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Explained : कोरोना के कम केस होने के बाद भी क्यों बड़ा हो सकता है पश्चिम बंगाल में खतरा?

कोरोना के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में हैं. गुजरात दूसरे नंबर पर है. फिर दिल्ली है. इस लिस्ट में पश्चिम बंगाल 10वें नंबर पर है. लेकिन वहां पर रफ्तार दोगुनी होने का औसत राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है और ये आने वाले दिनों के लिए खतरनाक संकेत हो सकता है.

भारत में कोरोना का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र में है. गुजरात दूसरे नंबर पर है. लेकिन फिलहाल देश के लिए नई चिंता वाला जो राज्य है, वो है पश्चिम बंगाल, जहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. यहां चिंता की सबसे बड़ी वजह ये है कि देश में औसतन 100 कोरोना संक्रमितों से कुल 129 लोगों में संक्रमण फैल रहा है, जबकि पश्चिम बंगाल में हर 100 कोरोना संक्रमित 152 लोगों में ये वायरस फैला रहे हैं.

पश्चिम बंगाल में अभी तक कोरोना के कुल 758 मामले सामने आए हैं और 33 लोगों की मौत हुई है. इसके बाद भी बंगाल में स्थितियां खराब होती जा रही हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक देश में कोरोना पीड़ितों की संख्या 11 दिनों में दोगुनी हो रही है, जबकि पश्चिम बंगाल में 7.13 दिन में कोरोना के मरीजों की संख्या दोगुनी हो रही है. साफ है कि देश की तुलना में पश्चिम बंगाल में कोरोना के बढ़ने की रफ्तार ज्यादा है. अगर दूसरे राज्यों से तुलना करें तो गुजरात और आंध्रप्रदेश में भी दोगुना होने की रफ्तार 10 दिनों से ज्यादा है. रफ्तार के मामले में सबसे बेहतर स्थिति में तेलंगाना है, जहां फिलहाल 58 दिनों में केस दोगुने हो रहे हैं. वहीं केरल में 37 दिनों में केस दोगुने होंगे.

पश्चिम बंगाल में संक्रमण के फैलने की रफ्तार भी देश की औसत रफ्तार से ज्यादा है. एक तरफ देश में हर 100 कोरोना संक्रमित 129 लोगों में संक्रमण फैला सकता है, तो वहीं पश्चिम बंगाल में हर 100 कोरोना संक्रमित 152 लोगों में संक्रमण फैला सकते हैं. हालांकि चेन्नई के इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की एक रिसर्च के मुताबिक बिहार और झारखंड में इस संक्रमण की रफ्तार बंगाल की तुलना में ज्यादा ही है.

अगर देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 10 राज्यों की बात करें तो पश्चिम बंगाल 10वें नंबर पर आता है. पूरे देश में जितने भी कोरोना पॉजिटिव केस हैं, उनमें पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी दो फीसदी से भी कम की है. लेकिन अब बंगाल सरकार के इन दावों पर सवाल भी उठने लगे हैं. पहले ही राज्य की ममता सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच कोरोना को लेकर टकराव हो चुका है और ममता बनर्जी केंद्र सरकार पर आरोप भी लगा चुकी हैं. वहीं अब बंगाल बीजेपी ने राज्य की ममता सरकार पर कोरोना से हो रही मौतों का आंकड़ा छिपाने का आरोप लगाया है.

बंगाल बीजेपी ने ट्वीटर पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा है कि ममता बनर्जी की सरकार कोरोना से मरने वालों को छिपाने के लिए रात के एक बजे अंतिम संस्कार करवा रही है. बीजेपी ने सवाल पूछा है कि ममता बनर्जी क्या छुपाने की कोशिश कर रही हैं.

वहीं 30 अप्रैल को पश्चिम बंगाल सरकार के चीफ सेक्रेटरी राजीव सिन्हा की ओर से कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में अब तक कोरोना पॉ़जिटिव 105 लोगों की मौत हुई है. लेकिन इन मौतों में से सिर्फ 33 मौतें ही कोरोना की वजह से हुई हैं. बकी की 72 मौतें पहले से हो रखी दूसरी बीमारियों की वजह से हुई हैं और कोरोना उन मौतों का तात्कालिक कारण बना है.

हालांकि ये भी एक हकीकत है कि दुनिया भर में कोरोना की वजह से अब तक जितनी भी मौतें हुई हैं, उनमें से 90 फीसदी लोग पहले से किसी न किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित रहे हैं और कोरोना उनकी मौत की तात्कालिक वजह बना है. फिर भी पश्चिम बंगाल की सरकार इस बात से इन्कार कर रही है कि उसके यहां अब तक कुल 105 लोगों की मौत हुई है. ये आंकड़े 33 हो या 105, फर्क सिर्फ इस बात से पड़ता है कि राज्य सरकारें इस महामारी से निपटने के लिए कितनी तत्पर हैं. अगर 105 ही मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं, तो उसे बताने में कोई हर्ज नहीं है. आखिर महाराष्ट्र में हर रोज मौतें हो ही रही हैं और वहां की सरकार इसे मान ही तो रही है.

फिलहाल ज़रूरी है बचाव, न कि राजनीति. वो कोई भी राज्य सरकार हो या फिर केंद्र की ही सरकार हो, सबको एक साथ मिलकर कदम बढ़ाने होंगे. और तभी इस महामारी से निबटा जा सकता है. आखिर अगर राज्य सरकारें आंकड़े दुरुस्त नहीं रखेंगी, तो फिर पता कैसे चलेगा कि इस महामारी ने कितनी तबाही मचाई है और इसकी वजह से कितना नुकसान हुआ है.

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