथ दोस्ती दिखाई और उसकी सेवा की जिससे ये इनका मित्र बन गया. ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कोई सारस किसी इंसान के साथ रहे और उसका व्यवहार बदल जाए. यह तो शोध का विषय है कि सारस इनके पास कैसे रुक गया."

प्रियंका गांधी ने भी दिया आरिफ का साथ 

अखिलेश के अलावा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी वन विभाग की कार्रवाई के खिलाफ और आरिफ के पक्ष में फ़ेसबुक पोस्ट किया है. प्रियंका कहती हैं, "अमेठी के रहने वाले आरिफ़ और एक सारस पक्षी की दोस्ती, जय-वीरू की तरह थी. साथ-साथ रहना, साथ खाना, साथ आना-जाना. उनकी दोस्ती इंसान की जीवों से दोस्ती की मिसाल है. आरिफ़ ने उनके प्रिय सारस को घर के सदस्य की तरह पाला, उसकी देखभाल की, उससे प्यार किया. ऐसा करके उन्होंने पशु-पक्षियों के प्रति इंसानी फ़र्ज़ की नज़ीर पेश की है जो कि काबिल-ए-तारीफ़ है."

वन्य जीव संरक्षण कानून क्या है ?

भारत में बेजुबान जानवरों पर होने वाले किसी भी तरह के अत्याचार को रोकने के लिए भारत सरकार ने साल 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था. इस कानून को लाने का मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था. साल 2003 में इस कानून में संशोधन किया गया जिसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रख दिया गया. इसमें दंड और और जुर्माना को और भी कठोर कर दिया गया है. 

जानवरों की रक्षा के लिए कानून 

1. प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960की धारा 11(1) के अनुसार भारत में किसी भी पालतू जानवर की मौत उसे छोड़ने, प्रताड़ित करने, भूखा प्यासा रखने के होती है तो आपके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है. ऐसी परिस्थिति में पालतू जानवर के मालिक पर जुर्माना हो सकता है. और अगर तीन महीने के अंदर दूसरी बार ऐसा ही होता है तो जानवर के मालिक पर जुर्माने के साथ 3 महीने तक की जेल भी हो सकती है.

2. आईपीसी की धारा 428 और 429 के किसी भी जानवर को जहर देकर या किसी और तरीके से जान से मारा गया या उसे कष्ट दिया तो दोषी तो दो साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है.

3. किसी भी जानवर, चाहे वह पालतू ही क्यों न हो उसे लंबे समय तक लोहे की सांकर या किसी भारी रस्सी से बांधकर रखना अपराध की श्रेणी में आता है. इसके अलावा अगर आप अपने पालतू जानवर को घर के बाहर नहीं निकालते तो यह भी कैद माना जाता है. ऐसी परिस्थिति में 3 माह की जेल और जुर्माना हो सकता है. 

4. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 16 (सी) के अनुसार किसी भी जंगली पक्षियों या सरीसृपों को नुकसान पहुंचाना या उनके घोंसलों को नष्ट करना अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसा करने पर व्यक्ति को 3 से 7 साल की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है. 

पशु-पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों को संरक्षण

1. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में 66 धाराएं और 6 अनुसूचियां हैं. इन अनुसूचियों में पशु-पक्षियों की सभी प्रजातियों को संरक्षण प्रदान किया गया है.

2. अनुसूची-1 और 2 के तहत जंगली जानवरों और पक्षियों को सुरक्षा प्रदान की जाती है और इस नियम का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को सजा का प्रावधान दिया जाता है.

3. वहीं अनुसूची 3 और 4 भी जंगली जानवरों और पक्षियों को संरक्षण देते हैं लेकिन जिन जानवरों को रखा गया है उनके साथ किए गए अपराध पर सजा का प्रावधान काफी कम हैं.

4. अनुसूची 5 में उन जानवरों को रखा गया है जिसका शिकार किया जा सकता है. जबकि अनुसूची 6 में शामिल पौधों की खेती और रोपण पर रोक लगाई गई है.

भारत में जानवरों के खिलाफ कितनी बार गंभीर अपराध दर्ज किए जा चुके हैं?

  • हमारे देश में किसी भी जानवर पर पत्थर मारना बिल्कुल आम बात है. क्योंकि उन्हें ये नहीं पता कि ऐसा करना भी अपराध की श्रेणी में आता है.
  • साल 2022 के अप्रैल महीने में महाराष्ट्र के मॉनिटर लिजार्ड में अप्राकृतिक सेक्शुअल एक्टिविटी करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
  • साल 2020 में एक गर्भवती हथिनी की विस्फोटक फल खिला कर मारने का मामला काफी चर्चा में रहा. इस घटना ने देश भर में आक्रोश को भड़का दिया था.लोगों ने इस घटना पर खूब आपत्ति जताई थी. 

रेल की पटरी पर हुई 63 हजार जानवरों की मौत

कैग की रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2017-18 से 2020-21 के बीच 3 एशियाई शेरों और 73 हाथियों के साथ 63,000 से ज्यादा जानवरों की मौत रेलवे पटरियों पर टक्कर खाने से हुई है. 

कैग ने रिपोर्ट ‘परफॉर्मेंस ऑडिट ऑन डिरेलमेंट इन इंडियन रेलवे’ में कहा है कि रेलवे को यह कन्फर्म करना चाहिए कि उन गाइडलाइंस का सख्ती से पालन हो रहा है जिन्हें जानवरों की मौत को रोकने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय एवं रेल मंत्रालय ने जारी किया था. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए दी गई सलाह ही इन आंकड़ों में कमी ला सकती है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार इन 3 सालों में 73 हाथियों और चार शेरों सहित 63,345 जानवर ट्रेन की पटरियों पर आकर मौत के घाट उतर चुके हैं. 

छत्तीसगढ़ में एक साल में 200 वन्य जीव मारे गए 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में साल 2020 में हाथी और भालू के हमले से 137 लोगों की हुई है. जब 281 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं. बीते दस सालों में इस राज्य में कम से कम 204 जंगली हाथी अलग-अलग कारणों से मारे गए. साल 2018 में ही 17 हाथी की मौत हुई, जिसमें 4 नर हाथी हैं. वहीं साल 2018 में 33 भालुओं की मौत हुई है. इसके अलावा एक सफेद शेर और तेन्दुआ की भी मौत प्रदेश के जंगलों में हुई.

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