Explained : होटल और टूरिजम इंडस्ट्री पर ही क्यों पड़ रहा लॉकडाउन का सबसे ज्यादा प्रभाव?
कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन ने सभी उद्योगों की कमर तोड़ दी है. लेकिन होटल और टूरिजम इंडस्ट्री पर इस लॉकडाउन का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है और लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी इस इंडस्ट्री को राहत मिलने की उम्मीद नज़र नहीं आ रही.
कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में मंदी है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. कोरोना के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए पहले 21 दिनों का लॉकडाउन और फिर 19 दिनों के लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को तोड़कर रख दिया है. इसकी वजह से देश के हर सेक्टर को नुकसान पहुंचा है, लेकिन होटल और टूरिजम इंडस्ट्री को इसकी वजह से ऐसा झटका लगा है कि उसे उबरने में कई साल लग जाएंगे. कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के मुताबिक पूरी टूरिजम इंडस्ट्री को कोरोना की वजह से करीब-करीब 1.58 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा.
पूरे भारत में जितने भी लोग काम करने वाले हैं, उनका करीब 12.75 फीसदी हिस्सा होटल और टूरिजम इंडस्ट्री में काम करता है. फाइनेंशियल सर्विसेज और बिजनेस एडवाइडरी फर्म KPMG की ओर से 1 अप्रैल को जारी रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना में हुए लॉकडाउन की वजह से अकेले टूरिजम और होटल इंडस्ट्री की करीब 70 फीसदी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. आंकड़ों में इनकी संख्या करीब 3 करोड़ 80 लाख तक है.
वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिजम काउंसिल के मुताबिक भारत में फिलहाल ट्रेवल और टूरिजम सेक्टर में करीब 90 लाख नौकरियों पर ज्यादा खतरा है. और अगर कोविड 19 की वजह से लॉकडाउन और आगे बढ़ा या फिर ट्रैवल पर किसी तरह की रोक लगी, तो इसकी वजह से राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी बढ़ जाएगी. इसकी वजह ये है कि देश की वर्क फोर्स का करीब 12.75 फीसदी हिस्सा अकेले होटल और टूरिजम इंडस्ट्री में काम करता है. इसमें भी 5.56 फीसदी लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिला है, जबकि 7.19 फीसदी लोग अप्रत्यक्ष तौर पर इस धंधे से जुड़े हैं. पर्यटन मंत्रालय की 2019-20 की रिपोर्ट कहती है कि पर्यटन उद्योग ने 8 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है.
लेकिन कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन में ये इंडस्ट्री पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर है. रेलवे और एयरलाइंस के टिकट कैंसल होने से इंडस्ट्री की हालत और भी खराब हो गई है. फरवरी से लेकर मई के महीने तक इस इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा मुनाफा होता था. लोग घूमने के लिए बाहर जाते थे, लोग बाहर से भारत आते थे, लेकिन अब बंदी की वजह से सब बर्बाद हो गया है. सबसे ज्यादा नुकसान तो कश्मीर का हुआ है, जहां आर्टिकल 370 के हटने के बाद टूरिजम पर लगी रोक ने करीब डेढ़ लाख कश्मीरी परिवारों को प्रभावित किया था और अब वो उससे उबरने की कोशिश कर रहे थे तो कोरोना ने फिर से उनकी कमर तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
पर्यटन के ठप होने से भारत की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हो सकता है, आप इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि देश की कुल जीडीपी में पांच फीसदी से भी अधिक की हिस्सेदारी इस पर्यटन उद्योग की है. इस उद्योग की चिंता ये भी है कि अगर ये लॉकडाउन खत्म होता है और देश फिर से अपनी रफ्तार पकड़ लेता है, तब भी इस इंडस्ट्री को खड़ा होने में औरों की तुलना में ज्यादा वक्त लगेगा. जब तक कोरोना खत्म नहीं हो जाता, लोग इधर-उधर जाने से डरेंगे, यात्रा करने से बचेंगे, बेहद ज़रूरी होने पर ही विदेश यात्राएं करेंगे और घूमने की बजाय भविष्य के लिए पैसे इकट्ठे करने पर जोर देंगे. ये सब पर्यटन उद्योग के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.
