Corruption Case Against Lalu Prasad Yadav: चारा घोटाला मामले में हाल ही में जमानत पर बाहर आए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव एक बार फिर से मुश्किलों में घिरते दिख रहे हैं. सीबीआई लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती के पटना, गोपालगंज और दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. सीबीआई ने ये छापेमारी भ्रष्टाचार के जुड़े मामले की जांच में की है. बताया जा रहा है कि सीबीआई की ये छापेमारी लालू यादव के बतौर रेल मंत्री रहते नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में की जा रही है. सीबीआई को इस मामले में नए सबूत हाथ लगे हैं जिसके बाद ये कार्रवाई की जा रही है.


सीबीआई को अब तक की जांच के दौरान पता चला है कि मीसा भारती के खासम खास राजेश अग्रवाल के पास साल 2008 में करोड़ों की नकदी आई थी. 27 मई 2008 को 60 लाख और 3 जून 2008 को 21 लाख की नकदी आई. यह नकदी उसने हवाला ऑपरेटर्स को दी. हवाला ऑपरेटर्स ने फर्जी शैल कंपनियों के जरिए पैसा लालू के परिजनों तक पहुंचाया.


पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के घर और अन्य ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी की खबर जैसे ही उनके समर्थकों को लगी, नेताओं और आरजेडी विधायक का उनके घर आना जाना शुरू हो गया. राजद समर्थक अपने नेता के खिलाफ सीबीआई की इस कार्रवाई के विरोध में जमकर नारेबाजी भी कर रहे हैं. वहीं लालू यादव को इस मामले में कानूनी सलाह देने के लिए वकील भी उनके घर पहुंच चुके हैं. राजद समर्थकों को कहना है कि ये एक बहुत पुराना मामला है जिसे लेकर केवल लालू यादव को परेशान किया जा रहा है. लालू समर्थकों का कहना है कि सीबीआई के पास कोई सबूत नहीं है.


किस मामले में कर रही है CBI छापेमारी


लालू यादव साल 2004 से 2009 तक यूपीए सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री रहे थे. उस दौरान उनपर कई प्रकार के घोटालों में शामिल होने का आरोप लगा था. सीबीआई इन मामलों की पहले से जांच कर ही है जिसे लेकर इससे पहले भी कई बार लालू यादव के ठिकानों में छापेमारी की जा चुकी है.  


चारा घोटाले से जुड़े मामले में मिली सजा


सीबीआई की ये कार्रवाई उस वक्त हुई जब लालू यादव चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा ट्रेजरी मामले में जमानत पर बाहर आए हैं. दरअसल, साल 1990 से 1995 के बीच डोरंडा ट्रेजरी से गलत तरीके से 139 करोड़ रुपये निकाले गए थे. इन पैसों को गलत तरीकों से पशुओं और उनके चारे पर खर्च होना बताया गया था. मामले के सामने आने के बाद साल 1996 में सीबीआई ने अलग-अलग कोषागारों के गलत तरीके से पैसे निकालने के आरोप में कुल 66 मुकदमें दर्ज किए थे. इसमें लालू यादव पर भी गलत तरीके से पैसे निकालने का आरोप लगा था. लालू यादव को इनमें से छह मामलों में सीबीआई द्वारा अभियुक्त बनाया गया था. सीबीआई द्वारा दर्ज इन 66 मामलों में डोरंडा कोषागार का मामला सबसे बड़ा था. जिसमें 139 करोड़ रुपये की गलत तरीके से निकासी करने का आरोप है. इसमें सबसे ज्यादा 170 आरोपी शामिल हैं. जिसमेंसे 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है. अदालत ने 27 साल बाद इस साल फरवरी में फैसला सुनाते हुए लालू यादव को दोषी पाया था. कोर्ट ने इस मामले में लालू यादव को 5 साल की सजा सुनाई थी. लालू यादव 7 बार जेल गए


पहली सजा 3 अक्टूबर 2013 को हुई


लालू यादव अभी तक चारा घोटाले में सात बार जेल जा चुके हैं. चाईबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी के मामले में लालू यादव 3 अक्टूबर 2013 को पहली बार सजा मिलने के बाद जेल गए थे. उन्हें इस मामले में कुल पांच साल की सजा सुनाई गई थी. लेकिन वे तीन साल से अधिक समय तक जेल में रहे थे. उनपर 25 लाख रुपये के जुर्माना भी लगाया गया था. इस मामले उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी. 


दूसरी सजा 6 जनवरी 2018 को हुई


सीबीआई कोर्ट ने देवघर ट्रेजरी मामले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी. लालू यादव पर देवघर ट्रेजरी से 89.27 लाख रुपये की अवैध निकासी का आरोप लगा था. 


तीसरी सजा 23 जनवरी 2018 को हुई


चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेजरी मामले में सीबीआई कोर्ट ने लालू यादव को पांच साल की कैद और 10 लाख रुपये जुर्माना लगाया था. उनपर चाईबासा ट्रेजरी से 33.67 करोड़ रुपये कि अवैध निकासी का आरोप लगा था. 


चौथी सजा 15 मार्च 2018 को हुई


सीबीआई अदालत ने दुमका ट्रेजरी से 3.13 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के आरोप में लालू यादव को पीसी एक्ट और आइपीसी एक्ट में दोषी करार दिया था. सीबीआई कोर्ट ने लालू यादव को सात-सात साल की अलग-अलग कैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने लालू यादव पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था. 


पांचवी सजा 21 फरवरी 2022 को हुई


लालू यादव को डोरंडा ट्रेजरी से अवैध निकासी करने के आरोप में सीबीआई के विशेष अदालत ने इसी साल 21 फरवरी को पांच साल की कैद के साथ उनपर 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.


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