Explained : आखिर गुजरात में कोरोना से क्यों हो रहीं इतनी ज्यादा मौतें?
महाराष्ट्र के बाद गुजरात ही ऐसा राज्य है, जहां पर कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं और इसकी वजह चीन का वुहान शहर है.
पूरी दुनिया में तबाही मचा रहे कोरोना को रोकने की हर संभव कोशिश जारी है. छोटे से लेकर बड़े देश तक के वैज्ञानिक और डॉक्टर लगे हुए हैं कि इसका इलाज और इसकी वैक्सीन खोजी जा सके. इस दिशा में कुछ कामयाबी हाथ लगी भी है, लेकिन अभी पूरी कामयाबी मिलने में वक्त है. और जब तक पूरी कामयाबी मिल नहीं जाती, कोरोना अपना कहर बरपाता रहेगा.
इसी कहर का नतीजा है कि अब तक दुनिया भर में 30 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और दो लाख से भी ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. कोरोना की इस पूरी तफ्तीश के दौरान एक बात साफ हुई है कि कोरोना वायरस तीन तरह का है. इनमें से दो वायरस को गंभीर रूप से जानलेवा हैं, जबकि तीसरा थोड़ा कम खतरनाक है. और दो जो खतरनाक हैं, उनमें भी एक सबसे ज्यादा खतरनाक है. इसे वैज्ञानिक एल टाइप स्ट्रेन कह रहे हैं, जबकि दूसरे को एस टाइप स्ट्रेन कहा जा रहा है. एल टाइप स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक है. चीन के वुहान में जो कोरोना का वायरस था, वो एल टाइप स्ट्रेन वाला ही था, जिसकी वजह से वहां ज्यादा तबाही हुई.
अब इसी एल टाइप स्ट्रेन के गुजरात में भी आने की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि गुजरात में मृत्यु की दर लगातार बढ़ती जा रही है. फिलहाल गुजरात कोरोना से हुई मौतों के मामले में महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर है. गुजरात में अभी तक कोरोना के कुल 3071 केस पाए गए हैं, जिनमें से 133 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि एक भी मरीज को ठीक होने के बाद घर नहीं भेजा जा सका है. गुजरात बायोटेक्नॉलजी रिसर्च सेंटर का दावा है कि लैब में कोरोना के डीएनए को डिकोड किया गया है. इसमें पाया गया है कि गुजरात में कोरोना का जो वायरस है, वो कोरोना का सबसे खतरनाक वायरस यानी कि एल टाइप स्ट्रेन है. गुजरात बायोटेक्नॉलजी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर सीजी जोशी का दावा है कि जिस भी देश में मृत्यु की दर ज्यादा है, वहां पर एल टाइप स्ट्रेन वाले वायरस ही मिले हैं और ये वायरस एस टाइप स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक हैं. अपनी रिसर्च के बारे में सीजी जोशी ने दावा किया है कि एक मरीज का सैंपल लेकर कोरोना के जीनोम बनाने के दौरान ये पाया गया है कि उस सैंपल में कोरोना का एल स्ट्रेन है, जो एस स्ट्रेन की तुलना में ज्यादा खतरनाक है.
कोरोना के एल स्ट्रेन और एस स्ट्रेन में फर्क उनके म्यूटेशन यानि कि बदलाव को लेकर है. कोरोना की शुरुआत एल स्ट्रेन से ही हुई है, इसलिए वो ज्यादा खतरनाक है. एल स्ट्रेन की बदलकर एस स्ट्रेन हुआ है, इसलिए वो कम खतरनाक है. गुजरात में इन्फेक्शन वाली बीमारियों के विशेषज्ञ डॉक्टर अतुल पटेल का मानना है कि गुजरात में वायरस दोनों ही तरह के हैं, यानि कि एल स्ट्रेन और एस स्ट्रेन, लेकिन एल स्ट्रेन की संख्या ज्यादा है, इसलिए गुजरात में मृत्यु दर भी ज्यादा है.
इसकी एक और भी वजह है. कोरोना की वजह से सबसे ज्यादा मौतें अमेरिका में हुई हैं और वहां पर भी एल स्ट्रेन है. गुजरात में सबसे ज्यादा लोग अमेरिका से आए. वो अपने साथ एल स्ट्रेन ही लेकर आए और इसलिए मौतों का आंकड़ा बढ़ गया. वहीं अगर केरल से तुलना करें तो केरल में सबसे ज्यादा लोग दुबई से आए थे और दुबई में एस स्ट्रेन था, तो केरल में मौतें भी कम हुईं. हालांकि अगर किसी को पहले से कोई बीमारी हो तो फिर एस स्ट्रेन भी एल स्ट्रेन की ही तरह खतरनाक हो जाता है.
रही बात गुजरात की, तो गुजरात के स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव ने अभी हाल ही में कहा था कि राज्य में अभी तक जो मौतें हुई हैं, उनमें से 90 फीसदी लोगों की उम्र या तो 60 साल से ज्यादा थी या फिर पांच साल से कम थी. इसके अलावा गर्भवती महिलाएं भी थीं. गुजरात में कोरोना की वजह से जो मौतें हुई हैं, उन मरने वालों में पहले से ही दिल की बीमारी, फेफड़े की बीमारी, डायबीटीज और हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं आम थीं. इसलिए अगर कुछ लोगों में एल स्ट्रेन नहीं भी रहा होगा और एस स्ट्रेन भी रहा होगा, तो इन बीमारियों की वजह से एस स्ट्रेन भी उतना ही घातक हो गया होगा और गुजरात में मौतों का आंकड़ा बढ़ गया होगा. हालांकि मौतों का आंकड़ा सिर्फ गुजरात में ही नहीं बढ़ रहा है. महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी स्थितियां खराब हो रही हैं. दिल्ली भी बदहाल है. बिहार में भी हर रोज केस बढ़ ही रहे हैं. और ये केस जैसे-जैसे बढ़ते जा रहे हैं, हालात पहले की तुलना में और भी खराब होते जा रहे हैं.