और पर्यटन उद्योग से सीधे तौर पर कई और सेक्टर भी जुड़े हुए हैं. जैसे ट्रैवल, होटल और रेस्टोरेंट. अब रेस्टोरेंट के धंधे में ही सीधे तौर पर करीब-करीब 70 लाख लोग जुड़े हुए हैं. अगर लॉकडाउन खत्म भी होता है, तो रेस्टोरेंट को शुरू से शुरू करना होगा. शुरुआत में धंधा मंदा रहेगा तो करीब 15 फीसदी नौकरियों पर असर पड़ना तय माना जा रहा है. इसके अलावा होटलों का भी अच्छा खासा नुकसान हो गया है. पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक लेमन ट्री होटल के एमडी और चेयरमैन पतंजली जी केसवानी का कहना है कि फरवरी के अंत और मार्च की शुरुआत तक देश भर के होटल करीब 65-70 फीसदी तक भरे हुए थे, लेकिन जैसे-जैसे कोरोना भयावह होता गया, होटलों की बुकिंग कैंसल होने लगी. लॉकडाउन के बाद तो स्थिति ऐसी हो गई है कि कई होटल अब बंद होने की कगार पर आ गए हैं. लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी उनके पास इतने पैसे नहीं होंगे कि वो होटल को चला सकेंगे.
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के मुताबिक कोरोना के बाद हुए लॉकडाउन की वजह से बड़े होटल समूहों को करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा. ऑनलाइन ट्रेवल एजेंसियों को करीब 4,312 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. टूर ऑपरेटर्स को करीब 25,000 करोड़, एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स को करीब 19,000 करोड़ और क्रूज टूरिजम को करीब 419 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा.
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इंडस्ट्री को कुल मिलाकर करीब पांच लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है. इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सॉफ्ट लोन दे सकती है और साथ ही पहले के लोन को चुकाने में कुछ रियायतें दे सकती हैं. उदाहरण के लिए रिजर्व बैंक ने लोन चुकाने के लिए तीन महीने की रियायत दी है, लेकिन इतनी बड़ी इंडस्ट्री को खड़ा होने और फिर से लोन चुकाने लायक पैसे कमाने में तीन महीने से ज्यादा का ही वक्त लगेगा. ऐसे में ये इंडस्ट्री सरकार से कुछ और रियायतें मांग रही है. कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के मुताबिक इस इंडस्ट्री के पास नवंबर, 2020 की शुरुआत से पहले कैश फ्लो नहीं आ पाएगा और सबकुछ ठीक रहा तो 2021 की शुरुआत में ये इंडस्ट्री फिर से खड़ी हो पाएगी.
फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) ने कोरोना की वजह से हुए नुकसान से उबरने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से कुछ मांग की है. 3 मई तक बढ़े लॉकडाउन का समर्थन करते हुए FHRAI ने पीएम मोदी को लिखे खत में कहा है कि FHRAI चाहतै है कि सरकार कर्ज, ब्याज और EMI को चुकाने के लिए कम से कम छह से 12 महीने तक का समय दे, 6 महीने तक के लिए सरकार कोई जीएसटी न ले. इसके अलावा लीज, किराया, प्रापर्टी टैक्स और एक्साइज टैक्स को कुछ वक्त के लिए टाल दिया जाए. महामारी के खात्में के बाद सॉफ्ट लोन दिया जाए ताकि होटल और रेस्टोरेंट को दोबारा शुरू किया जा सके. इनमें से सरकार कितनी मांगों पर विचार करेगी और कितनी मांगे मानेगी, ये तो वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल तो ये साफ है कि इस इंडस्ट्री को महामारी के बाद पैदा हुई मंदी से निबटने में अभी लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी.